नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के सही तरीके

नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के सही तरीके

माँ बनने के बाद स्तनपान वो जरूरी प्रक्रिया है जो न केवल शिशु और माँ के बीच के भावनात्मक रिश्ते को मजबूत बनाती है बल्कि इससे शिशु को वो हर पोषक तत्व प्राप्त होता है जो उसके लिए आवश्यक है। मातृत्व में पहली बार कदम रखने वाली माताओं के लिए स्तनपान कराने की प्रक्रिया थोड़ी परेशानी भरी हो सकती है।

अगर बच्चे को स्तनपान कराने की पोजीशन सही नहीं है तो वह शिशु के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। स्तनपान कराने के सही तरीकों (Best Breastfeeding Positions) के बारें में जानकारी अवश्य होनी चाहिए।

 

स्तनपान कराते समय सामान्य गलतियां 

ऐसा अक्सर होता है कि स्तनपान के दौरान बच्चे की नाक स्तन से दब जाती है जिससे उसे परेशानी होती है। अगर समय रहते मां इसपर ध्यान ना दे तो बच्चा रोने लगता है या उसे सांस लेने में बड़ी समस्या भी हो सकती है। नवजात शिशु खुद को होने वाली परेशानियों को बताने में असमर्थ होता है।

ऐसे में माँ को ही सावधानी बरतनी पड़ती है। स्तनपान के बारे में अन्य जानकारी से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि नवजात शिशु को दूध पिलाने के सही तरीके कौन-कौन से हैं। तो जानते हैं कुछ ऐसे ही तरीको (Best Breastfeeding Positions) के बारे में।

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नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के सही तरीके 

गोद में दूध पिलाना (Feeding on Lap)
इस स्थिति में दूध पिलाना माँ के लिए थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है लेकिन इससे शिशु आराम से दूध पी सकता है और इस स्थिति को स्तनपान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस पोजीशन को क्रॉस क्रैडल भी कहा जा सकता है।

 

इस में बच्चे को दूध पिलाने के लिए माँ अपनी सहूलियत के अनुसार किसी चीज़ पर सीधे हो कर बैठ जाएं और शिशु को अपनी बाँहों में उठा लें। अब एक बाँह से उसके सिर को सहारा दें और इसी से शिशु की टांगों और पैरों को संतुलित करें। इस स्थिति में शिशु का मुँह स्तन के बिलकुल पास होना चाहिए।

अब दूसरे हाथ से शिशु के मुँह में स्तन डालकर उसे आराम से दूध पीने दें। इस स्थिति में शिशु बहुत ही आरामदायक महसूस करता है।

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उलटे हाथ से पकड़ कर (Holding with reverse hand)
इस पोजीशन में जिस स्तन से शिशु को दूध पिलाया जाता है उससे उलटी दिशा की कलाई और हाथ से शिशु को पकड़ा जाता है। दूसरे हाथ से स्तन को पकड़ कर शिशु को दूध पिलाया जाता है।

यह पोजीशन माँ और बच्चे दोनों के लिए सुविधाजनक होती है और शिशु भी अच्छे से दूध पी पाता है। शिशु को सहारा देने के लिए तकिये का उपयोग कर सकती हैं।

कमर के सहारे लेटकर (Waist Support)
अगर शिशु थोड़ा बड़ा है और माँ थकी हुई हो तो माँ और बच्चे दोनों के लिए यह स्थिति अच्छी है। इसमें माँ कमर के सहारे सीधी लेट जाती हैं और बच्चा माँ के ऊपर लेटकर दूध पी सकता है बस इसमें बच्चे के सिर को माँ के स्तन के पास रखना होता है।

इस पोजीशन का लाभ यह है कि इसमें बच्चा किसी भी किसी भी तरह से दूध पी सकता है। अगर बच्चा बड़ा है तो वो आराम से स्तनों को अपने मुँह में दबाकर दूध पी लेगा।

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फुटबॉल पोजीशन (Football Breasfeeding Position for C Section Delivery)
इस पोजीशन में बच्चे को कोहनी और बाज़ू की सहायता से पकड़ा जाता है और उसे पकड़ने की स्थिति ऐसी होती हैं जैसे एक फुटबॉल को पकड़ा जाता है इसीलिए इस स्थिति को फुटबॉल का नाम दिया गया है।

बहुत छोटे बच्चे को इस तरीके से दूध पिलाना आरामदायक होगा इसके साथ ही जिन माताओं का प्रसव ऑपरेशन (C Section) से हुआ हो उनके लिए भी इस स्थिति में दूध पिलाना सुविधाजनक होता है।

 

लेटकर दूध पिलाना (Feeding by Lie Down)
शिशु के जन्म में बाद माँ को भी आराम की ज़रूरत होती है। ऐसे में आप शिशु को लेट कर भी दूध पिला सकती हैं लेकिन बस ध्यान रखें कि आप इस स्थिति में दूध पिलाये जिससे शिशु को कोई नुकसान न पहुंचे और शिशु को साँस लेने में परेशानी न हों।

इसके लिए आप शिशु को बेड पर लिटा दें और उसकी बगल में लेट कर शिशु का चेहरा अपनी तरफ कर लें। अब अपने एक हाथ को शिशु के सिर के नीचे रख दें और दूसरे हाथ से शिशु को दूध पिलायें। इस स्थिति में माँ को हमेशा सचेत रहना चाहिए और स्वयं स्तन को पकड़ कर शिशु को दूध पिलाना चाहिए।

स्तनपान करवाते समय बरते कुछ सावधानियां (Some Precautions while Breastfeeding Newborn Kids)

  • जितना हो सके तो शिशु को बैठकर ही स्तनपान (Stanpan) कराए। अगर लेट कर स्तनपान करा रही हों तो ध्यान रखें कि आप सो न जाएँ। क्योंकि स्तनों के कारण शिशु का नाक बंद हो सकता है इससे शिशु को साँस लेने से मुश्किल होगी।
  • लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि अधिक लेट कर स्तनपान करने से शिशु के कान का इन्फेक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है इसलिए इस स्थिति का प्रयोग कम ही करना चाहिए खासतौर पर अगर शिशु छोटा हो तो।
  • शिशु को दूध पिलाते समय अच्छे से पकड़ कर रखें और उसके सिर को सहारा दें क्योंकि शिशु बेहद नाज़ुक होता है और अगर उसके सिर को सही सहारा न मिले तो उसकी गर्दन मूड सकती है।
  • स्तनपान कराना से पहले स्तनों को धो लें और शिशु को एक ही स्तन से दूध नहीं पिलाना चाहिए। बीच-बीच में स्तनों या शिशु की स्थिति को परिवर्तित करते रहना चाहिए ताकि वो शिशु से दूध पी सके और माँ को भी परेशानी न हो।
  • अगर माँ बच्चे को सही स्थिति में दूध नहीं पिलाती है तो माँ के स्तनों में घाव हो सकता है इसलिए बच्चे को सही स्थिति में दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। दूध पिलाते समय शिशु का शरीर माँ के शरीर के साथ चिपका हुआ होना चाहिए और बच्चे का मुँह माँ के स्तनों के बिलकुल पास होना चाहिए।

 

ऐसी कुछ स्थितियों और सावधानियों का ध्यान रखकर आप अपने माँ बनने के अनुभव को और भी बेहतरीन बना सकती हैं और इन लम्हों को उम्र भर संजों कर रख सकती हैं।

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