हर महिला के लिए यह समय एक बहुत ही प्यारा और हसीन पल होता है परंतु कई बार ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है कि महिला को सामान्य प्रसव के बदले सिजेरियन प्रसव (Caesarean Section) को ही चुनना पड़ता है। इस प्रसव में शिशु को मां के पेट से ऑपरेशन के माध्यम से बाहर निकाला जाता है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है लेकिन कई बार सामान्य प्रसव करवाना कठिन हो जाता है। कुछ आपातकालीन कारणों के चलते भी सी सेक्शन (C Section Kyu Karte hain) का निर्णय लिया जाता है जैसे :
सिजेरियन प्रसव होने के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी है। तो आइए जानते हैं सिजेरियन प्रसव से होने वाले नुकसान व सी सेक्शन के फायदों के बारे में (C Section Delivery ke Fayde)।
शहरों में ज्यादातर प्रसव सामान्य की जगह सिजेरियन से होने लगी है जिसकी संख्या तेजी से बढ़ी है। यह प्रसव शिशुओं के लिए हानिकारक (Dangers of C Section Delivery) साबित होती है क्योंकि प्रसव के बाद अत्यधिक देखरेख की जरूरत पड़ती है। तो चलिए जानते हैं सी सेक्शन डिलीवरी के नुकसान (C Section Delivery ke Nuksan):
#1. सिजेरियन प्रसव (Caesarean Delivery) होने के बाद महिला का शरीर ज्यादा अधिक कमजोर हो जाता है क्योंकि उसके शरीर से निकलने वाले खून की मात्रा सामान्य प्रसव से निकलने वाले खून की तुलना में दोगुनी होती है।
जिससे महिला के शरीर में खून की कमी भी हो जाती है। इसके अलावा महिलाओं को संक्रमण का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। ऑपरेशन के दौरान आंत या मूत्राशय घायल हो सकता है या फिर वहां खून का थक्का बन सकता है। महिला को जहां चीरा लगता है उस साइड पर दर्द होने लगता है। यह दर्द लंबे समय तक चलने वाला होता है।
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#2. जिन महिलाओं की प्रसव सी सेक्शन द्वारा हुई हैं उन महिलाओं में मोटापा होने की संभावना बढ़ जाती हैं। मोटापे के साथ-साथ कुछ अन्य बदलाव भी आते हैं और यह बदलाव कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। मां के साथ-साथ मोटापे की संभावना शिशु में भी बढ़ जाती है।
#3. ऐसी महिलाओं को अस्पताल में सामान्य प्रसव की तुलना में ज्यादा दिन रहना पड़ता है और इसमें आर्थिक खर्च भी सामान्य प्रसव से बहुत ज्यादा बैठता हैं। सी-सेक्शन प्रसव (C Section Delivery) के बाद महिला को रिकवर होने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि ऑपरेशन में जब टांके लगते हैं तो इससे पेट में दर्द और असुविधा होती है। इसके साथ ही त्वचा और नसों के आसपास शल्य चिकित्सा के निशान को ठीक करने में समय लगता है। यह समय दो से ढाई महीने का हो सकता है।
#4. अगर आपका पहला शिशु सी-सेक्शन प्रसव से हुआ है तो भविष्य में जब भी आप गर्भ धारण करती है तो उसकी प्रसव सी-सेक्शन द्वारा होने की संभावना बढ़ जाती है।
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#5. जो बच्चे सिजेरियन प्रसव से जन्म लेते हैं उनका प्रतिरक्षी तंत्र सामान्य प्रसव से जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में कमजोर होता है। इस प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चों में एलर्जी का खतरा भी बड़ा होता है। सिजेरियन प्रसव से पैदा होने वाले शिशु को जन्म के समय सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यहां तक कि कई बार बच्चों को बचपन में भी दमा की समस्या हो सकती है। शिशु की प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने से उसका बीमारियों का सामना करने में शरीर कमजोर होता है।
#6. इस प्रसव में मां को अपने स्वास्थ्य और खानपान पर ज्यादा सावधानियां रखनी पड़ती है। अगर वह जरा सी भी लापरवाही बरतती है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
#7. जिन महिलाओं की सिजेरियन प्रसव होती है उनका अपने बच्चे के साथ संपर्क कम हो पाता है क्योंकि पेट में चीरा आने से वह महिला अपने शिशु को जल्द से गोद में नहीं उठा सकती है और ना ही वह अपने शिशु को जल्दी अपना दूध पिला सकती है जो कि शिशु के लिए अत्यंत जरूरी होता है।
जहाँ इस प्रसव के नुकसान है तो वहीं सी सेक्शन डिलीवरी के फायदे (C Section Delivery ke Fayde) भी हैं जो इस प्रकार हैं:
सी सेक्शन डिलीवरी के फायदे (C Section ke Fayde) और नुकसान चाहे जो भी लेकिन यह पूरी तरह से परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि डिलीवरी किस प्रकार से होगी। हालांकि आज काफी महिलाएं सी सेक्शन डिलीवरी को तरहीज देती हैं जो गलत हैं।
सी सेक्शन डिलीवरी अपेक्षाकृत थोड़ा आसान अवश्य लगता है लेकिन इसके परिणाम मां और बच्चों दोनों के लिए बेहद जोखिमभरा होता है। सी सेक्शन डिलीवरी बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है। इसलिए डिलीवरी किस प्रकार से हो इस बात को पूरी तरह से डॉक्टरी सलाह के बाद ही तय करना चाहिए।
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