टीथर और पैसीफायर के फायदे और अंतर

टीथर और पैसीफायर के फायदे और अंतर

माँ बनने से पहले शिशु और शिशु से संबंधित वस्तुओं को लेकर मुझे पूरी जानकारी नहीं थी। मैं अक्सर कई चीज़ों को लेकर परेशान रहती थी। मेरे लिए टीथर और पैसीफायर (Teether and Pacifier) में अंतर करना भी मुश्किल था। मुझे लगता था कि इन दोनों को बच्चे को शांत रखने के लिए उपयोग में लाया जाता है। केवल मैं ही नहीं बल्कि मुझ जैसी कई महिलाएं माँ बनने से पहले ऐसा ही सोचा करती हैं।

माता-पिता अपने बच्चे की परवरिश में कोई कमी नहीं आने देते। यही नहीं आजकल माता-पिता अपने बच्चे की ज़रूरत का सारा सामान उसके पैदा होने से पहले ही खरीद लेते हैं ताकि जन्म के बाद शिशु या उन्हें कोई परेशानी न हो। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसे ही बच्चे के लिए ज़रूरत के अनुसार सामान खरीदा जाता है। छोटे बच्चों की महत्वपूर्ण चीज़ों में एक है टीथर और एक है पैसीफायर। लेकिन अधिकतर लोगों खासतौर पर नई माताओं को इसके बारे में अधिक पता नहीं होता हैं। तो जानिए टीथर और पैसीफायर के बीच के अंतर को और इनके फायदों को ताकि आप इनका सही इस्तेमाल कर सकें।

 

टीथर और पैसीफायर में अंतर (Difference between Teether and Pacifier in Hindi)

 

टीथर बच्चों के लिए उपलब्ध वो छोटे-छोटे खिलौने होते हैं जिन्हे बच्चे अपने दांतों से चबा या काट सकते हैं। टीथर का प्रयोग बच्चों के लिए तब किया जाता है जब उनके नए दांत आ रहे होते हैं। जब दांत आते हैं तो बच्चों के मसूड़ों में खारिश होती है। टीथर को चबा कर बच्चे कुछ राहत महसूस करते हैं। बच्चों के नाजुक मसूड़ों को टीथर के प्रयोग से अच्छा लगता है। बच्चे टीथर का प्रयोग तब से शुरू कर सकते हैं जब वो तीन महीने के हों।

छोटे बच्चों को कोई भी चीज़ चूसने की आदत होती है। अक्सर नवजात शिशु अपने अंगूठे या उंगली को चूसते हैं। यह बच्चों का प्राकृतिक स्वभाव है जिससे बच्चे का विकास सही से होता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से शिशु को अच्छा महसूस होता है। बच्चे अपनी अंगुली या अंगूठा न चूसे इसलिए माता-पिता उन्हें पैसीफायर देते हैं। पैसीफायर एक निप्पल के आकार का खिलौना होता है जिसे खासतौर पर बच्चों के चूसने के लिए बनाया जाता है। टीथर और पैसीफायर के बीच के अंतर को समझने के साथ आइयें जानते हैं इनके फायदों को भी समझें।
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टीथर के फायदे (Benefits of Teether in Hindi)

दांत निकलने की प्रक्रिया न केवल बच्चे के लिए दर्दनाक होती है बल्कि कष्टदायक भी होती है। उनकी इस स्थिति को समझना माता-पिता के लिए थोड़ा मुश्किल होता है। बच्चों के चिड़चिड़ेपन के कारण अक्सर माता-पिता भी परेशान रहते हैं। ऐसा तब होता है जब बच्चा तीन या चार महीने का होता है। इस समस्या से कुछ हद तक राहत पाने में टीथर उनके लिए अच्छा विकल्प साबित होते हैं।

 

#1. दर्द में कमी (Reduce Pain)

दांत निकलते समय मसूड़ों में होने वाली परेशानी और खुजली को कम करने में टीथर मददगार होते हैं। इसके साथ ही इससे बच्चों के मसूड़ों में भी कम दर्द होती है। एक शोध के अनुसार पंद्रह और बीस प्रतिशत बच्चों को दांत आते हुए भयंकर पीड़ा और असहजता का सामना करना पड़ता है। टीथर को इसी उद्देश्य के लिए बनाया जाता है ताकि बच्चे कम पीड़ा महसूस करें और उनके दांत आने की यह प्रक्रिया आसान हो जाए। जैसे ही बच्चा टीथर को चबाने के लिए अपने मसूड़ों पर दबाब बनाता है तो उसे अच्छा और आरामदायक महसूस होता है। कई लोग बच्चों को तब भी टीथर दे देते हैं जब बच्चा भूखा हो। हालाँकि कुछ समय तक भूखे बच्चे को शांत रखने का यह एक अस्थायी तरीका है।

 

#2. प्रयोग करने में सुरक्षित (Safe in use)

बच्चों को लेकर जो चीज़ माता-पिता के मन में सबसे पहले आती है वो है उसकी सुरक्षा। अगर आप अपने बच्चे के लिए टीथर का चुनाव करना चाहते हैं तो आपको उनकी गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि यह टीथर न तो बहुत अधिक बड़ा हो न ही बहुत छोटा। टीथर ऐसा हो जिसे बच्चे के मुँह में डालना बिल्कुल सुरक्षित हो। लेड, कैडमियम, BPA और अन्य खतरनाक तत्वों से युक्त टीथर से बच्चों को दूर रखें। इसके स्थान पर सुरक्षित टीथर को चुने।

 

#3. विविधता (Variation)

बाजार में कई तरह के टीथर उपलब्ध हैं जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, रबर के बने टीथर, यही नहीं यह अलग-अलग आकार, रंगों और साइज में भी मिल जाते हैं। माता-पिता ऐसे टीथर को चुनना भी पसंद करते हैं जिन्हे फ्रिज में रख कर बच्चे को दे सके ताकि बच्चे को ठंडक प्राप्त हो। इससे बच्चे और अधिक आराम महसूस करते हैं। आप ऐसे टीथर का प्रयोग करें जिसे आसानी से मुँह में डाला जा सके और साथ ही बच्चे के लिए भी जिन्हे चबाना आसान हो।

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पैसीफायर के फायदे (Benefits of Pacifiers in Hindi)

 

#1. बच्चे को शांत रखने में मददगार (Helping keep the child calm)

पैसीफायर चिड़चिड़े और रोते हुए बच्चे को शांत बनाये रखने में मदद करता है। अधिकतर बच्चे इसे चूसकर अच्छा महसूस करते हैं। इसके साथ ही यह बच्चों के ध्यान को भटकाने में भी मददगार है। बच्चे को नहलाते, उसके कान साफ करते या अन्य कुछ ऐसा करते हुए जो बच्चे को पसंद न हो, आप पैसीफायर का प्रयोग करके बच्चे का ध्यान इधर-उधर भटका सकते हैं।

 

 

#2. सोने में मददगार (Help in sleeping)
कई बार बच्चों को सोने में भी पैसीफायर मददगार होता है। बच्चे की सोने की अवधि को भी बढ़ाने में यह फायदेमंद होता है।

 

 

#3. डिस्पोजेबल (Disposable)
यह डिस्पोजेबल होते है, जब आप इन्हे प्रयोग न कर रहे हों तब इन्हे फेंक दें। अगर आपका बच्चा अंगूठा या उंगली चूसता है तो उसकी इस आदत को छुड़ाना बहुत मुश्किल है लेकिन पैसीफायर की मदद से बच्चे आसानी से इस आदत को छोड़ देते हैं।

 

#4. प्रसवोत्तर तनाव से बचाये (Postpartum Stress)
एक शोध से यह भी पता चला है कि माँ को प्रसवोत्तर तनाव से बचाने में भी पैसीफायर बहुत सहायक है। दरअसल इसका प्रयोग करने वाले बच्चे न केवल कम रोते हैं बल्कि बार-बार थोड़ी-थोड़ी देर के बाद दूध भी नहीं मांगते। इससे माताओं को दूध पिलाने के बीच में खुद के लिए अधिक समय मिल जाता है जिससे वो तनाव से बची रहती हैं। बच्चे और माँ दोनों को भावनात्मक समर्थन देने में यह बहुत सहायक है।

 

#5. यात्रा का साथी (Traveling companion)
अगर आप अपने बच्चे के साथ यात्रा कर रही हों तो पैसीफायर आपके लिए सहायक सिद्ध होगा। इसके साथ ही ऐसा भी देखा गया है कि इसके प्रयोग से बच्चे प्लेन में होने वाले कान के दबाव को कम महसूस करते हैं जिससे आपको भी सुविधा होगी। यही नहीं कभी बाजार या शॉपिंग के लिए बच्चे के साथ होने पर भी आप उसे पैसीफायर दें ताकि उसका ध्यान इधर उधर न भटके और वो आपका बार-बार दूध न मांगे या शांत रहे।

 

 

टीथर और पैसीफायर (teether and pacifier) दोनों में अपने-अपने फायदे हैं लेकिन इनका अधिक उपयोग करना शिशु के लिए हानिकारक भी हो सकता है जैसे उन्हें हाइजीन या स्तनपान सम्बन्धी समस्याएं भी हो सकती हैं। शिशु को पैसीफायर कम से कम एक महीने से अधिक उम्र के शिशु को और टीथर तीन महीने से बड़े बच्चे को देना चाहिए। अगर तीन साल की उम्र से अधिक बच्चे पैसीफायर का प्रयोग करते हैं तो उन्हें दांतों से सम्बन्धित समस्या हो सकती है। जब आपको लगे कि आपके बच्चे को अब इनकी आवश्यकता नहीं है तो तुरंत बच्चे की इस आदत को छुड़ा दें।

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