जानिए स्तनपान करने वाले बच्चों की पॉटी के बारें में

जानिए स्तनपान करने वाले बच्चों की पॉटी के बारें में

एक माँ के जीवन में नवजात शिशु का आगमन खुशियों, उत्साह और ढेर सारी जिम्मेदारी के साथ होता है| शिशु के बारे में अन्य परेशानियों के साथ-साथ एक चिंता का विषय है शिशु की पॉटी। शिशु की पॉटी का रंग, गंध या गठन कई चीज़ों पर निर्भर करता है जैसे शिशु की उम्र, शिशु स्तनपान करता है या अन्य दूध का सेवन करता है, इसके साथ ही वो क्या खाता है। बच्चे की पॉटी की बारें में पूर्ण जानकारी होना बेहद जरूरी है क्योंकि यह काफी चीजों की तरफ इशारा करता है। आइयें बच्चोंं की पॉटी के बारें मे पूरी जानकारी ( Breastfed Baby Poop Guide in Hindi) पाएं। अगर शिशु सामान्य रूप से पॉटी कर रहा है और उसका वजन बढ़ रहा है तो समझ लें कि सब ठीक है। लेकिन अगर शिशु के पॉटी सामान्य से अलग हो, रंग बदला हुआ हो और शिशु का वजन न बढ़ रहा हो तो यह शिशु के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का प्रतीक हो सकता है। शिशु की पॉटी के रंग, आकार या गंध से शिशु के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ पता चलता है इसीलिए माता-पिता को अक्सर शिशु की पॉटी की जांच करते रहना चाहिए। Read: सार्वजनिक स्तनपान के लिए 6 टिप्स

स्तनपान करने वाले बच्चों के पॉटी जाने के ऊपर पूरी जानकारी ( Breastfed Baby Poop Guide in Hindi)

कैसी होनी चाहिये स्तनपान करने वाले शिशु की पॉटी (How should be Breastfeeding baby's potty)

माँ का दूध शिशु के शरीर में लैक्सेटिव के रूप में काम करता है। शिशु के जन्म से अगले कुछ दिन तक अगर शिशु माँ के दूध का सही से सेवन करता है तो उसकी पॉटी में भी परिवर्तन आने लगता है। पहले शिशु की पॉटी सख्त और भूरे या हरे रंग की हो सकती है। कई बच्चों की पॉटी पहले कुछ दिन काली होती है। एक हफ्ते के बाद उसका रंग पीला हो जाता है, हो सकता है कि इससे कोई गंध ना आये। इसके बाद जो शिशु माँ का दूध पीते हैं उनकी पॉटी दानेदार या फ़टे हुए दूध की तरह हो सकती है।

शिशु के पॉटी करने का समय (Baby’s potty time)

जन्म के कुछ दिनों तक शिशु दूध पीने के बाद हर बार पॉटी करता है लेकिन इसके बाद उनकी यह आदत बदल जाती है और एक दिनचर्या बन जाती है उसके बाद वो निश्चित समय पर ही मल त्याग करता है। शुरुआत में शिशु दिन में चार से पांच बार पॉटी कर सकता है। अगर शिशु की पॉटी नरम है और उसे मल त्याग त्याग करते हुए कोई समस्या नहीं हो रही है तो समझ जाएं कि शिशु स्वस्थ है। लेकिन अगर पॉटी करते समय शिशु को कोई समस्या आ रही हो तो उसके पीछे उसकी खराब सेहत हो सकती है या हो सकता है कि उसे पूरा आहार नहीं मिल रहा हो या अन्य भी कोई कारण हो सकता है। जन्म के लगभग एक महीने तक शिशु के मल त्यागने का कोई निश्चित समय नहीं होता है लेकिन उसके बाद उसकी दिनचर्या सामान्य हो जाती है।

गंध (Smell)

जन्म से कुछ समय बाद तक शिशु की पॉटी से कोई भी गंध नहीं आती है लेकिन कुछ समय बाद इसमें अलग-अलग तरह की गंध आने शुरू हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशु की पॉटी में बदबू होना बहुत ही सामान्य है। अगर शिशु का मल बहुत ही बदबू भरा हो तो समझ जाएँ कि शिशु के पाचन तंत्र में समस्या हो सकती है। कई बार अगर मां कुछ खट्टा या तीखा खा ले तो भी बच्चों की पॉटी से स्मेल आ सकती है।

पॉटी का रंग (Color of Potty)

जन्म के पहले दिन शिशु की पॉटी का रंग काला होता है, दूसरे दिन गहरा हरा या काला, तीसरे दिन हरा या भूरा, चौथे दिन गहरा भूरा और पांचवें दिन गहरा पीला हो सकता है। इसके बाद जब शिशु पर्याप्त माँ का दूध पीने लगता है तो यह पीले रंग में परिवर्तित हो जाती है। अगर आपका शिशु अच्छे से पॉटी नहीं कर रहा है तो इसका कारण यह भी हो सकता है कि उसे पर्याप्त दूध न मिल रहा है। Read: सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराना हो तो अपनाएं यह 8 टिप्स

क्या बताता है शिशु की पॉटी का रंग (Baby's Potty Color Guide in Hindi)

हरा (Green Color of Kids Potty)

शुरुआती दिनों में शिशु की पॉटी का रंग हरा होना बहुत ही सामान्य है। इसका कारण माँ का खान-पान हो सकता है या यह भी हो सकता है कि शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा हो।

काला (Blackish Potty of Kids)

शिशु के जन्म के पहले या दूसरे दिन उसकी पॉटी का रंग काला होगा लेकिन अगर उसके बाद भी उसका रंग काला या गहरा ही हो तो यह समस्या का कारण हो सकता है। ऐसा हो सकता है कि जठरांत्र प्रणाली या पाचनतंत्र में रक्तस्त्राव हो रहा हो। ऐसे स्थिति में अपने डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करें। अगर शिशु की माँ के स्तन में कोई घाव हो और वो वहां से दूध के साथ खून अपने अंदर ले जा सकता है तो ऐसी स्थित में भी उसकी पॉटी काली हो सकती है।

लाल (Red Color Poop of Babies)

अगर शिशु के पेट में कोई घाव हो या रक्तस्त्राव हो तो इससे शिशु की पॉटी लाल हो सकती है हालाँकि कई बार माँ के खाने से भी ऐसा हो सकता है लेकिन इस स्थित में भी शिशु को डॉक्टर के पास अवश्य ले जाना चाहिए।

सफेद या चिपचिपा

स्तनपान करने वाले शिशु का बहुत हल्का पीला या सफेद रंग की पॉटी भी शिशु के स्वास्थ्य समस्या का प्रतीक है। इस स्थिति में भी बच्चे को डॉक्टर के पास अवश्य ले जाना चाहिए। Read: नवजात के पहले 6 महीने के लिए 5 टिप्स

पॉटी में चिपचिपापन

पॉटी का चिपचिपा होना या उसमें लेस होना या उसमे गांठें होना बहुत ही सामान्य है। लेकिन शिशु की पॉटी का कभी-कभी ऐसा होना सामान्य है लेकिन अगर समस्या रोज हो या अधिक मात्रा में हो तो, हो सकता है कि शिशु को किसी भोजन से एलर्जी हो। यह समस्या आंतों में कुछ जलन के कारण भी हो सकती है, यह आँतों में संक्रमण हो सकता है या यह अन्य स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।

माँ के खाने पर निर्भर करती है शिशु की पॉटी

नवजात शिशु अपनी माँ के दूध पर निर्भर रहता है ऐसे में शिशु की पॉटी कैसी होगी इसमें भी खाना-पीना बहुत मायने रखता है। अगर माँ तरल पदार्थ, डेयरी उत्पाद और रसीले फलों आदि को खाती है तो शिशु की पॉटी तरल हो सकती है। ऐसे ही अधिक अनाज का सेवन करने से शिशु की पॉटी का रंग (Colour of Kids Potty) हल्का पीला होगा। माँ के द्वारा अधिक तला भुना, भारी या मसालेदार भोजन खाने से शिशु के पेट में दर्द हो सकता है या शिशु की पॉटी में भी बदलाव आ सकता है। इसीलिए जब शिशु स्तनपान करता हो तो माँ को हल्का और पौष्टिक भोजन खाने की सलाह दी जाती है। क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

null