लगभग हर बच्चे कभी ना कभी खेलते हुए बिस्तर से गिर जाते हैं| 6 महीने से 1 साल तक के बच्चे करवट लेना सीखते हैं और बिना सहारे के बैठने की कोशिश करने लगते हैं क्योंकि उनका अधिकतर समय बिस्तर पर ही गुजरता है| इससे उनके बिस्तर से गिरने की संभावना रहती है| गिरने की वजह से बच्चे को कभी-कभी गंभीर चोट लग सकती है| चोट अगर अंदरूनी है तो बाहर से चोट की गंभीरता के बारे में जानना मुश्किल होता है| बच्चा बिस्तर से गिर पड़े और अगर आप उसमे हमारे बताए हुए लक्षणों को देखें तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले कर जाए| हो सकता हैं बच्चे को सर में या फिर शरीर में कोई अंदरूनी चोट लगी हो| समय पर बच्चों का इलाज होने पर और उचित देखभाल से बच्चा कुछ ही समय में पूर्ण रुप से स्वस्थ हो जाएगा लेकिन इसके लिए यह पता होना चाहिए कि बच्चे को चोट लगी है या नहीं और कहां लगी है क्योंकि अगर बच्चे को चोट लगी है तो समय पर इलाज महत्वपूर्ण है|
जब बच्चा घुटनों के बल चलना शुरू करता है तो उसकी विशेष निगरानी रखनी पड़ती है| थोड़ी सी असावधानी या नजर हटते ही बच्चे न जाने कब बिस्तर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंच जाते हैं और गिर भी सकते हैं| ऐसे में उनका बिस्तर से गिरने की संभावना बढ़ जाती है| अधिकांश मामलों में बिस्तर से गिरने पर बच्चों को कोई विशेष चोट नहीं लगती| फिर भी यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बच्चे को अंदरूनी चोट तो नहीं लगी है| कई बार गिरते वक्त बिस्तर के एक कोने से बच्चे के सर पर चोट लगने की संभावना रहती है या बिस्तर के नीचे खिलौने या दूसरे सामान पर गिरने से बच्चे के सिर पर चोट लग सकती है| इसलिए हर संभव कोशिश करें कि बच्चे बिस्तर पर हो तो पूरी सावधानी बरतें ताकि बच्चे को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाया जा सके|
बड़ों की तुलना में बच्चों की खोपड़ी बहुत लचीली होती है| इस वजह से बड़ों की तुलना में बच्चों के सर पर गंभीर चोट की संभावना कम रहती है लेकिन यह एक अप्रत्याशित घटना होती है जिस वजह से उसे धक्का लगता है और वह रोने लगता है| अधिकांश मामलों में बच्चा चोट की वजह से नहीं बल्कि गिरने की वजह से रोता है|
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#1. सर्वप्रथम आप अपने बच्चे का ध्यान से निरीक्षण करें और यह देखें कि कहीं उसके सिर पर चोट या सूजन तो नहीं है| अगर कुछ समय बाद बच्चा शांत हो जाता है और आराम से सोए तो उसे सोने दीजिए| #2. बच्चों की आंखों को ध्यान से देखिए कि वह आंखों से ध्यान से फोकस कर पा रहे हैं या नहीं| #3. गिरने के बाद अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा है और रोते-रोते एक दम से सो जाए तो आप तुरंत उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं| #4. गिरने के बाद अगर आपका बच्चा उल्टी करता है या बुखार हो जाए तो डॉक्टर के पास ले कर जाएं| #5. बच्चे के गिरने के बाद कुछ दिनों तक उस पर नजर रखें| अगर इन दिनों में आप यह पाए कि आपका बच्चा शांत और सुस्त है और ज्यादा समय सोता है तो यह सारी बातें अपने डॉक्टर को बताएं|
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#1. दिन में आपको शिशु को बेड पर रखने की जरूरत नहीं है| इसके लिए आप जमीन पर चटाई या चादर बिछा दें और उस पर बच्चे को लिटा दें| जिससे वह वहीं बैठे-बैठे खेल सकेगा और उनके गिरने की संभावना कम हो जाएगी|
#2. शिशु की पहुँच से वो सारी चीजें दूर कर दें जिससे शिशु को चोट लग सकती है| उदाहरण के लिए अगर मेज पर पानी की बोतल रखी है तो शिशु उस बोतल को उत्सुकतापूर्वक खींचने की कोशिश करेगा जिससे बोतल उसके पैर पर गिर सकती है| इसलिए बिस्तर पर कोई भी वस्तु रखी हो तो इस बात का ध्यान रखें कि उससे शिशु को चोट तो नहीं लग सकती है|
#3. शिशु के बिस्तर के लिए आप बेडगार्ड का भी इस्तेमाल कर सकती है| आजकल बाजार में और ऑनलाइन आपको कई तरह के बेडगार्ड मिल जाएंगे जिसे शिशु के बेड से गिरने पर उनका बचाव हो सकता है|
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#4. रात के समय आप शिशु को पालने में भी सुला सकती हैं| पालने में चारों तरफ से ग्रिल लगी होने की वजह से उसके गिरने की संभावना बहुत कम हो जाती है|
#5. अगर शिशु आपके साथ बेड पर सोता है तो बिस्तर के चारों तरफ कारपेट का गद्दा बिछा दे| ताकि अगर शिशु गिर भी जाए तो कारपेट के गद्दे पर गिरे जिससे उन्हें चोट ना लगे| इन सबके अलावा आप सोते समय एक चुन्नी से अपने शिशु के पैर को हल्का सा बांधकर, अपने हाथ पर चुन्नी का दूसरा सिरा बांध सकती है जिससे उनके बेड पर से गिरने की संभावना कम हो जाती है|
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