शिशु के जन्म के बाद जब आप उसे घर लेकर आते हैं तो डॉक्टर आपको यह सलाह देते हैं कि आप बच्चे को पेट के बल ना सुलाएं क्योंकि पेट के बल सुलाने के बच्चों को काफी नुकसान होता है। लेकिन जन्म के छह सप्ताह बाद बच्चों को कुछ देर के लिए पेट के बल सुलाना भी जरूरी है। इस प्रक्रिया को टमी टाइम (Tummy Time) कहा जाता है।
द चिल्ड्रन हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया केयर नेटवर्क के डॉक्टर्स के अनुसार यह टमी टाइम हर शिशु के लिए बहुत जरूरी होता है। इससे बच्चे की गर्दन की मांसपेशियां और शरीर का ऊपरी भाग मजबूत होता है और आगे चलकर यह टमी टाइम आपके बच्चे के विकास लिए बहुत मदद करता है जैसे कि बैठना, घुटनों के बल चलना आदि। इसलिए बच्चों को पेट के बल लेटाना भी जरूरी होता है। बच्चों को पेट के बल लेटाने के कुछ फायदे निम्न हैंः
#1. पेट के बल लिटाने से बच्चों के गर्दन की मांसपेशियां और शरीर का ऊपरी भाग मजबूत होता है।
#2. पेट के बल लिटाने से बच्चा घुटनों के बल चलना, फिर थोड़ा-थोड़ा आगे सरकना जैसी फिजीकल एक्टिविटी जल्दी सीखता है।
#3. अगर शिशु को सिर्फ पीठ के बल लेटाया जाए तो उनका सिर पीछे से फ्लैट भी हो सकता है क्योंकि शिशु का सिर बहुत कोमल होता है। इसलिए उनका सिर फ्लैट न होकर गोल और सुंदर हो इसके लिए आपको शिशु की दिन में दो से तीन बार पोजीशन चेंज करनी चाहिए और उनको पेट के बल भी लिटाना चाहिए।
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#4. जब आप शिशु को पेट के बल लेटाती हैं तो वह अपने बाएं और दाएं और देख पाता है और अपने चारों ओर नजर घुमाता है| यह उसकी आंखों की मांसपेशियों के लिए बहुत अच्छा होता है।
#5. जब आपका शिशु सुबह उठता है तब आप उसे टमी टाइम दे सकती है क्योंकि उस समय बच्चों के पेट में गैस होती है और उन्हें पेट के बल लिटाने से सारी गैस बाहर निकल जाती है और वह बहुत रिलैक्स महसूस करते हैं।
#6. दोपहर में उन्हें अगर आप मालिश करते समय और रात को सोने से पहले पेट के बल लिटाते हैं तो वह बहुत थक जाते हैं और उन्हें थक कर बहुत अच्छी नींद आती है जो शिशु के लिए बहुत ही जरूरी है।
#7. जब आप अपने बच्चों को टमी टाइम दें तो आप कोई भी बजने वाला खिलौना ले जिससे वह उसकी आवाज सुनकर आगे सरकने की कोशिश करेगा| आप उसके आगे कोई टेड्डी या फिर गुब्बारा भी रख सकते हैं। ऐसे धीरे-धीरे उसकी एक्टिविटी बढ़ने लगेगी और वह खूब एंजॉय करेगा।
डॉक्टरों के अनुसार आप अपने शिशु को 6 सप्ताह के बाद पेट के बल लेटा सकते हैं परंतु यह ख्याल रखें कि जब भी आप बच्चे को पेट के बल लेटाए तो वह बिल्कुल आप की निगरानी में होना चाहिए। बच्चे का टमी टाइम शुरु करने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह ले।
इसके अलावा बच्चे को पेट के बल लेटाने का एक सही समय चुनें। सबसे बेहतर है जब वह जगा हुआ हो और खेल रहा हो। बच्चे अक्सर सोकर जागने के बाद, डायपर बदलने या नहाने के बाद काफी एक्टिव होते है।
इस समय टमी टाइम देना बेहतर होता है। कोशिश करें कि बच्चा पेट के बल लेटने के बाद गर्दन उठाएं और कुछ हरकतें करे। शुरु-शुरु में हो सकता है बच्चे को थोडी परेशानी हो लेकिन कुछ समय बाद उसे इसकी आदत पड जाएगी|
कई बार बच्चे शुरु-शुरु में पेट के बल लिटाने पर रोते हैं। इससे घबराएं नहीं, ऐसा होता है। बच्चा हो सकता है थोडी देर रोएं लेकिन जल्द ही वह इसका आदि हो जाएगा। यह उसके विकास के लिए बेहद जरूरी है।
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अब एक अहम बात, कभी भी सोते हुए बच्चे को या दूध पिलाने के तुरंत बाद बच्चे को पेट के बल ना लेटाएं। अगर आप उसे फीड के तुरंत बाद पेट के बल लिटा देंगी तो वह उल्टी कर सकता है। सोते समय पेट के बल लेटाने से शिशुओं को सांस संबंधी समस्याएं हो सकती है।
बच्चों को टमी टाइम देते समय यह सावधानियां अवश्य अपनाएंः
#1. आप बच्चों को टमी टाइम 1 महीने के बाद ही दें क्योंकि एक महीने में बच्चों का इतना विकास हो जाता है कि वह अपने आप को संभाल सके।
#2. बच्चों की अमली कल कोर्ड लगभग एक महीने बाद खुद टूट कर गिर जाती है इसलिए बच्चे को एक महीने से पहले पेट के बल ना लेटाएं। अगर आप ऐसा करेंगी तो हो सकता है कोर्ड पर रगड़ लग जाए जो कि हानिकारक हो सकता है।
#3. शिशु को टमी टाइम अपनी पूरी निगरानी में ही दें।
#4. आप शिशु को टमी टाइम नीचे जमीन पर ही कंबल या मेट बिछा कर दें क्योंकि बैड या फर्श पर लिटाने से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ सकती है।
#5. बच्चे को दूध पिलाते ही टमी टाइम ना दें, फीड कराने के कम से कम 1 घंटे बाद ही टमी टाइम दे।
#6. शुरुआती टमी टाइम का समय 1 से 2 मिनट का रखें और दिन में 2-3 बार दें। फिर बाद में धीरे-धीरे समय थोड़ा बढ़ा दीजिए।
#7. सुबह की धूप बच्चों के लिए फायदेमंद होती है। इसलिए कोशिश करें कि बच्चे को टमी टाइम सुबह ही दें ताकि धूप से मिलने वाली विटामिन डी उसे मिले।
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याद रखें हर माँ-बाप को अपने बच्चे को टमी टाइम अवश्य देना चाहिए। यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए काफी जरूरी होता है। इससे बच्चा एक्टिव भी होता है।
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