क्या आपके तीन साल के बच्चे में यह विकास हो गए हैं?

क्या आपके तीन साल के बच्चे में यह विकास हो गए हैं?

अपने बच्चों को बढ़ते हुआ देखना माता-पिता के लिए सबसे सुखद होता है। हर एक पल, दिन और साल बच्चे में नए-नए बदलाव लेकर आता हैं। बच्चे के विकास में कई अलग-अलग चरण आते हैं जैसे कि एक साल का बच्चा चलना शुरू कर देता हैं तो दो साल का बच्चा दौड़ सकता है, वहीं तीन साल के बच्चे आसानी से खुद सीढ़ियां चढ़ सकते है और उतर भी सकते है।

हर माता-पिता बच्चे के थोड़ा बड़े होने पर यही सोचते हैं कि अब उनका बच्चा बड़ा हो गया है इसलिए उनकी परेशानियां थोड़ी कम हो जाएंगी। ऐसी ही सोच उनकी तब होती है जब बच्चा तीन साल का हो जाता है और स्कूल जाना शुरू कर देता है।

तीन साल के बच्चे में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से कई परिवर्तन आते हैं। तो जानिये कि 3 साल के बच्चे के विकास (Teen Saal ke Bachhe Mein Vikas) के अहम चरण कौन-कौन से होते हैं।

 

3 साल के बच्चे का शारीरिक विकास (Physical Development of 3 Year Kids in Hindi)

तीन साल का बच्चा पूरी तरह से विकसित होने के साथ-साथ स्वभाव का बेहद चंचल होता है। तीन साल के बच्चे अपने माता-पिता, आस-पड़ोस और नए माहौल आदि से बहुत कुछ नया सीखते हैं। जानिए इस उम्र में बच्चे के शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं और तीन साल के बच्चों का शारीरिक विकास किस तरह से होता है।

#1. तीन साल के बच्चे का वजन और लम्बाई (Height and Weight Chart for 3 Year Old Kids)

तीन साल के बच्चे की लम्बाई 3 फुट तक होनी चाहिए। यह कम या ज्यादा हो सकती है। बच्चों की लम्बाई अगर कम हो तो उसका कारण अनुवांशिक भी हो सकता है लेकिन अगर आपके बच्चे की लम्बाई और वजन बहुत कम है या अधिक है तो इसके पीछे कोई शारीरिक समस्या भी हो सकती है। इसलिए अपने डॉक्टर से राय ले ले।

 

तीन साल के बच्चे का वजन लगभग 14 से 16 किलोग्राम होता है। हालाँकि यह जरूरी नहीं कि सभी बच्चों का विकास एक बराबर हो इसलिए उनकी लम्बाई और वजन में भी विविधता हो सकती है।

 

तीन साल के लड़कों और लड़कियों का आदर्श वजन और लंबाई:

 

वजन औसत (किलो में) लंबाई औसत (सें . मीं)
3 साल के लड़के 11.8 – 14.6 Kg 94.9 Cm
3 साल की लड़की 11.2 – 14.1 Kg 93.9 Cm

 

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#2. चलना-फिरना

तीन साल का बच्चा पूरे आत्मविश्वास से चल-फिर और दौड़ सकता है। यही नहीं वो सीढ़ियां भी अच्छे से चढ़ने के साथ-साथ उतर सकता है। इस उम्र में उसकी मांसपेशियाँ पूरी तरह से विकसित होती है। इसलिए वो तीन पहियों वाली साईकिल भी अच्छे से चला सकता है। इस उम्र में बच्चे हर काम खुद करना पसंद करते हैं।

 

#3. खेल

इस उम्र के बच्चे भागने-दौड़ने वाले खेल खेलना अधिक पसंद करते हैं जैसे बॉल फेंकना, उसे पकड़ना आदि। चीज़ों को तोड़ने और जोड़ने में भी उसे मज़ा आता है। स्कूल जाकर और नए बच्चों से मिल कर वो समूह में खेलना भी सीख जाता है। ब्लॉक जोड़ कर आकृतियां बनाना, चित्र बनाना और उनमे रंग भरना आदि भी इस उम्र के बच्चों को पसंद आता है।

 

#4. भोजन संबंधी आदतें

तीन साल के बच्चे के पूरे दांत आ चुके होते है इसलिए उसे कुछ भी खाने में कोई समस्या नहीं आती लेकिन इस उम्र के बच्चे मीठा खाना अधिक पसंद करते हैं जैसे कि चॉकलेट, केक, मिठाई आदि। इस उम्र के बच्चों में खुद खाना खाने की आदत डालें ताकि वो स्कूल में भी खुद से खा सके।

 

इस उम्र के कई बच्चों को मुँह में अंगूठा डालना और बोतल से दूध पीना जैसी आदतें होती हैं। लेकिन अगर ऐसा है तो आपको उसकी इन आदतों को छुड़ा देना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकता है। तीन साल के बच्चे को गिलास में दूध पीने की आदत डालनी चाहिए।

 

#5. बोलना

  • तीन साल का बच्चा चीज़ों को समझने लगता है और हमेशा कुछ नया सीखने की उसकी उत्सुकता बढ़ जाती है। तीन साल के बच्चे अपनी बात को दूसरे लोगों को अच्छे से समझा सकते है।
  • तीन साल के बच्चे की शब्दावली में नए-नए शब्द आ जाते हैं और वो स्पष्ट रूप से शब्दों का उच्चारण कर सकता है।
  • वो नए और बड़े वाक्य भी बनाने लगता है जैसे मैने यह नहीं किया, मैं स्कूल जा रही हूँ आदि यही नहीं वो आपके सवाल का जवाब भी दे सकता है।
  • किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पूछे गए सवालों जैसे आपका नाम क्या है, आप कौन सी क्लास में हो का भी वो अच्छे से उत्तर दे देता है।
  • अगर आपका बच्चा तीन साल का है तो उसके क्यों, कैसे, क्या जैसे प्रश्नात्मक सवालों के लिए भी तैयार हो जाएँ।

 

मानसिक विकास (Mental Development Milestone of 3 Year Baby)

  • तीन साल की उम्र का बच्चा मानसिक रूप से बहुत अधिक जागरूक और उत्सुक होता है। स्कूल जाने के कारण उसका परिचय अन्य लोगों और बच्चों से भी होता है। इस उम्र के बच्चे नयी-नयी चीज़ें सीखते हैं और अपने दिमाग का प्रयोग करके भी नए प्रयोग करने से नहीं चूकते।
  • इस उम्र का बच्चा नंबर और शब्दों आदि को अच्छे से याद कर सकता है और उन्हें लिखने की भी कोशिश करता है।
  • बच्चों के साथ अलग-अलग खेल खेलना उसे अधिक पसंद आता है।
  • तीन साल का बच्चा आपके, आपके परिवार के सदस्यों और स्कूल के अध्यापकों के निर्देशों का अच्छे से पालन करने की कोशिश करता है।
  • स्कूल में वो जो भी सीख कर आता है घर आकर आपको उसके बारे में बता सकता है जैसे कविता या कहानियां आदि।
  • वो अपने माता-पिता, स्कूल, टीचर और दोस्तों आदि के नाम याद और बता सकता है।
  • रंगों, पशु-पक्षियों, जानवरों आदि के बारे में वो पूरी तरह से जान जाता है।
  • तीन साल का बच्चा दस तक गिनती गिन लेता है।
  • वो पेंसिल या पेन अच्छे से पकड़ कर अलग-अलग शेप्स बना सकता है। इसके साथ ही वो दूसरी भाषा के शब्दों को भी समझने लगता है।

 

सामाजिक और भावनात्मक परिवर्तन

  • तीन साल के बच्चे को घर से बाहर जाना, नयी चीज़ों को देखना और नए लोगों से मिलना बेहद पसंद होता है। इस उम्र में बच्चा अपने माता-पिता और अन्य लोगों को अच्छे से जानने और पहचानने लगता है।
  • इस उम्र के बच्चे बेहद जिद्दी और शरारती होते हैं। ऐसे में बच्चे को संभालना बहुत मुश्किल होता है।
  • इस उम्र का बच्चा अनुशासन में रहना भी सीख जाता है। इस उम्र में बच्चों को छोटे-छोटे निर्देश देकर कई अच्छी बातें आसानी से सिखाई जा सकती है, जैसे अपने खिलौनों को खेलने के बाद सही जगह पर वापस रखना, लोगों का अभिवादन करना आदि।
  • इस उम्र में बच्चा अपने खिलौने और चीज़ों को बाँटना शुरू कर देता है और ग्रुप में खेलना भी उसे आ जाता है।
  • शिशु के मन में इस दौरान अन्य भावनाएं भी विकसित होती हैं लेकिन वो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं जैसे कि अगर वो रोते है तो वो जल्दी नहीं चुप होते हैं।
  • इस उम्र के बच्चे यह समझ जाते हैं कि कौन सा काम करने पर उसे डाँट पड़ेगी और कौन से काम करने से उनकी बड़ाई होगी। लेकिन मना करने के बाद भी वो उस चीज़ को दोहराने से नहीं चूकते।

 

कौन सी आदतें सीखते है

  • इस उम्र के बच्चे में प्रश्न पूछने और जानने की जिज्ञासा बहुत अधिक होती है। वो बहुत जल्दी दूसरों की सिखाई चीज़ें सीख जाते हैं।
  • निर्देशों का पालन करता है जैसे अपना सामान सही जगह पर रखना, कोई सामान कहीं से लाना आदि।
  • तीन साल का बच्चा अन्य बच्चों को देख कर आहार में भी रूचि लेने लगता है। खाना खुद कैसे खाना है, दूसरों से शेयर करना आदि आदतों का विकास भी उसमे हो जाता है।
  • दूसरे बच्चों के साथ रह कर उनसे व्यवहार करना, चीज़ें बाँटना, दूसरों की मदद करने जैसी आदतें भी वो जल्दी सीख जाता है
  • पढ़ने में उसकी रूचि बढ़ जाती है। शब्दों, नंबरों का ज्ञान या चित्रों में रंग भरना सब उसको पसंद आता है।
  • नए लोगों से मिलते हुए वो घबराता नहीं है बल्कि उनसे अच्छे से बात करता है और उनका जवाब भी देता है।

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तीन साल के बच्चों को कौन-सी आदतें सिखानी चाहिएः

#1. अभिवादन करना

तीन साल की उम्र के बच्चों को आप बहुत अधिक अच्छी आदतें सीखा सकते हैं क्योंकि बच्चों को संस्कार देने का यही सही समय है जैसे अपने से बड़ों का अभिवादन करना, छोटों से कैसे बात करनी है आदि।

#2. अपना काम स्वयं करना

इस उम्र के बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि अगर आपका बच्चा कुछ खेल रहा है, पढ़ाई या ड्राइंग कर रहा है तो आपको उसे काम समाप्त होने के बाद अपनी चीज़ों को वापस अपने स्थान पर अच्छे से कैसे रखना है। इसके साथ ही उसे अपना खाना खुद खाना और अन्य छोटे-मोटे काम करना भी अवश्य सिखाएं।

#3. अनुशासन

तीन साल के बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में उनके लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस उम्र के बच्चे प्ले स्कूल जाते हैं इसके लिए आप बच्चे को पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार करे ताकि वो स्कूल में अच्छे से एडजस्ट हो सके। समय पर हर काम करने से उसमे अनुशासन की भावना जागृत होगी।

#4. दूसरे बच्चों से व्यवहार

स्कूल जाने पर बच्चे नए बच्चों से मिलते हैं और उनके साथ खेलते हैं। ऐसे में आप उन्हें दूसरों से कैसे व्यवहार करना हैं जैसी अच्छी आदतें सीखा सकते हैं। हालाँकि बच्चा खुद भी यह सब सीख जाता है लेकिन आपको भी उनकी मदद करनी चाहिए।

#5. आहार सम्बन्धी आदतें

तीन साल की उम्र का बच्चा खाना खाने में अधिक नखरे दिखाता है। यही नहीं उसे घर का बना खाना भी पसंद नहीं आता है। फ़ास्ट फूड में उसकी अधिक रूचि होती है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को ज़बरदस्ती नहीं खिलाना चाहिए। आहार में उसकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए आहार में विविधता लाएं और बच्चे के खाने को सुन्दर और दिलचस्प बनाएं ताकि बच्चा उसकी तरफ आकर्षित हो। इस उम्र के बच्चे को खुद अपना भोजन खाना चाहिए।

#6. बाहर खेलना

आजकल के बच्चे केवल मोबाइल या कंप्यूटर में ही व्यस्त रहते हैं लेकिन ऐसा करके उसका पूरा विकास नहीं हो पाता हैं। इसलिए आप उन्हें घर के बाहर खेलने दें। खुद भी उनके साथ खेलें।

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बच्चे के विकास में मदद करें

  • बच्चे को पूरा प्यार दें और उसका मार्गदर्शन करें। उसे हर अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहित करना न भूलें।
  • इस उम्र के बच्चे बहुत ही अधिक उत्सुक होते हैं। इसलिए उनकी उत्सुकता को कम न होने दें क्योंकि यह उत्सुकता उनके विकास के लिए बहुत आवश्यक है।
  • अपने बच्चे के साथ रोज़ाना कुछ समय बात के लिए निकाले और उसकी बातों को सुनें। जो भी बच्चा आपसे पूछता है उसका अच्छे से जबाब दें।
  • अपने बच्चे को रोज़ाना कुछ न कुछ पढ़ाएं और नया सिखाएं। ऐसा करने से भी आप उसके विकास में उसकी मदद करेंगे।
  • साथ ही उसकी शब्दावली में भी बढ़ोतरी होगी। रोज़ाना के जीवन के बारे में भी उसे अवगत कराएं।

 

आजकल प्रतिस्पर्धा का जमाना है। ऐसे में अभिभावक तीन साल के बच्चे से भी यही उम्मीद करते हैं कि वो हर क्षेत्र में प्रदर्शन करे। यही नहीं, इस उम्र के बच्चे पढ़ाई को लेकर भी बहुत जल्दी तनाव में आ जाते है और आप भी छोटे से बच्चे पर पढ़ने का दबाव डालते हैं लेकिन यह सही नहीं है।

 

इस उम्र के बच्चे का विकास खुद होने दें। उसे वो करने दें जो वो करना चाहता है। जो भी वो पूछे उसका सही जवाब दें। इस बात का ध्यान रखें कि यह शिशु के विकास का शुरुआती चरण है इसलिए अगर अभी आप उस पर दबाव डालेंगे वो आगे चल कर यह उसके लिए हानिकारक हो सकता है। बच्चों को बच्चा ही रहने दें, उन्हें बदलने की कोशिश न करें।

 

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