बच्चे नींद में अचानक क्यों रोने लगते हैं?

बच्चे नींद में अचानक क्यों रोने लगते हैं?

छोटे बच्चों का आकस्मिक और बार-बार रोना बहुत ही स्वभाविक है। बच्चे अपनी बात कहने व आपका ध्यान खिंचने के लिए रोते हैं। अपनी परेशानी बताने के लिए उनके पास रोना ही एक साधन होता है। कई बार बच्चे रात को भी रोते हैं। बच्चे कई बार नींद में हल्का सा रोते हैं तो कई बार बहुत अधिक। नींद में बच्चों का रोना माता पिता को परेशान कर देता है। आइयें जानते हैं कि बच्चे नींद में क्यों रोते हैं (bachhe neend mein kyu rote hain) और उन्हें रात को शांत कराने के लिए क्या करें।  

बच्चे नींद में अचानक क्यों रोने लगते हैं, कारण व उपाय? (Why Baby Cry during Sleep in Hindi?)

#1. REM अवस्था (REM State)

शिशु की नींद वयस्कों से बिल्कुल अलग होती है। नवजात शिशु दिन में सत्रह से अठारह घंटों तक सोता है। शिशु सोते हुए ज्यादातर REM अवस्था में होता है। इसका अर्थ होता है “रैपिड ऑई मूवमेंट” (Rapid eye movement sleep), इस अवस्था में साँस तेज़ चलती है और बंद आँखें भी तेज़ी से हिलती है, इसके साथ ही सपने आते हैं। इस अवस्था में बच्चा हल्का सा रोने जैसी आवाज़ भी निकाल सकता है तो मुँह से कुछ आवाजें भी निकल सकती हैं। REM अवस्था भी शिशु के नींद में रोने का एक कारण है। क्या करेंः अगर ऐसा है तो इस अवस्था में शिशु को एकदम न उठायें। विशेषज्ञों के अनुसार इस दौरान चार महीने से लेकर डेढ़ साल तक के बच्चे का थोड़े-थोड़ी देर में और धीरे से रोना बहुत सामान्य है। जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चे भी इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं। इस स्थिति में रात को हर दो से चार घंटे में जागकर आप बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सकती हैं। इसे भी पढ़ेंः बच्चो को बेड पर से गिरने से बचाने के उपाय

#2. डायपर का गीला होना (Wet Diaper)

शिशु का डायपर अगर गीला या गन्दा हो तो शिशु को असहज महसूस होता है। नींद में भी शिशु डायपर गीला कर सकता है और गीला लगने पर वो अपनी इस बात को अपनी माता-पिता को बताने के लिए रोने का सहारा लेता है। क्या करें अगर आपका बच्चा भी नींद में रोए तो सबसे पहले उसका डायपर जांचें कि कहीं उसका डायपर गीला या गन्दा न हो और उसे बदल दें। ऐसा डायपर चुनें जो रातभर बच्चे को चैन की नींद दे। दिन के समय भी अगर बच्चा एकदम से रोने लगे तो देखें कि कहीं उसने बिस्तर तो गीला नहीं कर दिया है।  

#3. तापमान (Temprature)

बच्चे अधिक गर्मी या ठंड को सहन नहीं कर पाते। रात के समय भी शिशु अचानक ज्यादा गर्मी या सर्दी महसूस कर सकते हैं। अगर तापमान में अचानक से बदलाव होता है तो इसका प्रभाव शिशु पर भी पड़ता है और वो बेचैन महसूस कर सकता है। क्या करेंः अगर आपका बच्चा नींद में रोता है तो इस बात पर भी ध्यान दें कि कहीं उसे अधिक गर्मी या सर्दी तो नहीं महसूस हो रही। अगर अधिक ठंड नहीं है तो बच्चे को अधिक कपड़े न पहनाएं या अधिक न लपेटे। बच्चा ऐसे अधिक आरामदायक महसूस करेगा। अधिक सर्दी होने पर उसके मुताबिक इंतज़ाम करें। ठंड में भी बच्चे को मौजे पहनाकर ना सुलाएं।  

#4. भूख (Hunger)

अगर बच्चा भूखा है तब भी वो नींद में रो  सकता है। शिशु का पेट बहुत जल्दी भर जाता है और उतनी ही जल्दी खाली भी हो जाता है। जिसके कारण उसे अधिक और बार-बार भूख लगती है। डॉक्टरों के अनुसार नवजात शिशु रात को सबसे ज्यादा भूख के कारण रोते हैं। क्या करें बच्चे को हमेशा रात को दूध पिलाकर ही सुलाएं। नवजात शिशु को विशेषकर तीन महीने तक के बच्चों को रात के समय जागकर अवश्य स्तनपान कराएं। दिन के समय में भी अगर बच्चा सो रहा है तो थोड़ी थोड़ी देर मेंं उसे फीड अवश्य कराएं। इसे भी पढ़ेंः बच्चे नींद में क्यों हंसते हैं?  

#5. डर जाना (To get frightened)

बच्चे भी हम बड़ों की तरह नींद में डर जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि बच्चे भी नींद में बुरे सपने देखते हैं। इस डर या बुरे सपनों की वजह से भी बच्चे नींद में रोने लग सकते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि अगर माता सोते हुए बच्चे के पास हो तो शिशु अपनी माँ का स्पर्श महसूस कर लेता है और इसकी प्रतिक्रिया वो रोते हुए देता है। क्या करें अगर बच्चा रात को डर की वजह से सोकर उठता है तो उसे थोड़ी देर गोद में रखें। आप उसे रात को अपने पास सुलाकर भी उसके डर को दूर कर सकते हैं।  

#6. असुविधा (Discomfort)

बच्चे को अगर कोई समस्या हो जैसे सोते हुए आसपास किसी तरह का शोर हो, जिसके कारण वो सो न पा रहा हो । इसके कारण भी बच्चा नींद में रोना शुरू कर सकता है। बिस्तर अच्छा ना होना, ज्यादा गर्मी या ठंडी की वजह से भी बच्चा रात में जाग सकता है। क्या करें बच्चे का बिस्तर हमेशा कोमल व आरामदायक होना चाहिए। कमरे में इस बात का भी ध्यान रखें कि मच्छर ना हों। अगर गर्मी का मौसम है तो कमरा ठंडा होना चाहिए। हां याद रखें कि रात को एक बार जाग कर यह जरूर देखें कि कहीं बच्चे को ठंड तो नहीं लग रही। ठंड के मौसम में बच्चे का विशेष ध्यान रखें। कंबल या रजाई ज्यादा भारी ना हो। रात को चेक करते रहें कि कहीं बच्चा कंबल फेंक कर तो नहीं सो रहा।     अगर आपका बच्चा नींद में रोता (bachha achanak neend mein rota) है तो परेशान न हों, धीरे से बच्चे को उठा कर अपने पास सुला लें  या उसे गोद में उठा कर पुचकारें और उसे बेहतर महसूस कराएं। बच्चे को इस अवस्था से बचाने के लिए उसकी दिनचर्या को निर्धारित कर लें और उसी समय के अनुसार उसे खिलाए, पिलाये व सुलाए। इसके साथ ही शिशु के खाने-पीने का खास ध्यान रखें।   कई बार ऐसा उनके दांत आदि निकलने के कारण भी हो सकता है। हालाँकि शिशु का नींद में रोना एक अस्थायी और सामान्य समस्या है जो समय के साथ ठीक हो जाती है लेकिन अगर यह समय के बीतने के साथ ठीक नहीं होती बल्कि बढ़ जाती है और इससे आपके बच्चे की दिनचर्या प्रभावित हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। इसे भी पढ़ेंः बच्चों में दस्त दूर करने के उपाय   क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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