बच्चों के सुस्त होने के कारण व उपाय

बच्चों के सुस्त होने के कारण व उपाय

बच्चे नटखट करते हुए ही अच्छे लगते हैं। बच्चों की शरारतें हम सभी को बेहद पसंद आती है। लेकिन कई बार बच्चे बेवजह शांत या सुस्त नजर आने लगते हैं। बच्चों के सुस्त होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कोई बीमारी या चोट या मानसिक तनाव। सुस्त बच्चे देखकर हम कहते हैं कि बच्चा बीमारी या शायद स्वभाव से ही शांत है पर असल वजह कुछ और भी हो सकती है। सुस्त बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है यह जानना आपके लिए बेहद अहम और जरूरी होता है। आइयें जानते हैं बच्चों के सुस्त होने के क्या कारण होते हैं और कैसे सुस्त बच्चों को चुस्त बनाएं?

बच्चों के सुस्त होने की मुख्य वजहें (Causes of Inactive Kids in Hindi)

  • नींद पूरी ना होना
  • पोषण की कमी
  • कमजोरी
  • बीमारी
  • मानसिक विकार
  • दवाइयों का असर
  • हाइपर थायरोइड
  • एनीमिया
  • मानसिक तनाव
 

नींद पूरी ना होना

छोटे बच्चों को अमूमन नौ से दस घंटे की नींद जरूरी होती है। अगर वह केवल 7 घंटे ही सोते हैं तो यह उनके दिनभर के कामकाज को प्रभावित करती है। नींद पूरी ना हो तो बच्चे चिड़चिडे या सुस्त रहते हैं। नींद पूरी ना होने की वजह से बच्चों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।  

पोषण की कमी

बच्चों में पोषण की कमी भी बच्चों के सुस्त होने का मुख्य कारण हो सकती है। अगर बच्चे ज्यादा जंकफूड खाते हैं या सही से भोजन नहीं करते हैं तो उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते। बच्चों के सही विकास के लिए विटामिन, प्रोटीन, आयरन के साथ डीएचए (DHA), जिंक, कैल्शियम आदि की भी विशेष आवश्यकता होती है।  

शारीरिक कमजोरी

शारीरिक कमजोरी भी खानपान से ही जुड़ी है। अगर बच्चा सही से खाएगा नहीं तो कमजोर होगा। कमजोर होगा तो सीधी सी बात है बच्चा काफी बीमार पड़ेगा और सुस्त रहेगा।  

बीमारी

अस्थमा, टीबी, दिमागी बुखार, आंखों में दर्द या माइग्रेन भी बच्चों के सुस्त रहने की एक वजह होती है। अस्थमा या सांस की बीमारी होने पर बच्चे ज्यादा देर तक खेल नहीं पाते। ऐसा एनीमिया के केस में भी होता है। आयरन की कमी या खून की कमी होने पर देर तक खेलने पर बच्चे थक जाते हैं। दिल की बीमारियों मे भी बच्चे सुस्त हो जाते हैं।  

मानसिक विकार

मानसिक विकार जैसे ऑटिज्म या अकेलापन भी बच्चों को सुस्त बनाता है। इन मानसिक विकारों को आप बेहद आसानी से पहचान सकते हैं। कई बार बच्चों को दूसरों से बातचीत करने में डर और झिझक होती है जिस कारण वह सुस्त रहते हैं और खेलते नहीं। ऐसे विकार सामने आने पर उनसे बात करें और डॉक्टर की सलाह लें। इन केसों में आपको भी बेहद सतर्क और ज्यादा मेहनत करनी होती है।  

दवाइयों का असर

कुछ खास दवाइयों जैसे दमे, नींद, एलर्जी या खांसी की कुछ दवा बच्चों को सुस्त बना देती है। अगर आपका बच्चा ऐसी कोई दवा लेता है तो कोशिश करें कि यह दवा केवल सोने से पहले दें या इससे बच्चे के सुस्त होने की बात डॉक्टर को बताएं।  

मानसिक तनाव

अब भला बच्चों को किस बात का तनाव या उन्हें किस बात की टेंशन? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप बेहद गलत हैं। हाल के कई शोधों से यह बात पता चला कि छोटे बच्चे यहां तक कि तीन साल के छोटे बच्चे को भी तनाव या डिप्रेशन हो सकता है। यह सब हालातों पर निर्भर कर सकता है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत में हर घंटे लगभग दो छात्र अपनी पढ़ाई या अन्य कारणों से मौत को लगे लगा लेते हैं। आलम यह है कि दुनिया में मात्र 6 वर्ष की आयु में आत्महत्या करने या इसकी कोशिश करने वाली खबरें भी हैं। बच्चों में मानसिक तनाव के कुछ खास कारण निम्न हो सकते हैंः
  • अपने छोटे या बड़े भाइयों से मनमुटाव
  • खुद को अपेक्षित समझना यानि यह समझना कि माता-पिता हमें प्यार नहीं करते
  • पढ़ाई में पीछे रहना
  • खुद को पिछड़ा हुआ समझना
  • शारीरिक शोषण
बच्चों का शारीरिक शोषण एक ऐसी चीज है जिससे बच्चों के कोमल मन को काफी गहरा आघात पहुंचता है। बच्चे सालों तक यह समझ ही नहीं पाते कि आखिर उनके साथ ऐसा हुआ क्यों है और हो क्या रहा है। बच्चों के गुमसुम रहने का यह एक कारण भी काफी अहम होता है जिसे माता-पिता को नजरअंदाज  नहीं करना चाहिए विशेषकर अगर आपका हंसता खेलता बच्चा एकदम चुपचाप रहने लगे।  

अगर आपका बच्चा सुस्त हो तो क्या करें (Cure of Inactivity in Hindi)

अगर आपका बच्चा हमेशा थके रहने या नींद ना आने की शिकायत करे या गुमसुम रहने लगे तो आपको निम्न कदम जल्द से जल्द उठाने चाहिएः

बच्चों के आहार पर दें ध्यान

बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। ऐसे आहार शामिल करें जो उनकी दिमागी क्षमता को बढ़ाएं। बादाम, मछली, फ्रेश सब्जियां और फल, पालक और विशेषकर ऐसे खाद्य प्रदार्थ जो डीएचए (DHA) से भरपूर होते हैं बच्चों की डाइट में अवश्य शामिल करें।  

डॉक्टर से सलाह लें

अगर आपका बच्चा काफी सुस्त है तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। हो सकता है बच्चे को कोई बीमारी हो जिस कारण वह सुस्त रहता हो। टीबी या दमा जैसे बीमारियां जल्दी सामने नहीं आती।  

बच्चे के गिरते वजन पर रखें नजर

अगर उम्र के अनुरूप बच्चे का वजन कम है या हाल फिलहाल में बच्चे का वजन एकदम से कम हुआ है तो इस पर खास ध्यान रखें।  

मनोवैज्ञानिक से करें संपर्क  

अगर बच्चे को कोई दिमागी समस्या या मनोविकार है तो कोशिश करें कि किसी साइकेट्रिस्ट से सम्पर्क करें। इससे झिझके नहीं, आजकल डिप्रेशन बेहद आम है। याद रखें कि बच्चों के सुस्त रहने के कारण को अगर समय पर समझा जाए तो इसे बेहद आसानी से कम समय में दूर किया जा सकता है। आपको जरूरत है तो केवल समय पर सजग रहने की।    

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