दादी-नानी के 11 सबसे असरदार नुस्खें जो आपको अपनाने चाहिए

दादी-नानी के 11 सबसे असरदार नुस्खें जो आपको अपनाने चाहिए

आप सभी को याद ही होगा कैसे आप सभी की दादी माँ या नानी माँ हमेशा अपनी रसोई में ऐसे ही कुछ ना कुछ नुस्खे निकालती रहती थी जब भी घर में कोई बीमार होता था या कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती थी। इन सब समस्याओं को दूर करने के लिए हमेशा और हर समय दादी और नानी के नुस्खे बहुत काम आते थे और हम अपनी बढ़ती उम्र में इनका अनुभव भी करते रहे हैं।

अब जब आप खुद एक माँ बन चुकी हैं तो आपको भी एक घरेलू नुस्खों (Indian Home Remedies) की सूची तैयार कर लेनी चाहिए जो आपके स्वास्थ्य से संबंधित इन छोटी-छोटी समस्याओं में आपकी सहायता कर सकें। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे दादी और नानी के नुस्खे (Gharelu Nuskhe) जिन्हें अपनाकर आप कभी गलत साबित नहीं होंगी।

 

दादी-नानी के घरेलू नुस्खे (Dadi Nani ke Gharelu Nuskhe in Hindi)

#1. बुखार के लिए घरेलू उपाय

लगभग भारत के सभी घरों में प्याज को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। बात चाहे खाना बनाने की हो या फिर घरेलू उपचारों की, प्याज का भारत की रसोई में एक बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। यदि आपके बच्चो को बुखार हो गया तो दादी या नानी माँ बुखार को कम करने के लिए बच्चे के पैरों पर प्याज के कुछ टुकड़े रगड़ने को कहेंगे।

यह प्याज ना सिर्फ शरीर के तापमान को कम करता है बल्कि यह बच्चे के शरीर पर होने वाली खुजली को भी कम करता है। इसलिए दादी मां और नानी मां के नुस्खे में भारतीय रसोई में प्याज का एक खास महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

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#2. कोलिक यानि पेट की गैस या दर्द के दर्द के लिए हींग

हींग को कोलिक पेन के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है। इसके लिए आप हींग की बहुत छोटी सी मात्रा यानी एक राई के दाने जितनी चम्मच गर्म पानी में डालें और अपने बच्चे को पिला दे। हालांकि आपके छोटे से बच्चे के लिए इसका स्वाद और इसकी खुशबू बहुत मजबूत होगी।

आप चाहे तो हींग को बच्चे के पेट पर भी रगड़ सकती हैं। इससे भी आपके बच्चे को कोलिक पेन और कब्ज से तुरंत आराम मिलेगा। दरअसल हींग की एक छोटी सी मात्रा भी बहुत प्रभावशाली होती है।

 

#3. छाती के लिए कपूर का नुस्खा

जब तक आप दादी नानी के नुस्खे अपना रही है तब तक आपको बाहर जाकर वैपोरब खरीदने की आवश्यकता नहीं है। सर्दियों में बच्चों और शिशुओं की छाती में रक्त संचय का होना बहुत ही आम बात है। आप थोड़ा सा नारियल तेल ले और उसमें कपूर को चुरा कर कर डालें और फिर उन दोनों को गर्म कर ले।

गर्म होने के बाद उसे ठंडा होने के लिए रख दें और फिर उसे अपने बच्चे की छाती और कमर पर इसे लगाएं। कपूर से छाती और गले के रक्त संचार में आराम मिलता है। इससे शिशु का शरीर भी गर्म रहेगा और उसे बुखार या जुखाम नहीं होगा। साथ ही नारियल तेल से शिशु को बहुत फायदा होगा और उसे रात में अच्छी नींद आएगी।

 

#4. शिशु में कोलिक का दर्द और गैस होने पर सरसों के तेल की मालिश

यदि आपका बच्चा कोलिक का दर्द होने पर अपने आप को असहज महसूस कर रहा है और चिड़चिड़ा सा हो गया हो तो आप उस वक्त दादी नानी मां के घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं और यह उनको तुरंत आराम भी दे सकता हैं। उस समय आप अपने बच्चों के पेट पर थोड़ा सरसों का गुनगुना तेल लेकर मसाज करें।

इससे आपके बच्चे के रक्त संचार मे और पाचन तंत्र में सुधार होगा। सरसों के तेल की मसाज से आपके बच्चे को गैस और कब्ज से तुरंत आराम मिलेगा। सरसों का तेल आपके बच्चे के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है और इसकी मसाज करने से बच्चे को नींद भी अच्छी आती है। जब बच्चों को कोलिक का दर्द होता है तो सरसों का तेल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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#5. हल्दी वाले दूध के नुस्खे

चाहे आप बच्चे हो या बड़े हो, जब आपको किसी चीज़ से संक्रमण होता है तो हल्दी वाले दूध से बढ़कर कोई दवा नहीं है। इसके लिए आपको एक चुटकी हल्दी को कुछ गर्म दूध में मिलाकर पीना है।

हल्दी एक बहुत ही प्रभावशाली रोगाणु रोधक का काम करती है और आपको संक्रमण से बचाती है। इसके अलावा हल्दी प्रतिजीवाणु घरेलू दवा मानी जाती है जो आपको विभिन्न संक्रमणों और कीटाणुओं से रक्षा करने में मदद करती है।

 

#6. चोट और खरोच के लिए हल्दी

सूखी हल्दी या फिर हल्दी वाला पेस्ट दोनों ही खुले जख्मों के लिए नानी के नुस्खों में सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। हल्दी को रोगाणु रोधक घरेलू उपचार माना जाता है। इससे आपका घाव संक्रमित नही होता है। इसके अलावा हल्दी में प्राकृतिक प्रज्वलनरोधी गुण होता है जो दर्द और सूजन को तुरंत ठीक कर देता है।

 

#7. काली मिर्च, जीरा और गुड़

कालीमिर्च, जीरा और गुड़ का सर्दी जुखाम के साथ एक गहरा रिश्ता है। यदि आपके बच्चे की नाक बंद हो गई है और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो काली मिर्च, गुड़ और जीरे का मिश्रण एक बढ़िया घरेलू उपचार है बच्चों को इस समस्या से राहत दिलाने का।

अगर छाती में भी कोई समस्या हो जैसे कि अगर उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही हो तो इससे उसमें भी आराम मिलता है। काली मिर्च और जीरा बैक्टीरिया और दूसरे कीटाणु जो संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं उनको दूर करने में सहायता करता है।

 

#8. दस्त लगने पर केले का सेवन

यदि आपके बच्चे के दस्त लगे हुए हैं तो दस्त लगने के कारण आपके शिशु में भारी मात्रा में पोटेशियम की कमी हो जाती है जिससे बच्चे में कमजोरी आने लगती है। इसलिये आपके बच्चे में पोटेशियम की कमी को दूर करने के लिए दादी नानी के नुस्खे में केले का सेवन कराया जाता है।

केले में काफी मात्रा में फाइबर होता है जो आंतो में आई कमजोरी को दूर करता है और दस्त को भी ठीक करता है।

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#9. पेट के दर्द के लिए नुस्खा

अदरक पेट और पाचन से संबंधित बीमारियों का इलाज करने का सबसे पुराना घरेलू उपाय हैं। यदि आपके बच्चे के पेट मे दर्द है या उसे उल्टी जैसा महसूस हो रहा है तो आप उसे अदरक और शहद को मिला कर दे सकते हैं।

अदरक और शहद का मिश्रण इस समस्या के लिए सही घरेलू उपचार है। अदरक पाचन तंत्र की क्रिया को ठीक करने का और उससे संबंधित अन्य कोई समस्या हो तो यह उसे ठीक करने का एक सही तरीका है।

 

#10. छोटी माता/ चिकन पॉक्स होने पर नीम का पेस्ट

बच्चों में यह समस्या होने पर आप उनके शरीर पर नीम का पेस्ट भी बनाकर लगा सकते हैं। इसके अलावा आप जब बच्चों को नहलाती है तो आप उसके नहाने वाले पानी में नीम की कुछ पत्तियों को मिला दे।

यह आपके बच्चे को छोटी माता के निशानों से और उससे होने वाली खुजली की समस्या से आराम देगा क्योंकि नीम एक ऐसी प्राकृतिक दवा है जिसमें जीवाणु व कीटाणु रोधक के गुण पाए जाते हैं।

 

#11. यात्रा में उल्टी आने पर नींबू

यदि आपका बच्चा हर समय कमजोरी महसूस करता है या फिर आपको लंबी यात्रा के लिए जाना है, ऐसी स्थिति में दादी या नानी माँ आपको कुछ नींबू का जूस लेने के लिए कहेंगी क्योंकि नींबू का रस मुहं की लार को बढ़ाता है जिससे आपके बच्चे में मोशन सिकनेस की कमजोरी दूर हो जाती है और वह अपने आपको तरोताजा और सही पाता है।

 

नोटः हालांकि यह अवश्य ध्यान रखें कि घरेलू नुस्खे केवल बीमारी के लक्षणों दिखते समय या छोटी मोटी बिमारियों में ही कारगर होते हैं। अगर इन घरेलू नुस्खों के बाद बच्चे की समस्या बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। किसी भी नुस्खे पर गौर करने से पहले ध्यान रखें कि छह माह से पहले बच्चे को कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए।

 

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