माता-पिता होना एक बहुत ही प्यारा एहसास होता हैं और इस एहसास के साथ-साथ यह एक जिम्मेदारी भी साथ लेकर आता हैं और यही जिम्मेदारी हमे विनम्र व सहनशील भी बनाती हैं| परंतु कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि हम ना चाहते हुए भी इन सब बातों को भूल जाते हैं और बच्चों के प्रति हमारा रवैया काफी रूढ़ हो जाता हैं| जिस कारण हम बच्चों को सजा देने पर उतारू हो जाते हैं| कई बार जब बच्चा ज्यादा जिद्द पकड़ लेते हैं या बात नहीं सुनते हैं तो माता-पिता उन्हें सजा देते हैं जो कि सही नही हैं| परंतु कई बार बच्चे इतनी जिद्द करते हैं कि हमारा सब्र का बांध टूट जाता हैं|
परंतु हमें एक बार यह जरुर सोचना चाहिए कि क्या सजा देना ही एकमात्र तरीका हैं बच्चों को सुधारने का?
बच्चों को सजा देने के बजाय उन्हें समझाये कि यह गलत क्यों हैं?
हालांकि ऐसा करने के पीछे हमारी मंशा इतनी होती है कि बच्चा दोबारा वह गलती ना करे| आइए जाने कि किस तरह बच्चों को उनकी हर छोटी गलती पर सजा देना खतरनाक हो सकता हैं|
बच्चों को सजा देने के दुष्प्रभाव
#1. बुरी भावना उत्पन्न होना
हर बात को याद दिलाने और सबक सिखाने के लिए अगर माता-पिता अपने बच्चों को बार-बार सजा देते हैं तो बच्चों के अंदर आपके लिए बुरी भावना आ सकती हैं| हो सकता हैं कि कई बारी छोटी-छोटी बातें इतना बड़ा रूप ले लेती है कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं तो वह अपने माता-पिता से इस चीज़ के लिए नफरत करने लगते हैं|
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#2. ढीठ हो जाना
बार-बार सजा देने पर बच्चे सुधरने के बजाय ढीठ हो जाते हैं और वे अपने माता-पिता की हर बात पर मानसिक रूप से सजा के लिए तैयार हो जाते हैं| उन्हें लगने लगता है कि वह कुछ भी करें या ना करे, उनके माता-पिता वह काम पसंद नहीं करेंगे और उन्हें सजा देंगे| ऐसे में बच्चे सोचने लगते हैं कि कोई बात नहीं जो करना है कर लेते हैं वैसे भी सजा तो मिलेगी ही| ऐसे में बच्चों को सजा की चिंता नहीं सताती है बल्कि उन्हें आपको परेशान करने में मज़ा आने लगता हैं जो कि एक बहुत ही बुरी आदत बन जाती हैं|
#3. डर या फोबिया पैदा होना
कुछ बच्चों का दिमाग बहुत कोमल होता हैं| ऐसे बच्चों को हर छोटी-छोटी गलतियों पर डांटने या मारने से इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ता है और बच्चे डर या फोबिया का शिकार हो जाते हैं| जिसके खतरनाक परिणाम भी हो सकते हैं| अगर बच्चों के दिमाग में फोबिया घर कर लेता हैं तो उसके कारण उनका मानसिक विकास रुक सकता हैं|
#4. हीन भावना उत्पन्न होना
कई बार माता-पिता बच्चों को सुधारने के चक्कर में दूसरे भाई-बहनों के सामने या उनके दोस्तों के सामने डांट फटकार लगा देते हैं या कई बार उनको मार भी देते हैं| ऐसा करने से बच्चों में हीन भावना उत्पन्न हो जाती हैं जिससे वह कम बोलने वाला या यू कहे दब्बू किस्म का हो जाता हैं| ऐसा होने पर वह घर के बाहर, दोस्तों के साथ या दूसरे लोगों के साथ में असहज महसूस करने लगता हैं| इसके अलावा वे हमेशा अपने आप को दूसरों से कम आंकते हैं व खुद को किसी लायक नहीं समझते हैं| ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की बहुत कमी पाई जाती हैं|
#5. बगावत करना
कई बच्चों को बात-बात पर सजा मिलती हैं तो वह चिड़चिड़ा हो जाता हैं और उसके आसपास नकारात्मकता घर कर जाती है जिससे वह अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हैं| बार-बार ऐसे ही व्यवहार होने पर उसमें इतनी हिम्मत आने लगती हैं कि वह बगावत पर भी उतर आते हैं| शुरुआत में वह आपकी बातों का पलट कर जवाब देने लगते हैं और धीरे-धीरे अगर आप उन्हें सजा देने पर हाथ उठाते हैं तो यह अपने आप को नुकसान पहुंचा सकते हैं जो कि बहुत गलत हैं|
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क्या सजा देना सही हैं?
नहीं, जरूरी नहीं है कि हम बच्चों को उनकी छोटी-छोटी गलतियों पर सजा ही दे| सजा देने से पहले माता-पिता अपना बचपन याद करे कि उन्होंने भी बचपन में छोटी-मोटी गलतियां की होगी| बच्चों को सजा देने की बजाय उन्हें प्यार से समझाये और अपनी गलती का एहसास कराये कि वह यह गलती दोबारा ना करें तो ज्यादा बेहतर होता हैं| बच्चे तो बच्चे होते हैं, उन्हें हमारी तरह हर बात की अच्छाई और बुराई की समझ नहीं होती हैं, सही-गलत का भी नहीं पता होता हैं| इसलिए उन्हें डांटने या मारने की बजाय उनके व्यवहार को समझने की कोशिश करे|
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