चांदी सिर्फ आभूषण के तौर पर ही कीमती नहीं है बल्कि चांदी हमें स्वस्थ रखने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। पुराने जमाने में लोगे चांदी के बर्तन या केले के पत्तों में भोजन करते थे। चांदी के बर्तन में खाने वाले लोग शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से काफी स्वस्थ रहते हैं। जो बच्चे हमेशा चांदी के बर्तनों (Eating In Silver Vessels) में खाना खाते हैं वह खास कर पेट से जुड़ी बहुत कम बीमारियों की चपेट में आते हैं। बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने के फायदे (chandi ke bartan mein khane ke labh) जानने के लिए यह लेख पूरा अवश्य पढ़ें।
हम चाहे कितनी भी साफ-सफाई रख लें लेकिन फिर भी थोड़ी बहुत गंदगी अपने आप ही आ जाती हैं। खासकर बच्चे ज्यादातर मिट्टी में खेलना पसंद करते हैं जिसके चलते वह अपने साथ कई तरह के कीटाणु ले आते हैं। चांदी के बर्तन में खाना खाने से हम छोटे-छोटे कीटाणुओं से बच जाते हैं। चांदी के बर्तन 100 प्रतिशत कीटाणु रहित होते हैं। इसलिए बच्चों को हमेशा चांदी के बर्तन में खिलाना चाहिए जिससे वह संक्रमण का शिकार ना हो लेकिन ध्यान रहे कि चांदी के बर्तन में खाना खिलाने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर ले। राजघरानों में तो आज भी चांदी के बर्तन में खाना खाया जाता है। आज भी छोटे बच्चों को चांदी के गिलास, कटोरी और चम्मच में रखकर खाना खिलाया जाता हैं। चलिए अब जानते हैं बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने के फायदे व स्वास्थ्य लाभ
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चांदी का सबसे बड़ा फायदा यह हैं कि यह शरीर को ठंडक देता है। जिस तरह चांदी के ज्वैलरी पहनने से शरीर को ठंडक मिलती है और गुस्सा शांत रहता हैं, उसी तरह चांदी के बर्तन में रखी चीजें खाने से भी शरीर को ठंडक मिलती हैं। गर्मी के मौसम में बच्चों को चांदी के गिलास में दूध पिलाने से या खाना खिलाने से बहुत फायदा मिलता हैं। इसके अलावा बच्चों को दवाई पिलाने के लिए भी चांदी की चम्मच का इस्तेमाल आप कर सकती हैं।
चांदी हमेशा कीटाणु रहित एवं संक्रमण रहित होती हैं। इस के बर्तनों का उपयोग हमें कई बीमारियों से बचाता है और शुद्धता प्रदान करता हैं। इसलिये चांदी शुद्धता का प्रतीक मानी जाती हैं।
चांदी के बर्तन में पानी, दूध या कोई और तरल पदार्थ रखने से उनमें ताजापन आता हैं। पहले समय में पानी साफ करने के लिए फिल्टर नहीं होते थे, ऐसे में लोग पानी को साफ और शुद्ध रखने के लिए चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। आज भी कई जलपरी शोधकों में उपरोक्त गुणों की वजह से चांदी शामिल किया जाता हैं।
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चांदी के बर्तन में खाना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं। हम आमतौर पर अपने घरों में जिन बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं उनका खाना बनाते वक्त कुछ न कुछ अंश भोजन में मिल जाता हैं। बच्चों का इम्यून सिस्टम बड़ों के जितना मजबूत नहीं होता हैं जिसके चलते खाना खाने से बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। जबकि चांदी के बर्तन में ऐसा नहीं होता हैं। इन बर्तनों में खाना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं।
चांदी के गिलास में पानी पीने से सर्दी व जुखाम की समस्या दूर होती हैं। वहीं चांदी के बर्तनों का प्रयोग पित्त बढ़ने की समस्या या पित्त दोष को दूर करने में बेहद प्रभावी होता हैं।
चांदी के बर्तन में भोजन करना दिमाग के लिए फायदेमंद होता हैं। यह दिमाग को शांत रखकर याददाश्त को बढ़ाने में मदद करता हैं।
यह आंखों की समस्याओं से भी निजात दिलाता हैं। आखो में किसी प्रकार के संक्रमण से भी राहत मिलती हैं। जिन लोगों को ज्यादा गुस्सा आता है उन्हें भी चांदी के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती हैं।
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चित्र स्रोत: jugantor.com
क्या आप जानते हैं कि सिर्फ भोजन का संतुलन और पौष्टिक होना ही आवश्यक जरुरी नहीं है बल्कि भोजन करने के लिए आप जिन बर्तनों का इस्तेमाल करती हैं उनका असर भी आपकी सेहत पर पड़ता हैं। इसलिए घर के बुजुर्ग हमेशा घर के नए मेहमानों को खिलाने पिलाने के लिए चांदी के बर्तन ही काम में लेने की हिदायत देते हैं क्योंकि चांदी शरीर के तापमान को ठंडा बनाए रखती है और हमें ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसलिए बर्तन का चयन हमें बहुत सोच समझ कर करना चाहिए।
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