आप सोचती होंगी कि आपके शिशु को सोते वक्त पसीना क्यों आता है या उसके सिर से इतना पसीना क्यों बहता है। वैसे तो यह शंका हर माता-पिता करते हैं परंतु उन्हें इस चीज़ के बारे में ज्यादा परेशानी होती है। परंतु क्या आप जानते हैं कि शिशु को सोते वक्त पसीना आना एक आम समस्या है क्योंकि बच्चों के शरीर में गर्मी होती है जो उनके पसीने के रूप में बाहर निकलती है। वैसे तो बच्चों को सोते समय पसीना (sote samay pasina aana) आना कोई चिंता का विषय नहीं है परंतु अगर पसीना जरूरत से ज्यादा आए तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि बच्चों को सोते समय पसीना (Sweating While Sleeping) क्यों आता है।
जब आपका बच्चा शांति से चैन की नींद सोता है तो आपको भी बहुत अच्छा लगता है और यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। ऐसे में अगर आपके बच्चे को सोते वक्त पसीना बहुत अधिक आता है तो यह एक चिंता का विषय है परंतु इसके लिए आप बच्चे की हथेलियों और पैरों में कितना पसीना आता है यह चेक करें क्योंकि नवजात बच्चों के सिर पर तो पसीना आता ही रहता है। पसीना आने (Sote hue Pasina Aana) के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार है:
ज्यादा गर्मी की वजह से बच्चों को सोते समय पसीना आ सकता है। जहां बच्चा सो रहा है अगर वहां का तापमान और वातावरण अत्यधिक गर्म और उमस भरा हो तो इससे छोटे बच्चे पसीने से भर जाएंगे। इसलिए आप छोटे बच्चों को सोते वक्त ज्यादा चादर में ना लपेटे वरना बच्चों को ज्यादा पसीना आएगा और वह सुबह जल्दी भी उठ जाएंगे।
#2. बुरे सपने आना या डर लगना (Bad dreams or Fear)
डर और सक्रिय कल्पना शक्ति के कारण छोटे बच्चों को बुरे सपने आते रहते हैं और उन्हें सपने में डर लगता रहता है जिसके कारण उनके चेहरे और सिर पर पसीना आता रहता है।
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स्लीप एपनिया समय से पहले जन्मे शिशु को अधिक पसीना आने का सबसे सामान्य कारणों में से एक है जिसके कारण बच्चों की सांस थोड़ी देर के लिए रुक जाती है। बच्चा इस दौरान सांस लेने की कोशिश कर रहा होता है जिसके कारण उसे बहुत ज्यादा पसीना आता है। स्लीप एपनिया के कई अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे कि घबराहट, पीली त्वचा और सांस लेने में दिक्कत होना इत्यादि।
बिना किसी कारण के शरीर से पसीने का निकलना एक मेडिकल समस्या है जिसे हाइपर हाइड्रोसीस कहते हैं। इसलिए यदि आपके बच्चे को एक ठंडे कमरे में भी पसीना आता है तो हो सकता है कि आपके बच्चे हाइपर हाइड्रोसीस से पीड़ित हो जिसके कारण ऐसी स्थिति में बच्चों के हाथ, हथेलियों, सिर और पैर में अधिक पसीना आता है। हालांकि यह कोई गंभीर समस्या नहीं है परंतु आप कुछ चिकित्सा सहायता के द्वारा इसका इलाज कर सकते हैं।
पसीना आने का कारण बुखार भी हो सकता है क्योंकि बुखार के दौरान बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य से ऊपर होता है जिसके कारण आपके बच्चे को पसीना आ सकता है। इसलिए अगर बच्चों को ज्यादा पसीना आ रहा है तो आप साफ थर्मामीटर से अपने बच्चे का बुखार चेक करें।
अगर सोते वक्त रात को बच्चों को ज्यादा पसीना आता है तो आप यह समझ ले कि यह पसीना आपके शिशु के कमजोर गुर्दों की ओर इशारा कर रहा है जिसके कारण बच्चों में बार-बार प्यास लगती है और शिशु को पसीना भी अधिक आता है। इसे नाइट सिंड्रोम भी कहा जाता है।
जन्मजात हृदय रोग भी बच्चों में पसीना आने का कारण हो सकता है। इससे बच्चों को खेलते समय या फिर भोजन करते समय भी पसीना आता है। यह भी बच्चों में आम समस्या होती है। बच्चों में दोषपूर्ण जीन्स होने के कारण सिस्टिक फाइब्रोसिस कौन जेनिटल हृदय रोग हो सकता है जिसके कारण बच्चों में पसीना आता है।
थायराइड की समस्या के कारण भी बच्चों को रात में सोते समय पसीना आता है।
डॉक्टरों के अनुसार नींद में या सोते हुए पसीना आना कैंसर का भी लक्षण होता है। अगर बच्चे को अत्यधिक पसीना आता है तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।
जिनका ब्लड प्रेशर लो होता है उनको भी पसीना आता है। यह एक आम बात है इसलिए जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उन्हें पसीना बहुत आता है।
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