शिशु की नींद से जुड़े सबसे आम 7 मिथक

शिशु की नींद से जुड़े सबसे आम 7 मिथक

हर मां अपने शिशु की नींद को लेकर बहुत परेशान रहती है कि उसे अपने शिशु को कैसे सुलाना चाहिए और कैसे नहीं। मां को यही चिंता रहती है कि वह अपने शिशु को किस तरह से सुलाए कि उसे अच्छी नींद आ जाए और वह बार-बार जागे नहीं। बच्चों की नींद को लेकर बहुत सारे मिथक (Baby Sleep Myths) भी होते हैं।

 

ऐसे में महिलाएं या तो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी देखती है या फिर अपने परिवार में या अपने दोस्तों से पूछती है कि बच्चों को कैसे सुलाया जाए? इन सब बातों से कभी-कभी मां दुविधा में पड़ जाती है। तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ रोचक तथ्य जो आपके शिशु की नींद से जुड़े हुए होते हैं।

 

शिशु की नींद से जुड़े 7 रोचक मिथक (Common Sleep Myths about Babies in Hindi)

मिथक 1. आप अपने शिशु को कोने में सुलाएं

यह बच्चों की नींद का सबसे आम मिथक है। आप अपने बच्चों को सुलाते समय यह सुनिश्चित कर ले कि बच्चे सीधे सो रहे हो। आप अपने बच्चों को कभी भी पेट के बल या फिर कभी कोने में ना सुनाएं। इससे बच्चों को शिशु मृत्यु सिंड्रोम (Sudden Death Syndrome) हो सकता है।

अगर आप डॉक्टर से राय लेंगे तो डॉक्टर भी आपको यही सलाह देंगे कि बच्चे को सुलाने का सबसे सही तरीका पीठ के बल ही होता है।

 

मिथक 2. जब तक आपका शिशु 6 महीने का नहीं होता है तब तक वह पूरी रात नहीं सोता है

शिशु को नींद उनकी उम्र के हिसाब से नहीं आती है बल्कि यह कई कारको पर निर्भर करती है। जैसे कि वह कितना खाना खा रहे हैं, क्या खाना खा रहे हैं, उनका वजन कितना है, वह जिस वातावरण में सो रहे हैं वह वातावरण कैसा है, यह सब इन जैसी चीजों पर भी निर्भर करता है।

यहां तक कि शिशु का स्वास्थ्य और कमरे का तापमान भी बताता है कि बच्चा कितनी देर तक सो सकता है। शिशु 4 महीने के बाद थोड़े बड़े हो जाते हैं और अपने आप सोने में सक्षम भी हो जाते हैं। अगर आपके शिशु का सोने का वातावरण सही होगा तो वह पूरी रात तक सो सकता है।

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मिथक 3. आप अपने शिशु को सोते समय कभी ना जगाए

यह शिशु की नींद का सबसे आम मिथक है जिसमें यह कहा जाता है कि बच्चों को सोते समय नहीं जगाना चाहिए। कुछ शिशु और बच्चों के मुकाबले ज्यादा अच्छे से सोते हैं व आसानी से नींद ले लेते हैं और दिन में भी कई घंटों तक सो जाते हैं। अगर आपका शिशु दिन में काफी देर तक सो लेता है तो उसे रात को सुलाना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए अगर आप चाहती हैं कि आपका शिशु रात को अच्छी तरह सोए और पूरी नींद ले तो जरूरी है कि आप उसके दिन का सोने का समय निर्धारित कर ले। इसे आपके शिशु को रात में अच्छी नींद आएगी और वह जागेगा नहीं। इससे आपको भी परेशानी नहीं होगी और आप भी अपनी पूरी नींद सो पाएंगी।

 

मिथक 4. आप अपने शिशु को अपने आप से सोना सिखाएं

यह मिथक भी शिशु की नींद को लेकर बहुत आम है। ज्यादातर सभी महिलाएं चाहती हैं कि उनके शिशु आत्मनिर्भर बने परंतु यह बिल्कुल ही गलत है। शिशु 12 हफ्ते तक अपने आप कुछ नहीं कर सकते हैं।

आप अपने शिशु को जब तक वह 3 महीने का नहीं हो जाता उसे इस चीज़ के लिए धक्का ना करें । जब आप देखे कि आपका शिशु नींद में है तो आप उसे उठा कर बेड पर सुला दे। इससे वह धीरे-धीरे अपने आप सोना सीख जाएगा।

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मिथक 5. जब आपका शिशु नींद में जाग जाए तो आप उसे कुछ खिलाए या पिलाए

हालांकि यह बात सच है कि जब शिशु को भूख लगती है तो वे रात में जाग जाते हैं। परंतु यह कहना गलत होगा कि जब भी वे आधी रात को जागते हैं तो वह हमेशा भूखा ही हो। शिशु के आधी रात के जागने के और भी कई कारण हो सकते हैं।

जैसे कि जब वे असुविधाजनक हो, बीमार हो, कोई थोड़ी सी आवाज के कारण उन्हें नींद नहीं आ रही हो या फिर दिन में ज्यादा देर तक सोने के कारण भी अक्सर उनकी रात मे नींद खुल जाती है। इसलिए आप शिशु को कुछ भी खिलाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि उनकी नींद क्यों खराब हुई है।

अगर आप हमेशा ही आधी रात में शिशु को कुछ न कुछ खिलाते रहेंगे तो यह उसकी हमेशा के लिए एक आदत बन जाएगी। वह हमेशा आधी रात होने पर रोजाना खाने के लिए मांगेगा और समय के साथ यह उसकी जरूरत भी बन जाएगी।

 

मिथक 6. शिशु को हमेशा ढक कर नहीं सुलाना चाहिए

यह मिथक आपने परिवार के कई सदस्यों से सुना होगा। अध्ययन में यह कहा गया है कि जो शिशु चार-पांच महीने से छोटे होते हैं वे बेहतर नींद लेते हैं। यह होना मुमकिन है कि जब भी आप अपने शिशु को ढक कर सुलाएं तब उन्हें थोड़ी मुश्किल हो या फिर वह रोने लगे।

इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें ढकना पसंद नहीं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि या तो आपने अपने बच्चे को ज्यादा कसकर ढक दिया है या फिर उसे गर्मी लग रही हो।

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मिथक 7. शिशु को रात में ही सुलाना सिखाना अच्छा होता है

शिशु के लिए दिन और रात बहुत छोटे होते हैं। अगर आपका शिशु रात में नहीं सो पाता है तो आप उस पर दबाव ना डालें। अगर उसे दिन में ज्यादा नींद आती है तो उसे दिन में ही सुलाएं।

आप बस इतना ध्यान दें कि वह सोने से पहले थोड़ी सी गतिविधि कर ले ताकि जिससे वे थकान महसूस करके जल्दी सो जाएं क्योंकि शिशु का सोने का समय कोई निर्धारित नहीं होता है। वे जब भी थकावट महसूस करते हैं तभी सो जाते हैं।

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