जब मैं गर्भवती थी उस समय अपनी पसंद का एक गाना बार-बार सुना सकती थी और गर्भ में शिशु भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दिया करता था। मुझे हैरानी तब हुई जब प्रसव के बाद मेरे बेटे को वो गाना बहुत पसंद था और दो या तीन महीने की उम्र में भी वो उस गाने को सुन कर प्रतिक्रिया दिया करता था।
दरअसल गर्भावस्था के दौरान माँ जो भी करती है, गर्भ में शिशु उसे महसूस करता है यही नहीं वो माँ के पेट में सब कुछ सुन और समझ कर उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकता है। इसीलिए आप गर्भ में ही बच्चों को संस्कार दें सकते हैं और उन्हें बहुत कुछ सीखा सकती हैं।
आइये अभी बात करते हैं ऐसी ही किताबों (Books to Read During Pregnancy) की जो आपको गर्भावस्था में अवश्य पढ़नी चाहिए। वैसे तो ऐसी कई किताबें (pregnancy mein kitab padhna) हैं, जिन्हे पढ़कर आप न केवल जानकारी या ज्ञान प्राप्त कर सकती हैं बल्कि इनसे आप अपने शिशु को भी बहुत सीखा कर उसे अच्छे संस्कार दे सकती हैं और एक अच्छा नागरिक बनने में उसकी मदद कर सकती हैं।
#1. श्रीमद भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
श्रीमद भगवत गीता उन उपदेशों का संग्रह है जो महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए गए थे। इस पुस्तक में मानव जीवन के संबंधों के बारे में विस्तार से बताने के साथ-साथ मानव जीवन के बारे में भी बताया गया है। मनुष्य क्या है और उसे इस जीवन में क्या करना चाहिए इसका पूरा वर्णन मिलता है इस किताब (Pregnancy mein kitab) में।
ऐसा माना जाता है कि गर्भवती स्त्री को श्रीमद भागवत गीता को अवश्य पढ़ना चाहिए इससे शिशु को अच्छे संस्कार मिलते हैं। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उनके दिमाग में आने वाले कई सवालों के जवाब भी मिलते हैं और मन भी शांत रहता है। इस हिन्दू धार्मिक ग्रंथ का अनुसरण न केवल हिंदी बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी करते हैं।
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#2. आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार (Ayurvedic Garbhsanskaar)
गर्भावस्था में माँ का आहार बहुत अधिक मायने रखता है क्योंकि इसका असर सीधा शिशु पर पड़ता है। इस समय माँ क्या खाये और किसी तरह से अन्य लोगों से व्यवहार करे इसके बारे में पता होना बेहद आवश्यक है। इसके लिए आयुर्वेदिक गर्भ-संस्कार नामक किताब आप पढ़ सकती हैं जिसमें प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुसार शिशु का गर्भ में किस तरह से ख्याल रखना चाहिए इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस किताब में माँ को इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए इसका वर्णन भी मिलता है। इसके अलावा इस किताब में बच्चों के दिमाग के विकास के भी उपाय और सुझाव दिए गए हैं। इस किताब को आप आसानी से बाजार से प्राप्त कर सकते हैं इसके साथ ही यह किताब ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
#3. गर्भावस्था – विनीता साल्वी (Garbhavstha)
इस किताब को विनीता साल्वी ने लिखा है और पहली बार माँ बनने वाली स्त्रियों के लिए यह एक संपूर्ण किताब है। गर्भावस्था में जो भी सवाल एक स्त्री के मन में आते हैं, उन सब सवालों के जवाब आपको इस किताब में मिल जाएंगे। इस किताब में स्त्रियों को गर्भावस्था के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार करना चाहिए, इस दौरान क्या खाएं, कैसे व्यायाम करना चाहिए, प्रसव पीड़ा या गर्भावस्था के दौरान बीमार पड़ने पर क्या करना चाहिए आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस किताब की भाषा बेहद आसान और रोचक है। ऑनलाइन यह किताब आसानी से उपलब्ध है।
#4. रामायण (Ramayan)
हमारी संस्कृति में यह बात साफ तौर पर कही गयी है कि बच्चों में अच्छे संस्कार और गुणों के लिए अच्छी और धार्मिक किताबों को बढ़ना आवश्यक है। अगर आप भी अपने होने वाले बच्चों को संस्कारी बनाना चाहती हैं तो रामायण पढ़ें।
श्री राम जी का पूरा जीवन दूसरे लोगों के लिए एक आदर्श है। श्री राम जी मर्यादा पुरुषोत्तम थे जिन्होंने अपने वचन को निभाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। इस किताब को पढ़ना आपके और आपके शिशु के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। यह किताब हर घर में आसानी से मिल जाएगी।
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#5. क्या करें जब मां बने? (Kya kre jab maa bane)
यह किताब एक इंग्लिश किताब का अनुवाद है जिसमें गर्भावस्था में स्त्री को क्या खाना चाहिए इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी है। इसके साथ ही कुछ पौष्टिकव व स्वादिष्ट भोजन के बारे में भी बताया गया है जो गर्भवती स्त्री के लिए लाभदायक हैं।
यानी गर्भावस्था में आहार संबंधित हर समस्या का समाधान केवल इसी किताब में आपको मिल जाएगा। दरअसल गर्भावस्था में गर्भवती स्त्री को कई चीज़ों को खाने से मना किया जाता है इसलिए कुछ ऐसे आहारों के बारे में आपको विस्तार से जानकारी मिल जायेगी जिन्हें खाना इस दौरान लाभदायक होता है।
#6. पंचतंत्र (Panchtantar)
पंचतंत्र की कहानियों को हम सबने अपने बचपन में पढ़ा या सुना है जिन्हें हमें जीवन से संबंधित कई मूल्यवान बातें जानने को मिलती हैं। इन कहानियों में मनुष्य-पात्रों के अलावा कई बार पशु-पक्षियों को भी कथा का पात्र बनाया गया है और उनसे शिक्षाऐं भी प्राप्त होती है। गर्भवती स्त्री को पंचतंत्र की कथाओं (Panchtantra Katha) को पढ़ना चाहिए। इससे न केवल ज्ञान प्राप्त होगा बल्कि स्त्री भी सकारात्मक महसूस करेगी।
वैसे तो जीवन के हर चरण में धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों को पढ़ना लाभदायक माना गया है लेकिन प्राचीन समय से ही गर्भवती स्त्री को धार्मिक ग्रंथों और किताबों को पढ़ने की सलाह दी जाती रही है ताकि गर्भ में पल रहा बच्चा सुसंस्कारी और गुणवान बने।
इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को ऐसी पुस्तकें (pregnancy books) पढ़ने को कहा जाता है जो न केवल स्त्री की हर जिज्ञासा को शांत करें बल्कि उसे सकारात्मक और शांत रखने में भी सहायक हों। इसलिए गर्भावस्था में आप गर्भावस्था से जुड़ी, ज्ञान देने वाली, धार्मिक, मनोरंजक और रोचक किताबें पढ़ सकती हैं।
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