बच्चे के जन्म के दो घंटे के बाद ही बच्चे को दूध की जरूरत हो जाती है, अगर उस समय मे माँ का दूध हो जाए और बच्चा उस पहले दूध को ग्रहण कर ले तो यह बहुत ही अच्छा होता है। इस दूध के पीने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। अगर उस समय मे किसी कारणवश माँ यह दूध न पीला पाये तो उस दूध को बोतल से पीला देना चाहिए।
ऐसे तो 6 महीने तक माँ का ही दूध पिलाना चाहिए, लेकिन अगर माँ को दूध कम हो या फिर किसी तरह की परेशानी हो तो उस समय बच्चे को बोतल से दूध पिलाना जितनी जल्दी हो शुरू कर देना चाहिए। तो आइयें जानें बच्चों को बोतल से दूध देने की सभी जानकारी (Bottle Feeding Safety Tips)|
जब बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाता है तो सबसे पहले यह सोचना चाहिए कि बच्चों की दूध की बोतल (baccho ki doodh ki bottle) कैसी हो, बाज़ार मे शीशे की बोतल, स्टील की बोतल और प्लास्टिक की बोतल बच्चो के लिए मिल जाती है। इसमे सबसे अच्छी तो स्टील की ही बोतल होती हैं।
अगर आप शीशे की बोतल लेती है तो आप बच्चे को दूध देते समय यह सावधानी रखे कि कहीं इसका कोना टूट तो नहीं गया, अगर गलती से शीशा दूध मे गिर जाए या फिर बोतल से बच्चे के हाथ मे लग जाएगी तो परेशानी हो सकती है।
आप प्लास्टिक या स्टील की बोतल काम में ले सकती है। आजकल बाज़ार मे प्लास्टिक की बीपीए फ्री (BPA Free) बोतल उपलब्ध है इन्हें आप ले सकती है। लेकिन प्लास्टिक की बोतल के रख-रखाव मे आपको सावधानी रखनी होगी। सबसे पहले तो हर 6 महीने के बाद बोतल जरूर बदलनी चाहिए, अगर बीपीए फ्री बोतल न हो तो हर तीन महीने के बाद बदलनी चाहिए।
हर बार दूध पिलाने से पहले बोतल को उबालना बहुत जरूरी है, दूध पिलाने से संबंधित जीतने भी सामान है जैसे बोतल, निप्पल, ढक्कन, निप्पल का रिंग, चम्मच इत्यादि सभी को किसी अच्छे प्रॉडक्ट के बोतल धोने के तरल पदार्थ से धोने के बाद ही उबालें।
बोतल को कम से कम 20 मिनट तक ढक कर उबाले, आजकल बाज़ार मे बोतल उबालने की मशीन भी उपलब्ध है। बच्चों के दूध पीने की निप्पल भी समय-समय पर चेक करते रहना चाहिए, अगर उसका रंग बादल गया हो या फिर छेद बड़ा हो गया हो तो इसे बदल देना चाहिए।
जब भी बच्चे को दूध पिलाना हो तो गोद मे लेकर ही पिलाये, नहीं तो दूध कान मे जाने का डर बना रहता है। इसलिए गद्दे पर लेटाकर दूध न पिलाये।
बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से दूध देना चाहिए। नवजात शिशु को बार-बार भूख लगती है इसलिये उसे हर 2 घंटे पर दूध देना चाहिए। लेकिन उसे बोतल से दूध पिलाने मे कोई भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए, उसे जितनी भूख होगी वह उतना दूध जरूर पीएगा और जितनी बार पिये उसे पीने दें। उसके बाद वह जब कुछ बड़ा होता है तो वह ज्यादा दूध पीता है तो उस समय मे दूध देने का समय बढ़ा देना चाहिए। रात मे बार-बार बच्चे को उठाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए।
नवजात शिशु को 80 से 95 मिली लीटर (95 ml Milk) दूध पिलाना चाहिए। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है तो उसकी खुराक बढ़ जाती है तो दो माह के शिशु को आप 150 से 200 मिली लीटर तक दूध दे सकती है। जैसे-जैसे बच्चे की खुराक बढ़ेगी उसकी अगले खुराक की अवधि भी बढ़ जाएगी।
माँ के दूध के साथ-साथ बोतल का दूध भी दे सकती है। बच्चे के दूध को गरम करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जब बच्चा कुछ बड़ा हो जाए तो उसे कुछ-कुछ अनाज खाने की भी आदत डालनी चाहिए। इन सब बातों को ध्यान में रखकर बच्चों को दूध पिलाना चाहिए।
अगर बच्चा बोतल से दूध ना पिए तो उसके साथ जबरदस्ती ना करें। आप उसे कटोरी या सिपर की मदद से भी दूध पिला सकती हैं। एक और बात कई बार हो सकता है कि फॉर्म्यूला मिल्क का स्वाद भी बच्चे को पसंद ना
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