हम हमारी दादी और नानी से बचपन से सुनते आ रहे हैं कि दाल का पानी (Daal ka Pani) बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक और फायदेमंद होता है। शिशु को 6 महीने तक केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए लेकिन छह माह के बाद बच्चों को अर्द्धठोस भोजन दिया जा सकता है। बच्चों को ठोस आहार की शुरुआत दाल के पानी से करने की सलाह दी जाती हैं क्योंकि यह प्रोटीन व अन्य पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है।
दाल का पानी (Daal ka Paani) बनाना बेहद आसान होता है। दाल में वह सारे गुण विद्यमान होते हैं जो एक शिशु के शारीरिक विकास और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसमें आयरन, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट तत्व होते हैं जो बच्चों को स्वस्थ रखते हैं।
सामग्रीः
दाल का पानी बनाने की विधिः
अगर आप समय बचाना चाहती हैं तो अपने खाने में दाल में पहले जरा सा नमक और हल्दी पाउडर डालकर प्रेशर कुकर में पका लें और फिर कुकर खोलकर इसमें से बच्चे के लिए दाल को पानी सहित निकाल ले और उसमें कुछ दाल के दानों को अच्छी तरह मैश कर ले। मैशड दाल में जरा सा घी या मक्खन डालकर मिला ले और बच्चे को प्यार से खिलाए। बच्चों को मूंग और मसूर की दाल का पानी (lentil water for babies) पिलाना लाभदायक होता है।
जब आपका शिशु 6 माह का हो जाता हैं तब आप उसे दाल का पानी देना शुरू कर सकती हैं। आप उसे कोई भी नयी चीज़ 3 दिनों के अंतराल में ही दे।
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आप शिशु को दाल का पानी बोतल से या सीधा कप से ना दे। आप इसे एक कटोरी में डालकर उसे चम्मच से पिलाये। आप अपने शिशु को किसी सहारे के साथ बिठा सकती हैं और फिर इसे पिला सकती हैं। शिशु के पेट में गैस ना बने इसके लिए आप उसमे एक चुटकी हींग भी मिला सकती हैं।
शिशु को पहली बार अगर दाल का पानी दे रहीं हैं तो कोशिश करें कि उसे मूंग की दाल का पानी ही दें। मूंग की दाल पचाने में बेहद आसान और सेहतमंद होती है। मूंग की दाल का पानी भी बच्चों को केवल छह माह के बाद ही देना चाहिए। 7वें महीने के बाद आप बच्चे को दाल के पानी में थोड़ी दाल को मसल कर दे सकती हैं। मूंग की दाल पीली वाली लेनी चाहिए। आप तूर दाल का पानी (Tur Dal Water) भी बच्चों को दें सकते हैं।
दाल का पानी पीना बच्चों के लिए एक बेहतरीन आहार है जो उनके पोषण की लगभग सारी आवश्यकताएं पूरी करता है। आइये जानते हैं इसके विभिन्न फायदों (Daal ke Pani ke Fayde) के बारें में:
दाल का पानी बच्चों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत होता है। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए प्रोटीन बेहद अहम होता है। प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं व हड्डियों में मजबूती लाता है। आप दाल के पानी में हल्का सा घी डालकर इसमें मौजूद प्रोटीन को आसानी से पचने लायक बना सकती हैं।
दाल का पानी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मददगार होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में सहायक होता है। इसे पीने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल नियंत्रित करने में व दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है। दाल फोलेट और मैग्नीशियम का भी एक अच्छा स्रोत माना जाता है।
दाल का पानी अच्छे से पचने वाला होता है और शिशु भी इसे आसानी से पचा लेता है। वैसे भी शिशु की पाचन प्रणाली शुरू से बहुत कमजोर होती है जो धीरे-धीरे मजबूत होनी शुरू होती है। यही कारण है कि शिशु को 6 महीने का होने पर एकदम से ठोस आहार देना उचित नहीं होता हैं। इसलिए शिशु को मां के दूध के साथ-साथ पतला दाल का पानी देना शुरू किया जा सकता है जिसके पीने से शिशु का पाचन तंत्र मजबूत होने लगता है।
6 महीने का होने पर सभी बच्चों को दाल का पानी पिलाना चाहिए क्योंकि दाल का पानी शरीर में खून को बनाने का काम करता है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है और इसके अलावा दाल में फाइबर की मात्रा अधिक होने से यह शिशु की नाजुक आंतों को भी अच्छे से साफ कर देता है। जिन बच्चों में खून की कमी हो उन्हें दाल का पानी जरूर पिलाना चाहिए।
जब बच्चों को दस्त लगते हैं तो उनके शरीर में तरल पदार्थ की कमी होने लगती है। ऐसे समय में उनके शरीर में तरल पदार्थ की पूर्ति करने के लिए कई तरह के तरल पदार्थ दिए जा सकते हैं जैसे कि मां का दूध, दाल का पानी या चावल का पानी आदि। यह सब तरल पदार्थ बच्चों के शरीर में दस्त से आई पानी की कमी को पूरा करते हैं और आसानी से पच भी जाते हैं।
छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है जिससे वे बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए दाल का पानी पिलाना चाहिए क्योंकि दाल का पानी (Daal ka Pani) बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
दाल में पाया जाने वाला जिंक और फोलिक एसिड शिशु की बीमारियों से रक्षा करता है और इसके साथ ही डीएनए के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
दालों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है और यह सभी पोष्टिक तत्व शरीर के सभी अंगो को मजबूत बनाने का काम करते हैं। इसलिए शिशु के संपूर्ण विकास के लिए हर मां को उनके आहार में दाल का पानी जरूर शामिल करना चाहिए ताकि आपका बच्चा तंदुरुस्त और हस्टपुष्ट बने।
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नोटः
दाल में बहुत सारे मिनरल्स और पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जो बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास दोनों के लिए बहुत जरूरी होते हैं। ६ महीने के बच्चों को दाल का पानी (6 mahine ke bachhe ko daal ka pani) देने से वह ऊर्जावान बनते हैं क्योंकि दाल का पानी बहुत जल्दी पच जाता है जिससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिल जाती है।
बच्चों को आहार में भरपूर मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है जो कि दाल का पानी उस आवश्यकता को पूरा करता है। इसलिए दाल का पानी उनके लिए एक जरूरी माना जाता है।
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