बच्चों के लिए 5 शिक्षाप्रद कहानियां

बच्चों के लिए 5 शिक्षाप्रद कहानियां

पहले के जमाने में बच्चे दादी नानी की कहानियां सुनकर बड़े हुआ करते थे जैसे कि परियों की, राजा रानी की या जानवरों की इत्यादि लेकिन आजकल के जमाने में बच्चे मोबाइल पर ही लगे रहते हैं। उनका बाहर के खेल खेलना भी बंद सा हो गया है और कहानियां सुनना तो विलुप्त हो गया है लेकिन अगर आप अपने बच्चोंं को कहानियां (Bachchon ki Kahaniyan) सुनाकर देखेंगे तो वह अभी भी उसे चाव से सुनेंगे क्योंकि कहानियां सुनना बच्चोंं को हमेशा से ही पसंद होता है।

 

तो आज हम आपकी मदद के लिए 5 ऐसी शिक्षाप्रद कहानियों (Educational Stories for Kids in Hindi ) के बारे में बताएंगे जो आप अपने बच्चोंं को सुना सकती है। बच्चोंं को कहानियां सुनाने से उन्हें शिक्षा भी मिलती है और साथ ही वे कहानियां सुनते समय कई चीजों को सोचते हैं जिनसे उनकी सोचने व समझने की क्षमता का भी विकास होता है।

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बच्चोंं के लिए 5 शिक्षाप्रद कहानियां (5 Educational Stories for Kids in Hindi )

#1. कर्तव्य

मोटू गीदड़ हर रोज सुबह घूमने जाया करता था और एक दिन जब वह सुबह-सुबह घूमने निकला तो उसकी नजर पेड़ के नीचे पड़ी। वहां उसे एक सुन्दर घड़ी दिखाई दी जिसे वह उठा कर देखने लगा। वह घड़ी चमक रही थी और बहुत सुंदर थी। मोटू गीदड़ को वह पसंद आ गई और उसने अपनी पत्नी के लिए वह घड़ी रख ली और आगे चल दिया।

आगे उसने देखा कि एक खरगोश परेशान होकर इधर-उधर कुछ ढूंढ रहा था तो गीदड़ ने पूछा कि क्या कर रहे हो? उसने कहा कि मेरी घड़ी कहीं गुम हो गई है क्या तुमने देखी है? तब गीदड़ को लालच आ गया और वह यह कह कर आगे बढ़ गया कि उसने घड़ी नहीं देखी है। उसने घर जाकर वह घड़ी अपनी पत्नी को दे दी और कहा कि इस घड़ी को कुछ समय बाद पहनना नहीं तो खरगोश अपनी घड़ी पहचान लेगा।

कुछ दिनों बाद दीपावली का त्योहार था। गीदड़ की पत्नी खूब सज धज कर जंगल में सब से मिलने गई और मिलते समय उसका सोने का हार कहीं गिर गया। उसने घर जाकर अपना सारा सामान संभाला तो पाया कि उसका हार उसे कहीं नहीं मिल रहा है। उसने यह बात गीदड़ को बताई तो वह भागा भागा हार ढूंढने गया।

मोटू को वह हार कही नही मिल रहा था तभी एक बिल्ली ने आकर पूछा कि गीदड़ भैया क्या ढूंढ रहे हो? गीदड़ ने परेशान होकर बताया कि उसकी पत्नी का हार कही गिर गया है और वह उसे ही ढूंढ रहा हूं लेकिन उसे वह कहीं नहीं मिल रहा हैं।

ये सुनने के बाद बिल्ली ने जेब में से वो हार निकाला और गीदड़ को देते हुए बोली कि कहीं आपकी पत्नी का यह हार तो नहीं? गीदड़ ने जैसे ही वह हार देखा तो खुशी के मारे उछल पड़ा और बोला यह हार तो मेरी पत्नी का ही है, तुम्हें यह कहां से मिला? बिल्ली बोली भैया मैं यहां से गुजर रही थी तभी मैंने इसे देखा और सोचा जरूर कोई ढूंढता हूआ यहां आएगा, तब मैं उसे लौटा दूंगी। यह सुनकर गीदड़ की नजरें झुक गई और आंखें नम हो गई।

उसने बिल्ली का धन्यवाद कहा। बिल्ली ने बोला कि भैया यह तो मेरा कर्तव्य था, हमें किसी और की चीज को अपने पास नहीं रखना चाहिए चाहे वह सड़क पर ही क्यों ना मिली हो। तब गीदड़ ने बिल्ली को को कहां कि बहन तुमने आज मेरी आंखें खोल दी और उसने तभी वह घड़ी जाकर खरगोश को लौटा दी और उससे अपने किये की माफी भी मांगी। उसने खरगोश से कहां कि मैंने अपना कर्तव्य नहीं निभाया था परंतु आज मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूं।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमे कभी भी लालच नही करना चाहिए क्योंकि इसका फल हमेशा बुरा होता हैं।

#2. अच्छे काम का अच्छा फल

एक बूढा आदमी एक स्कूल के पास लाठी लेकर सड़क पर पार कर रहा था परंतु उसकी लाठी अचानक नीचे गिर गई। वह बहुत बीमार और असहाय था। उसके पास से कई बच्चे स्कूल जा रहे थे। उसने उन बच्चोंं से कहा कि बेटा मेरी लाठी नीचे गिर गई है जरा उसे उठाकर मुझे दे दो। परंतु वे सभी बच्चे बूढ़े का उपहास करके आगे बढ़ गए। इतने में एक लड़की जो स्कूल जा रही थी वह वहां आई और बोली बाबा आपको क्या परेशानी हैं।

तो उस बूढ़े ने उसे बताया कि बेटी मुझे यह सड़क पार करनी है कृपया मेरी लाठी नीचे से उठाकर मुझे दे दो। उस लड़की ने वह लाठी उठाई और साथ ही उस बूढ़े को वह सड़क पार करने में भी मदद की और उसके बाद वह अपने स्कूल चली गई।

स्कूल में प्राथना के समय प्रिंसिपल ने सब बच्चोंं को बताया कि वह बूढ़ा आदमी कोई और नही बल्कि वही थे जो भेष बदलकर बच्चोंं की परीक्षा ले रहे थे और इतना कहने के बाद उन्होंने स्टेज पे उस लड़की को बुलाया व उसकी खूब तारीफ की। साथ ही उसे एक प्राइज भी दिया और बाकि बच्चोंं को डांटा भी और सबको समझाया कि कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और हर जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए।

शिक्षा: इस कहानी से आप अपने बच्चोंं को यह शिक्षा दे सकती है कि उसे हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए व किसी की कमजोरी का उपासना ना करके हमेशा उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि जो दूसरों की मदद करते हैं वही समाज में अच्छे कहलाते हैं।

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#3. एकता में बल

एक बार एक बूढ़ा आदमी था उसके तीन बेटे थे जो हमेशा आपस में लड़ते रहते थे और दूसरों के साथ भी झगड़ा करते थे। इस बात को लेकर वह हमेशा परेशान और चिंता में रहता था और सोचता था कि इन्हें कैसे समझाएं। फिर एक दिन उसने एक तरकीब सोची और रात को खाना खाने के बाद अपने अपने तीनों बेटों को अपने पास बुलाया और तीनों को एक-एक लाठी दे दी और बोला कि इनको तोड़कर दिखाओ।

बेटों ने बड़ी ही आसानी से अपनी-अपनी लाठी को तोड़ दिया। उसके बाद उस व्यक्ति ने अपने तीनों बेटों को लाठी का एक-एक बंडल पकड़ाया और कहां कि अब तीनों अपना-अपना बंडल तोड़ कर दिखाओ। तीनों बेटों ने बहुत जोर लगाया पर लाठी का बंडल नहीं टूटा। तब उस बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने तीनों बेटों को समझाया कि जब तुम्हारे पास एक-एक लाठी थी तो तुमने उसे आसानी से तोड़ दिया परंतु जब तुम्हें लाठी का बंडल मिला तो तुम उसे नहीं तोड़ सके।

इसी प्रकार अगर तुम भी आपस में लड़ते झगड़ते रहोगे तो लोग तुम्हारा आसानी से फायदा उठा सकते हैं लेकिन अगर तुम आपस में मिलजुल कर और प्रेम से रहोगे तो कोई भी तुम्हारा फायदा नहीं उठा सकता है।

शिक्षा: इस कहानी से आप अपने बच्चे को यह शिक्षा दे सकती है कि उसे भी अपने आसपास के लोगों से, बड़ों से, परिवार में व अपने दोस्तों व स्कूल में सभी से अच्छे से पेश आना चाहिए व सभी के साथ घुल मिल कर रहना चाहिए क्योंकि एकता में ही शक्ति होती है।

#4. झूठ बोलने का फल

एक गांव में एक आदमी रहता था। वह हमेशा सबसे झूठ बोलता था। वह दूसरों के समय व भावनाओं की बिल्कुल भी कद्र नहीं करता था। सभी उसे बहुत समझाते कि इतना झूठ बोलना सही नहीं है और इस वजह से वह किसी मुसीबत में भी पड़ सकता है परंतु उसको तो जैसे झूठ बोलने में बहुत मजा आता था।

एक दिन जब रात को सब सो रहे थे जब वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि भेड़िया आया है, भेड़िया आया है!! सारे गांव वाले हाथों में लाठियां लेकर उसे बचाने आ गए परंतु सबने जाकर देखा कि वहां कोई नहीं था और इतने में वह आदमी जोर-जोर से हंसने लगता है और सब का उपहास करता है। सभी लोग बहुत गुस्सा हो जाते हैं और वापस चले जाते हैं।

कुछ दिनों के बाद सच में एक भेड़िया आ जाता हैं और वह आदमी बहुत चिल्लाता है लेकिन उसकी मदद के लिए कोई नहीं आता हैं क्योंकि सभी समझ रहे होते हैं कि वह अभी भी झूठ ही बोल रहा होगा। इसलिए कोई भी उसे बचाने नहीं आता है और अंत में भेड़िया उसे खा जाता है।

शिक्षा: इस कहानी से आप अपने बच्चोंं को यह शिक्षा दे सकती है कि हमें कभी भी किसी दूसरे की भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और ना ही कभी झूठ बोलना चाहिए। चाहे सच कितना भी कड़वा हो, हमे हमेशा सच का साथ देना चाहिए क्योंकि झूठ बोलने वालों का हाल हमेशा बुरा ही होता है।

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#5. मेहनत का महत्व

एक बच्चा छठी कक्षा में पढ़ता था और वह बहुत आलसी और कामचोर था। वह कभी भी कोई भी काम नहीं करता था और ना पढ़ाई करता था। उसके माता-पिता को उसकी बहुत चिंता लगी रहती थी।

इसलिए उसकी मां ने एक तरकीब सोची और उसे कुछ पैसे देकर बाजार से अपने लिए एक गुल्लक लाने को कहा। वह बच्चा पूरे बाजार में बहुत घुमा लेकिन उसे कोई गुल्लक पसंद नही आई। अंत में एक दुकान पर उसे बहुत मनमोहक गुल्लक दिखी और वह उसे खरीद कर घर आ गया।

आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज उसे किसी ने पढ़ने के लिए नही बोला। रात को सोते समय वह उसे अपने साथ लेकर सोया। उसे वह बहुत पसंद आ गई थी तब उसके माता-पिता ने उसको अपने पास बिठाकर समझाया कि जो गुल्लक तुम्हे इतनी पसंद हैं, पहले वह सिर्फ मिट्टी होती थी लेकिन अपने आपको इतना सुन्दर बनाने के लिए इसने कितना परिश्रम किया है, कितने कष्ट सहे हैं।

वे उसे बताते हैं कि मिट्टी जिसकी कोई कीमत नहीं होती, उसे पहले पानी में गीला किया जाता है और उसके बाद उसे पीटा जाता है। उसके बाद एक आकार देने के लिए उसे जोर-जोर से घुमाया जाता है, इतना ही नहीं उसे इतने कष्ट सहने के बाद भी अभी और कष्ट सहने होते हैं। सही आकार देने के बाद उसे फिर जलती भट्टी में डाला जाता है और तब वह अपनी अंतिम परीक्षा पास करके गुल्लक का रूप लेती है। वह मिट्टी होकर इतनी मेहनत कर सकती है तो हम तो इंसान है।

शिक्षा: इससे बच्चोंं को यह सीख मिलती हैं कि बिना कोई मेहनत के सफलता नहीं मिलती है। सफलता भी उन्हीं के कदम चूमती है जो मेहनत से नहीं डरते हैं।

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