माँ बनकर मैंने जाना कि अगर आप एक कॉन्फिडेंट माँ हैं तो फिर उससे बेहतर कुछ नहीं है। आज मैं कह सकती हूँ कि मैं एक कॉन्फिडेंट और खुश माँ हूँ। पर क्या मेरा सफ़र हमेशा से ही ऐसा रहा? जी नहीं, मेरे हिस्से भी वो सब आया जो हर एक नई होने वाली माँ के हिस्से आता है। बच्चे के जन्म को लेकर डर, बिना सोए कटी कुछ रातें, मॉर्निंग सिकनेस और बाकि सब जो लगभग हर होने वाली माँ महसूस करती है।
माँ बनने के बाद अपने आप सब सीख जाते हैं ऐसा सब सुनते हैं, पर मेरा मानना है कि अपने आप कुछ नहीं होता आपको जानकारी होना , जानकारी लेना बहुत जरुरी है। मैंने बच्चे के पैदा होने से पहले ही सब जानकारी ले ली थी कि बच्चे के लिए ब्रेस्टमिल्क कितना जरुरी है, कब तक देना है।
ब्रेस्टफीडिंग के समय मैंने बहुत सी दिक्कत का सामना किया, बच्चे का रात-रात भर ना सोना,दूध पिलाते हुए दर्द होना और उन सबके ऊपर लोगों की बातें, “ बच्चा तो बहुत पतला है, इसे फ़ॉर्मूला फीड करवाना शुरू कर दो”, तुम्हें दूध कम आता है, इसका पेट नहीं भरता है और ना जाने क्या क्या। मुझे आज भी याद है कि बस लोगों की बात सुन सुन कर ही मैंने ये माँ लिया था कि शायद सच मैं ही मेरी मिल्क सप्लाई मेरे बच्चे के लिए काफी नहीं है।
शायद बाकि लोगों को ये बाद बहुत ही नॉर्मल लगे पर एक माँ के लिए इससे बड़ी बात नहीं है कि वो अपने बच्चे का पूरी तरह से पेट नहीं भर पा रही है। इसलिए हर माँ मेरी ये बात जरुर महसूस करेगी।
एक दिन इंटरनेट पर मैंने कुछ पढ़ा जो कुछ ऐसा था:
माँ के दूध से बढ़कर कोई आहार नहीं,
जो शिशु को स्वस्थ बनाये कोई दूसरा अविष्कार नहीं.
बात छोटी थी पर मायने बहुत गहरे थे, मैंने ठान लिया था कि मैं 6 महीने तक तो अपने बच्चे को दूध जरुर पिलाऊँगी। इन सब के बीच मैंने बस एक ही चीज याद रखी कि मेरे बच्चे को मुझे 6 महीने तो ब्रेस्ट फीड करवाना ही है। मैंने इसके बारे में और जानकारी ली और यकीन माने आज मैं एक स्ट्रोंग और कॉन्फिडेंट माँ हूँ।
मैंने 6 महीने तक अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड करवाया और उसके बाद भी महीने दर महीने ही नया खाना उसकी डाइट में शामिल किया गया और एक टाइम मैं ब्रेस्ट फीड करवाती रही।
मैंने 8 महीने बाद जब दुबारा काम पर जाना शुरू किया तो मैंने ब्रेस्टपंप की मदद से मिल्क पंप करना शुरू किया। क्योंकि मैं चाहती थी कि मेरे बच्चे को थोड़ा बहुत मिल्क मिलना ही चाहिए। ऐसे में मेरी सप्लाई भी इससे बढ़ी।
इसी बीच मेरे दिमाग में हमेशा चलता रहता था कि कई माँ है जो किसी ना किसी कारण के चलते जब ब्रेस्टमिल्क बच्चों को नहीं पिला पाती हैं तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा। या यूँ कहूँ कि मेरी अपनी परेशानी ने मुझे ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया।
और उसके बाद मैंने पहली बार मिल्क डोनेट किया, हालाँकि ये बाकि माँओं के सामने काफी कम था पर फिर भी इस तरल सोने का दान करके मैं खुशी के सातवे आसमान पर थी। मुझे आज भी याद है जिस दिन मेरा बच्चा 9 महीने का हुआ उसी दिन मैंने पहली बार मिल्क डोनेट (Breast Milk Donate) किया था।
हालाँकि मैं जानती हूँ कि मैंने कोई बहुत अलग या बड़ा अनोखा काम नहीं किया है पर फिर भी मुझे इस बात की खुशी है कि मैं इसका हिस्सा हूँ।
आप भी चाहते हैं तो आप इन्टरनेट के माध्यम से ऐसे आर्गेनाईजेशन या हॉस्पिटल की मदद से ऐसा कर सकते हैं। मैंने भी इन्टरनेट पर ही एक अन्य माँ की पोस्ट देख कर ही उसकी मदद से ऐसा किया।
और आखिरी में मैं यही कहना चाहती हूँ कि कभी भी किसी और की बात सुनकर निराश ना हों, हमेशा खुद पर , अपने शरीर पर भरोसा करें। माँ बनना हर किसी के लिए नया एक्सपीरियंस है और हर किस की इससे जुड़ी दिक्कतें अलग हैं। हमेशा याद रखें कि माँ बनना अपने आप में ही एक चमत्कार से कम नहीं है, एक नई जान को दुनिया में लाना , तो उसके लालन-पालन के लिए भी सब चीजें और तरीके प्रकृति आपको सिखाती हैं, मुसीबतें आती हैं पर आपको शांत रहकर उनसे सीखते रहना है, तभी आप भी कह सकती हैं कि आप एक स्ट्रोंग और कॉन्फिडेंट माँ हैं और किसी की फ़िज़ूल बातें आपके लिए मायने नहीं रखेंगी।
इस तरल सोने की हर बूँद कीमती है, अपने बच्चे को इससे दूर ना रखें और हो सके तो जरूरतमंद बच्चों की भी मदद करें, यकीन माने जो खुशी आपको महसूस होगी,वो बहुत खूबसूरत होगी।
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