हमारा देश अपने विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और रिवाजों के लिए जाना जाता है। जैसे यहाँ हर कुछ किलोमीटर के बाद भाषा बदलती हैं, वैसे ही रिवाज भी बदलते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही कुछ परम्पराएं हैं जिनका आज भी पूरे उत्साह से पालन किया जाता है उनमें से ही एक है गोद भराई (godh bharai)। गोद भराई वो कार्यक्रम है जिसे गर्भवती स्त्री और होने वाले शिशु के लिए आयोजित किया जाता है। गोद भराई का अर्थ है ‘गोद को भरना’।
इसे एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है और देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे केरल में ‘सीमंथाम’, बंगाल में इसे ‘शाद’, तमिलनाडु में ‘वलकप्पू’ और इंग्लिश में बेबी शावर (Baby Shower in Hindi)।
गर्भवती स्त्री के लिए यह प्रथा बेहद खास होती है। आपने बड़ी हस्तियों की गोद भराई के बारे में सुना और उनकी तस्वीरों को तो देखा ही होगा। जैसे हाल ही में टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा ने गोद भराई को पाजामा पार्टी के रूप में मनाया। ऐसे ही शाहिद कपूर की पत्नी मीरा की गोद भराई को भी पारंपरिक नहीं बल्कि आधुनिक रूप में मनाया गया। आजकल गोद भराई (godh bharai) का तरीका कुछ बदल चुका है।
अब लोग पारंपरिक रूप से नहीं बल्कि आधुनिक तरीके से इसे मनाते हैं। हालाँकि कई जगहों और समुदायों में इस त्यौहार को नहीं मनाया जाता और लोग इसके बारे में अधिक जानते भी नहीं हैं। इसलिए आइये जाने कि आखिर गोद भराई है (What is Godh Bharai in Hindi) क्या और गोद भराई कैसे करते हैं (godh bharai kaise kare)।
गोद भराई को हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक माना गया है जो हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पूजा-पाठ के साथ गर्भवती स्त्री और गर्भ में पल रहे शिशु को भगवान और सभी बड़ों-बुजुर्गों का आशीर्वाद दिलाना है ताकि माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। इसके साथ ही इस त्यौहार के माध्यम से शिशु का स्वागत किया जाता है।
इस में सभी करीबी दोस्त और रिश्तेदार शामिल होते हैं। विभिन्न स्थानों और समुदायों में इसे मनाने का समय भी अलग है। कुछ लोग गोद भराई का कार्यक्रम गर्भावस्था के सातवें महीने में करते हैं क्योंकि यह गर्भावस्था का सबसे सुरक्षित चरण होता है तो कई लोग इसे आठवें महीने में आयोजित करते हैं तो कहीं-कहीं गोद भराई (Godh Bharai) के कार्यक्रम को नहीं मनाया जाता बल्कि शिशु के जन्म के बाद पूजा का आयोजन किया जाता है।
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हर जगह गोद भराई के कार्यक्रम को मनाये जाने का अपना-अपना अलग तरीका है। गोद भराई का रस्में (godh bharai ki rasam) भले ही अलग हो लेकिन इसे मनाये जाने का उद्देश्य एक ही होता है और वो है होने वाले बच्चे और माँ के स्वस्थ रहने की कामना करना। पारंपरिक तरीके के अनुसार गोद भराई के दिन एक पूजा रखी जाती है ताकि बच्चे और माँ के सभी दोष दूर हों और एक स्वस्थ बच्चा जन्म ले। गोद भराई में सभी रिश्तेदार शामिल होते हैं ताकि होने वाले बच्चे और माँ को सबका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हो। पूजा और आशीर्वाद के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
गोद भराई को पुराने ज़माने में केवल महिलाओं का कार्यक्रम माना जाता था जिसमें केवल महिलाएं ही शामिल होती थी लेकिन आजकल इसमें पुरुष भी शामिल होते हैं। इस कार्यक्रम में होने वाली माँ का पूरा श्रृंगार किया जाता है उसे गहने पहनाएं जाते हैं, चुनरी ओढ़ाई जाती है और नाच-गाना होता है। इसके बाद उपहारो, फलो, सूखे मेवों और मिठाईओं से गर्भवती स्त्री की गोद भरी जाती है। इस कार्यक्रम में गर्भवती स्त्री को बहुत से मेवे और फल उपहार में दिए जाते हैं क्योंकि गर्भावस्था में गर्भवती स्त्री को प्रोटीन की बहुत अधिक आवश्यकता होती है।
मेवों से उसे भरपूर प्रोटीन प्राप्त होता है, इसके साथ ही मेवे खाने से गर्भवती स्त्री को प्रसव में आसानी होती है। फल खाने से गर्भवती स्त्री को वो सब पौष्टिक तत्व मिलते हैं जिनकी इस अवस्था में आवश्यकता होती है। हालांकि आजकल गोद भराई मानने का तरीका इस तरीके से बिल्कुल अलग है। कई घरों में इस त्यौहार को अंतिम महीनों में मनाया जाता है और इसके बाद होने वाली माँ को अपने मायके भेज दिया जाता है ताकि उसे पूरा आराम मिल सके।
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किसी भी गर्भवती महिला के लिए गोदभराई (godh bharai in hindi) बहुत ही महत्वपूर्ण व खास कार्यक्रम है और होने वाली माँ के लिए यह समय बेहद आनंद और उत्साह से भरा होता है। इस कार्यक्रम में बहुत से लोग शामिल होते हैं और गर्भवती स्त्री को भी बहुत सी रस्मों का पालन करना पड़ता है। ऐसे में उसे कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।
#1. आराम करें (Take Rest)
गोद भराई का दिन खासतौर पर माँ और बच्चे के लिए होता है और गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में स्त्री जितना आराम करे, यह उसके और उसके बच्चे के लिए अच्छा है। ऐसे में गोद भराई का अवसर आपके लिए बहुत ही थका देने वाला हो सकता है। गोद भराई की रस्म के शुरू होने से पहले आराम कर लें या चाहे तो बीच में भी आराम कर सकती हैं। अधिक थकान आपके और शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
#2. पौष्टिक आहार (Nutritious Food)
गोद भराई के दिन बहुत से मेहमान आते हैं और ऐसे में उस दिन वो स्वादिष्ट खाना बनता है जो एक त्यौहार में बनता है लेकिन होने वाली माँ को पौष्टिक आहार का ही सेवन करना चाहिए ताकि कोई समस्या न हो।
#3. आधुनिक आयोजन (Modern Arrangements)
आजकल गोद भराई का कार्यक्रम भी आधुनिक हो गया है। अगर आप भी नए ज़माने के अनुसार अपनी गोद भराई का कार्यक्रम करने का सोच रही हैं तो पहले एक थीम चुन लें। उसके बाद उसी थीम के अनुसार सजावट करवाए, केक रखें, रिटर्न गिफ्ट रखें और चाहे तो गेम्स भी चुन सकती हैं।
#4 कपड़ों का चुनाव (Choice of clothes)
गोद भराई में माँ को पूरी तरह से सजाया जाता है लेकिन अपनी ड्रेस आप खुद चुने। गोद भराई में ऐसे कपड़े चुने जिन्हें पहन कर आप आरामदायक महसूस करें और लम्बे समय तक उन्हें पहन सकें। अधिक भारी या कढ़ाई वाले कपड़ों को न चुनें। माहौल को हंसी-खुशी भरा और हल्का बनाए रखें ताकि आप और आपका शिशु अच्छा महसूस करें।
गोद भराई होने वाली माँ का कार्यक्रम है और उसी के लिए इसका आयोजन किया जाता है। ऐसे में होने वाली माँ क्या चाहती है इसका खास ख्याल रखना चाहिए। उसकी सहूलियत के अनुसार ही इस कार्यक्रम का दिन और समय चुने। अगर संगीत का प्रोग्राम है तो म्यूजिक अधिक तड़क-भड़क वाला नहीं होना चाहिए। गर्भवती को नाचने या खाने के लिए ज़बरदस्ती न करें। यह खुशी का कार्यक्रम है इसे खुशी से मनाएं ताकि आने वाली खुशियां दोगुनी हो जाएँ।
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