डिलीवरी के बाद होने वाले तनाव के मुख्य कारण व उसके लक्षण

डिलीवरी के बाद होने वाले तनाव के मुख्य कारण व उसके लक्षण

प्रसव के बाद तनाव को प्रसवोत्तर अवसाद या पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी कहते हैं| यह एक प्रकार की मनोदशा हैं जो बच्चों के जन्म के बाद होती हैं| हालांकि इसका सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं हैं| माना जाता हैं कि शारीरिक और भावनात्मक कारणों के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती हैं| हार्मोन परिवर्तन और नींद का अभाव इसके प्रमुख कारण हैं| अत्यधिक उदासी, ऊर्जा में कमी, सोने व खाने की दिनचर्या में परिवर्तन, बात-बात पर रोना और चिड़चिड़ापन आदि इसके लक्षण हो सकते हैं| इसकी शुरुआत आमतौर पर प्रसव के 1 हफ्ते या 1 महीने के बाद होती हैं| यह स्थिति बच्चों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं|

प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण

इसके लक्षण प्रसव के बाद 1 साल तक किसी भी समय उत्पन्न हो सकते हैं| आमतौर पर माना जाता हैं कि प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण कम से कम 2 हफ्तों बाद तक अनुभव होने लगते हैं| इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

प्रसव के बाद तनाव के भावनात्मक लक्षण

  • लगातार उदासी, चिंतन करना या बेसुध दिमाग
  • गंभीर मूड स्विंग
  • कुंठा या निराशा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बिना बात के गुस्सा होना
  • लाचार या असहाय महसूस करना
  • खुद को नाकाबिल समझना
  • आत्मसम्मान में कमी
  • स्तब्धता या खालीपन महसूस करना
  • आराम करने में असमर्थ होना या थकावट महसूस करना
  • बच्चे से परेशान रहना या फिर बच्चे की देखभाल में खुद को असमर्थ पाना|
इसे भी पढ़ें:  मैं से माँ तक का सफर- कितना मुश्किल कितना आसान

प्रसव के बाद तनाव के व्यवहारिक लक्षण

  • सामान्य गतिविधियों में रुझान या खुशी का अभाव
  • ऊर्जा में कमी
  • कामेच्छा में कमी
  • भूख में परिवर्तन
  • स्वयं की खराब देखभाल
  • समाज से दूरी बनाना
  • अनिद्रा या अत्यधिक नींद आना|

प्रसव के बाद तनाव के बोधात्मक लक्षण

  • निर्णय लेने या सही तरह से सोचने में कमी
  • एकाग्रता और याददाश्त में कमी
  • बच्चे की देखभाल न कर पाने का डर
  • खुद को, बच्चों को या फिर पति को नुकसान पहुंचाने का डर लगना|

प्रसव के बाद तनाव के शुरुआत की अवधि

आमतौर पर प्रसव के बाद 2 सप्ताह से 1 महीने के बीच तनाव शुरू हो जाता हैं| कई महिलाओं को तो तनाव प्रसव से पहले ही शुरू हो जाता हैं| इससे महिलाएं कई महीनों या 1 साल तक पीड़ित रह सकती हैं|

प्रसव के बाद तनाव के कारण

डॉक्टर अक्सर हार्मोन असंतुलन को इसका मुख्य कारण मानते हैं और इसके उपचार के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श की सलाह देते हैं हालांकि अध्ययनों से पता चला हैं कि इसमें हार्मोन ही पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं होते हैं बल्कि हार्मोनल व पर्यावरणीय (सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और घरेलू) दोनों ही कारण इसके लिए जिम्मेदार होते हैं| आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं| इसे भी पढ़ें: सयुंक्त व एकल परिवार में बच्चों के रहने के फायदे व नुकसान

#1. भौतिक कारण

बच्चों के जन्म के बाद शारीरिक परिवर्तनों का सबसे बड़ा कारण हार्मोन होते हैं| जब आप गर्भवती होती हैं तो आप में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का स्तर सामान्य से अधिक होता हैं| बच्चों के जन्म के कुछ घंटों के भीतर ही हार्मोन का स्तर पुरानी स्थिति में वापस आ जाता हैं| अचानक यह परिवर्तन अवसाद का कारण बन सकता हैं| कुछ अन्य भौतिक कारण इस प्रकार हैं: थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी नींद का अभाव अपर्याप्त डाइट कुछ चिकित्सकीय स्थितियां|

#2. भावनात्मक कारण

यदि आपको अतीत में मनोदशा संबंधी रोग हुआ हो या आपके परिवार में कोई मन के विकार से पीड़ित हो तो आप में प्रसवोत्तर अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक हो जाती हैं| भावनात्मक तनाव निम्न कारणों से हो सकता हैं:
  • आपका या आपके बच्चे का गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होना
  • सामाजिक अलगाव
  • आर्थिक तनाव
  • पारिवारिक समर्थन में कमी|

#3. सामाजिक कारण

प्रसवोत्तर अवसाद का कारण सामाजिक कारण भी हो सकते हैं जैसे कि लड़के की चाहत, घरेलू हिंसा, गरीबी, संयुक्त परिवार में रहने का दबाव, पारिवारिक समर्थन की कमी और खराब संबंध (पति या ससुराल वालों के साथ) भी भारतीय महिलाओं में अवसाद का कारण बन सकते हैं| इनमें लड़के की चाह और पारिवारिक दबाव अधिक प्रचलित सामाजिक कारण हैं| यदि लड़की पैदा होती हैं तो उस महिला को परिवार में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं| ना चाहते हुए भी मां के आत्मसम्मान और महिला व शिशु के प्रति प्यार कम होने लगता हैं और ऐसा केवल सामाजिक निंदा के कारण होता हैं| इसे भी पढ़ें: बच्चों को सुलाने के 13 आसान तरीके ससुराल के लोगों के साथ समस्याएं, समर्थन न करने वाला पति, महिलाओं का स्वयं की बातों को व्यक्त करने में असमर्थ होना और यहां तक कि गर्भावस्था के दौरान घरेलू हिंसा के कारण भी प्रसव के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो जाती हैं| क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

null