अपने बच्चे को बढ़ते हुए देखने से बेहतर माता-पिता के लिए और कुछ नहीं हो सकता। अपने बच्चे के माध्यम से वे अपना बचपन एक बार फिर से जीते हैं। बच्चे को पालना-पोसना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। माँ की ज़िम्मेदारी तब और भी बढ़ जाती है जब बच्चा खुद से हिलना-डुलना या बैठना शुरू कर देता है।
बच्चे के अंग बहुत ही नाज़ुक होते हैं इसलिए इस दौरान बच्चे की हर गतिविधि का ध्यान रखा जाता है। आज हम आपको बच्चे के बैठने के ऊपर पूरी जानकारी देने जा रहे हैं जो आपको अवश्य जाननी चाहिए यहां आप जान सकते हैं कि बच्चे कब बैठना शुरु करते है और बच्चों को बैठना कैसे सिखाए (Bachche ko Baithna Kaise sikhaye)?
शिशु के जन्म के शुरुआती 6 महीने तक बच्चा अपने सिर को ऊपर उठा कर खिलौने को अपने हाथ में लेने में पूरी तरफ से सक्षम हो जाता है। बच्चे की विकास में यह 6 महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं| इसमें बच्चा अपने शरीर की पोजिशन्स को बदलना और खुद बैठना सीख जाता है।
बच्चा आमतौर पर 4 से 5 महीने तक बैठना शुरू कर देता है| हालाँकि कुछ बच्चों को इसमें 6 महीने लग जाते हैं। चौथे या पांचवें महीने में बच्चा किसी वस्तु का सहारा लेकर भी बैठना शुरू कर सकता है हालाँकि खुद से बैठने में उसे थोड़ा समय लग सकता है इसलिए कई बच्चे छठे या सातवें महीने में भी बैठना शुरू करते हैं।
अब सवाल है कि बच्चों को बैठना कब सिखाएं (bachche ko baithna Kab sikhaye)? तो इसका जवाब है बच्चों को पांचवे से छठे महीने में बैठना सिखा सकते हैं। इसके लिए पहले हल्की-हल्की कोशिश करें और बच्चे को खुद इसके लिए प्रोत्साहित करें।
अगर ऐसा नहीं होता हैं तो उसे जल्दी बैठना सिखाने के लिए व्यायाम करवाया जा सकता हैं। इसमें माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण हैं क्योंकि माता-पिता अपने बच्चे को बैठने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं साथ ही उसकी मदद भी कर सकते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि लड़कों की तुलना में लड़कियाँ अधिक जल्दी चलना और बैठना शुरू कर देती हैं। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को बैठना कैसे सिखाएं (Bachche ko Baitna Kaise Sikhaye)?
अगर आपका बच्चा बिलकुल स्वस्थ है और उसका विकास सही हो रहा है तो वो स्वयं बैठने या हिलने डुलने लगेगा हालाँकि हर बच्चे का शारीरिक विकास अलग-अलग होता है। कुछ बच्चे जल्दी चलना, बैठना, बोलना आदि शुरू कर देते हैं तो कुछ बच्चे इसमें समय लेते हैं। ऐसे में माता-पिता और अन्य अभिभावक इसमें बच्चे की मदद कर सकते हैं।
मेरी माँ मुझे बताती हैं कि अगर बच्चे को खुली जगह में छोड़ दिया जाए तो बच्चे जल्दी बढ़ते हैं जैसे बेड की जगह उसे फर्श पर बिठायें। ऐसे बच्चा बैठना, जल्दी हिलना डुलना, चलना सीखेगा। इससे बच्चा जल्दी बैठना ही नहीं बल्कि चलना और भागना भी सीखता है।
हमारे घरों में शिशु की मालिश को बहुत अहमियत दी जाती है। जन्म से ही उसकी मालिश शुरू होती है और तब तक की जाती है जब तक बच्चा अच्छे से चलना या दौड़ना न शुरू कर दे। कई-कई घरों में तो शिशु की कई सालों तक मालिश की जाती है।
ऐसा कहते हैं कि मालिश करने से बच्चों में रक्त प्रवाह सही से होता है और उसकी हड्डियाँ व मांसपेशियाँ भी मजबूत होती हैं। जिन बच्चों की रोज़ाना मालिश होती है वो बहुत जल्दी बैठना शुरू कर देते हैं| बच्चे की रात को सोने से पहले मालिश अवश्य करें, ऐसा करने से बच्चे को नींद अच्छी आती है या फिर नहलाने से आधा घंटा पहले मालिश करना भी बच्चे के लिए फायदेमंद है|
बच्चों को रोज़ाना व्यायाम कराएं। व्यायाम का मतलब है कि बच्चों की टांगों या हाथों को पकड़ कर उनको हिलाना। ऐसा आप पहले करें और उसके बाद बच्चे को स्वयं ऐसा करने दें। ऐसा करने से बच्चे की हड्डियाँ और मांसपेशियां मजबूत होती है और वो जल्दी बैठना शुरू कर देता है।
कैंची व्यायाम भी बच्चे के विकास में सहायक है। इसमें बच्चे के पैरों को साइकिल के पहिये की तरह मूव कराते हैं। इस तरह से बच्चा अपने पैरों को हिलाना सीखता है। इस अभ्यास में बच्चे के कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और अधिकतर बच्चे इन गतिविधि से खुश भी होते हैं साथ ही इससे बच्चे को बैठने में भी मिलती है।
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बच्चा इस उम्र में किसी भी आवाज़ की तरफ आकर्षित हो जाता है| ऐसे में बच्चे के लिए कोई ऐसा खिलौना लें जिससे आवाज आती हो या कोई ऐसा गाना बजाएं जिसकी तरफ वो आकर्षित हो। इन्हें बच्चे से थोड़ी दूर रख दें जिससे वह आवाज सुनकर उन चीज़ों की तरफ आकर्षित होगा और खुद उसकी तरफ बढ़ेगा।
इससे बच्चा स्वयं ही मूव करना सिख जायेगा। सिर को उठाना, अपने हाथों में चीज़ों को पकड़ना या बैठना ऐसे ही बच्चा सीखता है।
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एक बार अगर आपका बच्चा खुद से बैठना सीख जाता है तो आपको कमरे में कुछ बदलाव करने होंगे। इस दौरान बच्चे को हर वस्तु को अपने हाथ में पकड़ने की इच्छा होती है, ऐसे में हर उस चीज़ को उस कमरे से हटा दें जिससे बच्चे को हानि पहुंचे।
जब बच्चा बैठना सिख जाता है तो उसके बाद वो घुटनों के बल चलने की कोशिश करना शुरू कर देता है, तब आपकी देखभाल और ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जायेगी। लेकिन घबराएं न क्योंकि इन्ही जिम्मेदारियों को निभाने में आपको आनंद आएगा।
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