बुखार यानी शरीर के तापमान का बढ़ जाना कोई असामान्य बात नहीं है। मौसम के थोड़े से बदलने से ही शरीर का तापमान बढ़ जाता है।। बुखार होने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन गर्भावस्था में बुखार होना किसी बड़ी परेशानी का कारण हो सकता है। गर्भावस्था में होने वाली माँ की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। ऐसे में किसी भी रोग से जल्दी प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।
बुखार आपके या गर्भ में आपके शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था में बुखार का इलाज कैसे किया जाना चाहिए। इससे पहले बुखार के सही कारण का पता होना बहुत जरूरी है। इस लेख के कुछ महत्वपूर्ण बिंदू निम्न हैंः
गर्भावस्था में बुखार (Pregnancy mein bukhar) है, तो सबसे पहले जाने कि इसका कारण क्या है। अगर आपको इसका कारण पता होगा तभी आप सही इलाज करा पाएंगे। जानिए किन-किन कारणों से गर्भावस्था में आपको बुखार हो सकता है।
सामान्य सर्दी-जुकाम होने पर गर्भवती महिला को बुखार हो सकता है। इसे ठीक होने में कम से कम पांच दिन लगेंगे। इससे बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें। क्योंकि इस दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसके साथ ही घरेलू नुस्खों के प्रयोग से भी आपको इसमें राहत मिल सकती है।
मूत्र संक्रमण होना गर्भावस्था में सामान्य है। गर्भावस्था में लगभग पंद्रह प्रतिशत महिलाएं इसका शिकार होती हैं। इस संक्रमण से भी बुखार हो सकता है।
मौसम के बदलने के साथ होने वाला फ्लू भी गर्भावस्था में बुखार का एक कारण है। फ्लू आमतौर पर तीन दिन तक रहता है। फ्लू होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाई लें। बुखार का कारण वायरल भी हो सकता है यह एक प्रकार का बुखार है, जो इंफ्केशन की वजह से होता है।
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अगर आपके पेट में समस्या हो तो आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी पेट का फ्लू होने की संभावना अधिक रहती है। इस स्थिति में भी आपको बुखार हो सकता है।
किडनी में इन्फेक्शन होने के कारण भी गर्भावस्था में बुखार हो सकता है। अगर ऐसा है तो तुरंत इसकी जाँच करा कर इलाज कराएं।
टाइफाइड भी एक संक्रमण है जो गंदे भोजन और पानी से फैलता है। इसका एक लक्षण बुखार भी है। अगर गर्भावस्था में टाइफाइड है तो डॉक्टर से ही इलाज कराएं। निमोनिया होने पर भी आप बुखार का शिकार हो सकती हैं। इसके लिए आप टेस्ट कराएं और जल्द से जल्द उचित इलाज कराएं।
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी के काटने पर होता है। बरसात में इसके फैलने की संभावना अधिक होती है। गर्भावस्था के दौरान भी डेंगू होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए सही समय पर इसके लक्षणों को पहचानना और इलाज जरूरी है नहीं तो समय से पहले प्रसव,फेटल ट्रांसमिशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही मलेरिया और चिकनगुनिया भी बरसात में मच्छरों की वजह से फैलते हैं। इन रोगों के कारण भी बुखार हो सकता है।
जब महिला गर्भवती होती है तो शुरुआत में उन्हें हल्का बुखार हो सकता है। इसे बेसल बॉडी टेम्परेचर कहा जाता है। अगर आपके पीरियड दो सप्ताह तक ना आएं और ओव्यूलेशन के समय आपके शरीर का तापमान अधिक हो तो आप जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं।
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गर्भावस्था में अगर आपको बुखार है तो आपको सबसे पहले अपने डॉक्टर कि सलाह लेनी चाहिए। इसके पीछे कारण कोई भी हो लेकिन डॉक्टर की जाँच जरूरी है।
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अगर आपको सामान्य सर्दी-जुकाम है तो आप घरेलू नुस्खों का उपयोग कर के भी राहत पा सकते हैं। जैसे:
अगर गर्भावस्था में आपके शरीर का तापमान 98.6 से 102℉ तक हो जाता है तो यह खतरे का संकेत है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं, शिशु के लिए भी यह हानिकारक है। गर्भावस्था में तीन से चार दिन से ज्यादा अगर आपको बुखार है तो इसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि तुरंत अस्पताल या डॉक्टर से मिले ताकि सही समय पर उचित इलाज करा कर किसी भी आपातकालीन स्थिति से बचा जा सके।
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