बॉलीवुड फिल्में बच्चो और बूढ़ो को खासकर बहुत पसंद आती हैं। ये हमारे लिए एक मनोरंजन से कम नहीं। इसमे दिखाई जाने वाली सभी बातें कही न कही हमारे समाज पर निर्भर करती हैं। कुछ फिल्मों ने हमें बहुत हंसाया हैं और कुछ ने हमें रुलाया भी हैं लेकिन इसके साथ सभी फिल्में अपने साथ कुछ संदेश भी दे जाती हैं। बच्चों पर फिल्मों का असर ज्यादा देखने को मिलता हैं। आपने कई बार देखा होगा बच्चे बहुत से गाने या फिल्मों के किरदारो की एक्टिंग बहुत ही अच्छे तरीके से करते हैं।
ऐसा करते समय वो काफी अच्छे और क्यूट भी लगते हैं। पर अपने कभी सोचा है बच्चो पर बॉलीवुड की फिल्मों का क्या असर पड़ता हैं। बॉलीवुड में कई फिल्में ऐसी हैं जो खासकर बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जिससे बच्चे को कुछ न कुछ सीखने को मिलता हैं और साथ ही बच्चो के माता पिता को भी आवश्यक संदेश मिलते हैं जिससे वो अपने बच्चे को समझने की कोशिश करते हैं। आज हम ऐसी ही कुछ मूवीज के बारे में जानेंगे जो बच्चो को अच्छी शिक्षा व संदेश देती हैं।
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यह फिल्म मनोरंजन से भरपूर और दिल को छु जाने वाली फिल्म हैं। इस फिल्म में एक ऐसे बच्चे “ईशान” की कहानी हैं जिसे पढ़ाई लिखाई से कोई मतलब नहीं है वो सिर्फ मछलिया, पतंग और रंग को ज्यादा पसंद करता हैं। उसकी जिंदगी इन्हीं चीजों के आसपास घूमती रहती हैं। ईशान को इन्हीं चीजों से खुशियां मिलती हैं। वह इनके बीच बेहद खुश रहता हैं। ईशान के माता-पिता इससे परेशान हो कर ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं। जब उसे बोर्डिंग स्कूल भेजा जाता हैं तो ईशान की मुलाकात एक ऐसे टीचर से होती हैं जो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख देता हैं और वहां से उसके सपनों को एक नई उड़ान मिलती हैं।
संदेश: इस फिल्म के जरिये ये बताने की कोशिश की गई हैं की हर बच्चा अपने आप में खास और अलग होता हैं। इसलिए कभी किसी बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे के साथ नहीं करनी चाहिए। साथ ही यह फिल्म एक स्पष्ट संदेश देती हैं कि बच्चों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाना चाहिए, बल्कि उनके सपने को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
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स्टेनली का डब्बा एक बहुत ही अच्छी और प्यारी मूवी है जिसमे स्टेनली नामक एक लड़का हैं जो की अनाथ हैं। स्टेनली कभी अपने स्कूल टिफ़िन नहीं ले जाता हैं क्योंकि इसका कोई नही जो स्टेनली के लिए लंच बनाए।
स्कूल में लगभग सभी बच्चे लंच लेकर जाते हैं, पर स्टेनली नहीं ले जाता हैं। फिर भी स्टेनली को सारे मिलकर अपने लंच बॉक्स में से खिलाते हैं। स्टेनली अपनी क्लास में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। उसी स्कूल में एक अध्यापक को दूसरों का डब्बा खाने की बुरी लत होती हैं। वे खुद दूसरों का डब्बा खाते हैं लेकिन स्टेलनी के डब्बे न लाने की वजह से वे उसे बातें सुनाते हैं और स्कूल से बाहर निकाल देते हैं। लेकिन बाद में उस टीचर को अपनी गलती का अहसास होता हैं और वो शर्मिंदगी महसूस करते हैं।
संदेश: इस फिल्म के जरिये ये बताया गया है की बच्चो को एक दूसरे के साथ प्यार से रहने और लोगों के साथ अच्छा संबंध बनाने की जरूरत हैं।
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इस फिल्म में एक संवेदनशील कहानी को बड़े मनोरंजक ढंग से कहने की कोशिश की गई हैं और ये फिल्म देखना एक बच्चे के सपनों की यात्रा पर जाने जैसा ही हैं। ये फिल्म बाल मज़दूरी जैसी कुप्रथा को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। फिल्म की कहानी एक बच्चे की जिंदगी की हैं जो बहुत ही गरीब घर में पैदा हुआ हैं। एक बार जब वो टीवी पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को देखता है, जो बच्चों की पढ़ाई पर जोर दे रहे थे, उन्हें देखकर उस बच्चे को प्रेरणा मिलती हैं और वो बाल मजदूरी के जरिए पैसा जुटाने की कोशिश करता हैं और यहीं से उसके साथ बुरे अनुभवों का दौर शुरू हो जाता हैं।
संदेश: यह फिल्म बच्चों के लिए एक प्रेरणा हैं कि वे जो भी जीवन शैली जीते हैं कम हो या ज्यादा, कितनी भी परेशानी हो पर हर किसी को कड़ी मेहनत करनी चाहिए और जो भी वो चाहते हैं उसे पूरा करने की कोशिश करना बंद नहीं करना चाहिए। उसके लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
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ये फिल्म भी काफी अच्छी और रोमांचक थी। इसमे एक बच्चा ढ़ाबे पर काम करता हैं। वो एक दिन अमीर घर के लड़के को स्केटिंग करते देखता हैं, तो वो भी खुली आँखों से सपने देखने लगता हैं कि वो भी स्केटिंग कर रहा हैं और फिर शुरू होता हैं सपनों को पूरा करने का सफर। स्केटिंग के सपने को पूरा करने के लिए उसका साथ देते हैं सड़क के चार गरीब बच्चे, जो उसके दोस्त हैं और साथ ही एक स्केटिंग के टीचर। इस फिल्म में किस तरह सड़क के गरीब बच्चे स्केटिंग के जूते बनाते है और किस तरह एक टीचर स्केटिंग की ट्रेनिंग देता हैं वो देखने को मिलेगा। साथ ही मां और बच्चे के बीच जज़्बाती रिश्ता और मासूम बच्चों के बीच बेजोड़ दोस्ती, ये सब इस फिल्म में आपको देखने को मिलेगा।
संदेश: इस मूवी के जरिये ये संदेश मिलता हैं कि अगर आप जुनूनी हैं तो कोई भी आपको अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोक सकता हैं। कितनी भी मुश्किल आए आप उससे लड़ सकते हैं और कामयाब हो सकते हैं।
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ये फिल्म एक तेज दिमाग के लड़के गटटू की हैं, जो अनपढ और बहुत गरीब है। लेकिन गटटू के हौंसले बहुत बुलंद हैं क्योंकि वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकता हैं। गट्टू अपने चाचा की कबाड़ी की दुकान पर काम करता हैं। पतंगबाजी का शौक रखने वाला गटटू हर हालत में आसमान में उड़ती एक काली पतंग को काटने की कोशिश करता रहता हैं, इसके लिए वह बहुत सारे झूठ भी बोलता हैं और एक स्कूल में पढ़ने भी जाता हैं। लेकिन स्कूल में एक जगह “सत्यमेव जयते” का बोर्ड टंगा हुआ देख वह इसका मतलब जानने की कोशिश करता हैं। जब उसे सत्यमेव जयते का मतलब पता चलता हैं तो उसे अपनी गलती का एहसास होता हैं और वह अपनी गलती स्वीकारता हैं।
संदेश: इस फिल्म से हमे ये संदेश मिलती हैं कि चाहे हमे कोई भी सपने को पूरा करना हो पर इसके लिए हमे कड़ी मेहनत करनी चाहिए, ना की झूठ का सहारा लेन चाहिए। और अगर हमसे कभी कोई गलती हो जाए या झूठ का सहारा भी लेते हैं तो अपनी गलती हमेशा स्वीकारनी चाहिए।
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