माता-पिता अपने बच्चे की दिमागी क्षमता को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते और अगर आप भी अपने शिशु की दिमागी क्षमता को लेकर चिंतित हैं तो बच्चों की दिमागी क्षमता बढ़ाने और दिमाग तेज करने के यह कुछ आसान टिप्स (Brain Development Tips for Kids) आपकी चिंता को दूर कर देंगे।
बच्चे का शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास होना बेहद आवश्यक है। ऐसा माना गया है कि पांच साल तक की उम्र में बच्चों का नब्बे प्रतिशत दिमागी विकास हो जाता है इसलिए माता-पिता के लिए छोटी उम्र में ही शिशु के मानसिक विकास को लेकर जागरूक होना बेहद आवश्यक है।
पौष्टिक आहार बच्चों की दिमागी क्षमता (Brain Power) को बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि विटामिन-E का सेवन दिमागी क्षमता को बढ़ाने के लिए अच्छा उपाय है, इसलिए बच्चे को बादाम और अखरोट जैसे विटामिन-E से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने को दें।
इसके साथ ही पालक, ब्रोकली, पत्तागोभी और अन्य हरी सब्जियां व अंकुरित अनाज भी दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं। शरीर में पानी की कमी का होना मानसिक विकास के साथ-साथ उनकी एकाग्रता को भी प्रभावित करता है इसलिए बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। फलों और दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थ मानसिक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा बच्चे के दिमागी विकास (Brain Development) के लिए डीएचए (DHA) बहुत जरूरी तत्व होता है। डीएचए बच्चों की याददाश्त को मजबूत बनाता है। मछली और सी-फूड के अलावा डीएचए ऑलिव ऑयल, बादाम के तेल, ब्रोकली, फूलगोभी, पालक, बिन्स, पपीता, सोया मिल्क आदि में भी डीएचए पाया जाता है।
इसके अलावा बाजार में काफी सारे ऐसे ब्राण्ड्स मौजूद हैं जिनके मिल्क पावडर या बेबीफूड में डीएचए होता है। कोशिश कि बच्चे के लिए केवल ऐसी चीजें ही चुनें जिनमें डीएचए (DHA) मौजूद हो।
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बच्चों की लिए खेल-कूद और एक्टिव रहना बेहद जरूरी है। बच्चे खेल-कूद जैसी गतिविधियों में जितने सक्रिय होते हैं उनका दिमाग उतना ही तेज़ होता है। खेलने कूदने से बच्चे के दिमाग में आक्सीजन का प्रवाह अच्छे से होता हैं जिससे उनकी दिमागी क्षमता को बढ़ने में मदद मिलती है, साथ ही बच्चा स्वस्थ रहता हैं इसलिए बच्चे को खेल-कूद की लिए प्रेरित करें।
बच्चों के लिए शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से एक्टिव रहना भी बहुत जरूरी है। बच्चों को अलग-अलग खेलों में व्यस्त रखें जैसे छोटे बच्चों के लिए चोर-सिपाही, पज़ल्स जैसे खेल या अख़बार में लिखे शब्दों को ढूँढना या पढ़ना आदि।
अगर बच्चा बड़ा है तो उसके साथ शंतरज या लूडो खेलें या पहेलियाँ पूछें इसके साथ ही उनसे खेल-खेल में सवाल पूछें। ऐसा करने से बच्चा न केवल कुछ नया सीखेगा बल्कि उसकी दिमागी क्षमता भी बढ़ेगी।
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बच्चों को व्यस्त रखें। ऐसा करने से बच्चा हमेशा कुछ अलग सोचेगा और करेगा, जिससे उसकी दिमागी क्षमता में विकास होगा। बच्चे से हमेशा कुछ न कुछ सवाल पूछते रहें जैसे दिन भर उसने क्या किया, स्कूल में क्या किया, अध्यापक ने क्या पढ़ाया आदि, इसके बाद वो खुद ही आपको अपनी दिनचर्या के बारे में बताना शुरू कर देगा।
इससे न केवल उसकी स्मरण शक्ति बढ़ेगी बल्कि दिमागी विकास भी होगा साथ ही इससे बच्चों की निरीक्षण क्षमता भी बढ़ती है। आपके सवाल पूछने से उसमे भी सवाल पूछने, उत्तर जानने और हर चीज़ के बारे में जिज्ञासा बढ़ेगी।
संगीत को मानसिक क्षमता बढ़ाने और याददाश्त बढ़ाने का बेहतरीन साधन माना गया है यही कारण है कि बच्चों को नर्सरी राइम्स इतनी जल्दी याद हो जाती है। बच्चे की मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए संगीत का सहारा लें। कई बातों या चीज़ों को सिखाने के लिए आप उन्हें गा कर सुनाएँ। कहानियों को भी गा कर सुनाएँ ऐसा करने से बच्चे इन्हें जल्दी याद कर पाएंगे और उनकी रूचि सीखने में बढ़ेगी।
आजकल मोबाइल, लैपटॉप आदि सबकी सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुके हैं। छोटे-छोटे बच्चों को भी हाथ में फ़ोन या टैबलेट पकड़े गेम खेलते या विडियो देखते देखा जा सकता हैं। लेकिन एक शोध के अनुसार एक दिन में बच्चों को दो घंटे से अधिक फ़ोन या लैपटॉप आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इनके प्रयोग से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं और इनका प्रभाव बच्चे के दिमाग पर भी पड़ता हैं जिससे उनके दिमागी विकास में कमी आ सकती है इसलिए ध्यान रखें कि आपका बच्चा इन इलेक्ट्रानिक गैजेट्स का अधिक प्रयोग न करे।
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आजकल छोटे-छोटे बच्चों में डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं देखने को मिल रही हैं और इसका सबसे बड़ा कारण हैं आजकल की प्रतिस्पर्धा। कॉम्पिटिशन के इस युग में हर माता-पिता अपने बच्चे को सबसे आगे देखना चाहते हैं और इसके लिए वो बच्चे पर अधिक दबाव बनाते हैं।
दूसरे बच्चों के बेहतर प्रदर्शन पर बच्चों का मज़ाक बनाया जाता हैं या उन्हें डाँटा जाता हैं। इन बातों का बच्चों के दिमाग पर बहुत असर पड़ता हैं और इसका परिणाम भयंकर हो सकता हैं। दिमागी क्षमता में भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं।
हर बच्चे में अलग-अलग प्रतिभा होती है। उसके अंदर की कला या प्रतिभा को बाहर लाने और उसके प्रति बच्चे की रूचि को बढ़ाने से उसका मानसिक विकास सही से होता हैं। अपनी कलात्मकता और रचनात्मकता का सही से उपयोग करके बच्चे की दिमागी क्षमता बढ़ेगी और साथ ही वो कुछ नया अवश्य सीखेगा। इसके साथ ही उसकी कल्पना शक्ति में भी विकास होगा।
बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन के साथ-साथ पर्याप्त नींद बेहद ज़रूरी है। नींद बच्चे के शारीरिक और मानसिक क्षमता को बढ़ाती है। हर बच्चे के लिए हर दिन ग्यारह से लेकर तेरह घंटे की नींद लेना ज़रूरी है। सही और शांत नींद से बच्चे का विकास सही से हो पाता है साथ ही उसकी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
ऐसा माना गया है कि जो लोग गणित में अधिक रूचि लेते हैं वो लोग अधिक होशियार और चतुर होते हैं। अगर छोटी उम्र में ही बच्चों की रूचि गणित, आंकड़ों या हिसाब-किताब में होगी तो उनके सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी जिससे उनका दिमाग तेज़ होगा और दिमागी क्षमता बढ़ेगी।
हर बच्चे का विकास अलग-अलग तरीके से होता है। बच्चे की मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए आप इन उपायों (Dimag Tej Karne ke Upay) का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन अपने शिशु पर किसी तरह का कोई दबाव न बनाएं अन्यथा इसके नतीजे आपकी अपेक्षा के विपरीत भी हो सकते हैं। साथ ही बच्चे का अगर संपूर्ण दिमागी विकास चाहिए तो कोशिश करें कि बच्चे को पौष्टिक आहार और बेहतर माहौल मिलें।
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