बच्चे इतने नाजुक और कोमल होते है कि उन्हें आप जिस रूप में ढालो, वे उसी रूप में ढल जाते हैं और उनका विकास भी वैसे ही होने लगता है। ऐसे बहुत सारे बच्चे होते हैं जिनमें आत्मविश्वास की कमी होने के कारण वे अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त नहीं कर पाते हैं जिसके कारण माता-पिता को भी बच्चों के साथ काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आइए आज जानते हैं बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कुछ टिप्स (Tips to Increase Self Confidence in Kids)।
क्यों जरूरी है बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाना (Importance of Self Confidence in Hindi)
आत्मविश्वास यानी आत्म और विश्वास का मेल अर्थात अपने आप पर विश्वास व नियंत्रण का होना। यह आत्मविश्वास जैसे हम बड़ों के जीवन में जरुरी है वैसे ही बच्चों के जीवन में भी यह बहुत मायने रखता है। बड़ों की तरह आजकल बच्चों की जिंदगी में भी काफी चैलेंज बढ़ गए हैं। इसलिए आज इस चुनौतीपूर्ण भरे जीवन में माता-पिता अपने बच्चों को हर तरह की प्रतियोगिता के लिए तैयार करना चाहते है। यह सब बातें छोटे बच्चों के मन पर काफी दबाव डालती है जिससे उनका आत्मविश्वास गिरने लगता है। इसलिए माता-पिता को बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार भरने चाहिए ताकि उनकी झिझक खत्म हो जाए और धीरे-धीरे संस्कार की नींव मजबूत होने पर बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ने लगे। तो आइयें जानते हैं बच्चों का आत्म विश्वास कैसे बढ़ाएं (How to Boost Self Confidence of Kids in Hindi)।
इसे भी पढ़ेंः अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें?
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की टिप्स (Tips to Increase Self Confidence in Kids in Hindi)
#1. पढ़ाई के साथ साथ अन्य गतिविधियाँ (Extra Curricular Activities)
जब आपके बच्चे स्कूल जाने लगे तब आप बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इसकी वजह से भी बच्चों में आत्मविश्वास और हिम्मत बढ़ती है। उनमें कुछ करने का जज्बा भी आता है परंतु माता-पिता को चाहिए कि वे उन पर हमेशा जीत का दबाव ना डालें। इससे बच्चे आत्मविश्वास के बजाय तनाव में जाने लगते हैं। इसलिए आप बच्चों को हर चीज धीरे-धीरे व प्यार से सिखाएं। आप बच्चों के दोस्त बन कर अपनी खुशी, परेशानी और गलतियां सब कुछ बिना झिझक के सांझा करें। इससे आपको अपने बच्चों को समझने में आसानी होगी। इसलिए अगर आपका बच्चा खुद में कम आत्मविश्वास महसूस कर रहा है तो आप उसको समझ कर और कुछ टिप्स अपनाकर उसका आत्मविश्वास बढ़ा सकती है।
इसे भी पढ़ेंः बच्चों में आत्म-सम्मान बढ़ाने के 7 टिप्स
#2. अपनों के बीच से शुरुआत (Start from Home)
कहते हैं कि बच्चों की पहली पाठशाला उसका अपना घर होता है। अगर आपका बच्चा खुद में आत्मविश्वास की कमी महसूस करता है तो वह दूसरे लोगों के बीच अपनी बात को कहने में झिझक महसूस करता है लेकिन आप इस बात से घबराये नहीं बल्कि उसकी ट्रेनिंग घर से ही शुरू करें। आप पहले अपने परिवार में बोलने के लिए उसे प्रेरित करें और फिर उसे धीरे-धीरे दोस्तों के बीच में भी प्रोत्साहित करें। इससे बच्चा धीरे-धीरे अपने डर को खत्म करके दूसरों के सामने सही से बोलना सीखता है।
#3. बच्चों की तारीफ (Praise your Kid)
अगर आप अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हैं तो आप किसी भी काम के बीच-बीच में उनकी तारीफ करते रहे। बच्चों के लिए माता-पिता से अपनी तारीफ सुनना उनके लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन होता है। माता-पिता द्वारा अपनी तारीफ सुनकर वह अच्छा काम बार-बार दोहराता है। इसलिए आप उनके द्वारा छोटे-छोटे काम जैसे कि चित्र बनाना, कोई सवाल हल करना या कोई और अन्य अच्छा काम करने पर उसकी तारीफ अवश्य करें। इससे उनके अंदर खुद पर विश्वास और भरोसा बढ़ेगा।
इसे भी पढ़ेंः बच्चों के जीवन में दादा-दादी का महत्त्व
#4. अपने काम स्वयं करने के लिए प्रेरित करना (Convince him to work his own work)
आप बच्चों को हमेशा अपने छोटे मोटे काम खुद करने के लिए कहे जैसे कि अपने हाथों को खाने से पहले व बाद में धोना, नहाना, अपने बाल खुद बनाना, स्कूल से आने के बाद अपनी यूनिफॉर्म और जूते संभाल कर रखना, अपना स्कूल बैग खुद सेट करना इत्यादि। पूरी जिम्मेदारी के साथ हर काम पूरा करने के लिए आप उसे प्रेरित करें क्योंकि किसी भी काम को पूरा करने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और इसके अलावा उन्हें कुछ ना कुछ सीखने के लिए भी मिलता है। आप उन्हें पढ़ाई से जुड़े सवाल बाकी दूसरे कामों को करने के लिए भी कहे परंतु आप उन्हें एक बार गाइड अवश्य करें। उन्हें समझाएं कि उन्हें यह काम कैसे करना है। इस बीच आप उन पर नजर अवश्य बनाए रखें ताकि अगर उन्हें कोई परेशानी हो तो आप उनको दोबारा समझा सके या उनकी मदद कर सके। खुद से अपने काम करना और मुश्किलों को हल करने से भी बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें कुछ नया सीखने को भी मिलता है।
#5. नकारात्मक सोच से दूर रहना (Stay away from negative thinking)
बच्चों को समझाये कि वे कोई भी काम शुरू करने से पहले ही हार ना माने और काम के प्रति अपनी सोच नकारात्मक ना रखें। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनका आत्मविश्वास और उनका काम करने का जज्बा दोनों कम हो जाएंगे। उन्हें समझाएं कि अगर वे पहले ही हार स्वीकार कर लेते हैं तो उनके अंदर के गुण छुप जाएंगे और वे बिना कोशिश किये ही हर जायेंगे। इसलिए वे हर काम के लिए सकारात्मक भावना रखें क्योंकि सकारात्मक सोच ना केवल जीने का अंदाज बदलती है बल्कि यह कुछ ना कुछ सिखाकर भी जाती हैं। साथ ही आप भी बच्चों की हार पर निराश होने की बजाये उन्हें इससे सीखने को कहें।
#6. बच्चों से रोजाना बात करना (Talking with your kid daily)
अब बच्चों से रोजाना बातें करें। आप उनसे हमेशा माता-पिता बन कर ही नहीं बल्कि उनके दोस्त बन कर भी बात करें। उससे उनकी खुशियां, परेशानियां, गलतियां सब बातें बिना झिझक के शेयर करें ताकि वे आपसे अपनी सारी बातें और परेशानी आराम से साझा कर सकें। अगर उनके मन में कोई झिझक होगी तो वह आपको अपनी परेशानी नहीं बताएगा क्योंकि उसे डर होगा कि बताने पर उसे डांट या मार पड़ सकती है। इसलिए आप उनके साथ दोस्ताना रिश्ते निभाए और उन्हें बताएं कि वह किसी से भी बात करें तो उनसे आंख मिलाकर बात करें। इस प्रकार उनके मन में जो भी डर या झिझक है वह सब धीरे-धीरे दूर हो जाएगी और उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
#7. महापुरुषों का और अच्छे लोगों का अनुसरण (Remembering honoured and holy people)
आप बच्चों को अच्छे लोगों और महापुरुषों की कहानियां सुनाएं। अच्छे लोगों और महापुरुषों का जीवन हमारे जीवन को प्रभावित करने के साथ-साथ अच्छी आदतों को भी बढ़ावा देता है जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे सफलता की ओर अग्रसर होते हैं। उन्हें यह भी बताएं कि वे उन बड़े लोगों की तरह अपने जीवन में परिवर्तन लाए और सफलता व असफलता से ना डरे। उन्हें समझाएं कि उन्हें हार या जीत कुछ भी मिले दोनों को सहज रूप से स्वीकार करें। असफल होकर गिरे तो दोबारा पूरे जोश के साथ सफलता पाने की कोशिश करें। गिरकर संभलना इसी का नाम जिंदगी है। असफल होने के डर से कोशिश करना ना छोड़े।
#8. दूसरे बच्चों से तुलना ना करें (Don’t compare with other kids)
आप अपने बच्चों की तुलना कभी भी दूसरे बच्चों के साथ ना करें। इससे बच्चों में हीन भावना जागृत होती है और उनके आत्मविश्वास कम होने लगता है। आपको बच्चों के सामने कभी भी ना तो दूसरे बच्चों की और ना ही अपने बच्चों का मजाक बनाना चाहिए। आप उन्हें बताएं कि सभी में कुछ ना कुछ खास होता है। इसलिए आप उनकी खूबी को पहचान कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। आप अपने बच्चों को खुद का सम्मान करना सिखाएं क्योंकि जब तक बच्चा खुद का सम्मान नहीं करना जानता है तब तक वह ना तो खुद का और ना ही दूसरों का सम्मान करेगा। आप उनकी दूसरे बच्चों से तुलना ना करें बल्कि उन्हें खुद अपने अंदर झांकने को कहे। उन्हें अपने निर्णय खुद लेने को कहे। यदि बच्चों में खुद निर्णय लेने का गुण आ जाता है तो बच्चा निश्चय ही बड़ा होकर तरक्की करेगा।
#9. अपनी मर्जी बच्चों पर ना थोपे (Don’t put your expectations on kids)
माता-पिता को कभी भी अपनी मर्जी बच्चों पर नहीं थोपनी चाहिए। इससे बच्चे तनाव में आ जाते हैं। आप उनकी भावनाओं को समझते हुए उनका लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। उनके साथ समय बिताएं, उनकी भावनाओं को समझें, गुणों को पहचाने और वे क्या करना चाहते है यह भी समझे, इन सबके पश्चात उनका लक्ष्य निर्धारित करें। अगर आप हमेशा अपनी ही मर्जी उन पर चलते हैं तो उनमे विश्वास की कमी होने लगेंगी। इसलिए आप उनकी कमजोरी नहीं बल्कि उनका मनोबल बने।
#10. मजबूत भावनात्मक संबंध (Strong Emotional Attachment)
आप अपने बच्चों के अंदर भावनाओं को खत्म ना होने दें बल्कि उसके लिए आप उन्हें प्यार करें, उनसे बात करें, गले लगाए और उन्हें शेयरिंग करना सिखाए। बच्चों को दूसरों की मदद करना अवश्य सिखाएं। यह सब आपके बच्चों में सारी भावनाओं को जिंदा रखेगा। आज का युग प्रतियोगिता का युग है और इसमें इंसान जीत हासिल करने के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है जो उसकी भावनाओं को खत्म कर देता है परंतु आप बचपन से ही उसे अपने साथ-साथ दूसरों की भावनाओं का भी ध्यान रखना सिखाएंगे तो वह कई तरह की गलत भावनाओ से बच सकता हैं।
इसे भी पढ़ेंः बच्चों के बीच अच्छा संबंध बनाने के तरीके
यह सब आदतें बच्चों में आत्मविश्वास को बढाती है। इन सब टिप्स (Self Confidence Boosting Tips) के साथ-साथ इंसान को समय की भी कदर करनी चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे समाज में परिवर्तन तेजी से होते जा रहे हैं। बदलते समय के हिसाब से खुद को बोलचाल, पहनावा आदि में बदलना भी जरूरी है क्योंकि कहते हैं कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। इस बदलाव से खुद में उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ता है।
क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने।
यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।
null
null