आंखों में संक्रमण होना वैसे तो एक आम बीमारी हैं और इस बीमारी को आई फ्लू भी कहते हैं| यह आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं| यह जीवाणु से फैलने वाला संक्रामक रोग होने के कारण घर परिवार में किसी एक व्यक्ति को होने पर दूसरे छोटे बड़े सभी लोग इसके शिकार बन सकते हैं| इस रोग के जीवाणु रोगी के इस्तेमाल किए गए रुमाल, तौलिये व दूसरी वस्तुओ से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच कर उन्हें वायरल कंज्कितवाइटीस का रोगी बना देते हैं| इसमें शुरू के कुछ दिन रोगी को अधिक पीड़ा से गुजरना पड़ता हैं|
#1. आंख का सुर्ख लाल हो जाना
#2. वायरल कंजक्टिवाइटिस में आंखों से चिपचिपा जैसा तरल पदार्थ तेजी से निकलने लगता हैं जिससे आंखों में दर्द होने के साथ ही जलन होती हैं| रोगी धूप में नहीं निकल पाता और रात में इसके निकलने से आंखें चिपक जाती हैं|
#3. आंखों में कीचड़ का आना और ज्यादा आंसू निकलना
#4. चिपचिपे पदार्थ के आंखों पर आ जाने से धुंधला दिखने लगता
#5. आंखों की पलक पर सफेद परत चढ़ जाना
#6. आंखों में दर्द, जलन तथा खुजलाहट का होना
#7. खाने पर प्रकाश असहनीय लगता है इस स्थिति को फोटोफोबिया कहते हैं|
#8. रोग की तीव्र अवस्था में खून भी आ सकता हैं
#9. वायरल कंजक्टिवाइटिस होने पर आंख में कोई वस्तु रगड़ने का एहसास होता रहता हैं|
इसे भी पढ़ें: शिशु के रोने के कारण व शांत कराने के ५ असरदार उपाय
आंख के ऊपर और नीचे की पलकों के भीतरी भाग और आंखों के सामने के भाग में पुतली को छोड़कर एक पतली श्लेष्मा झिल्ली रहती है इसे नेत्र श्लेष्मा कहते हैं| यह बाहरी कचरे, धूल इत्यादि से आँख की सुरक्षा करती हैं| इसमें कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं जिससे इसमें सूजन आ जाती है और जलन, खुजलाहट, लालामी इत्यादि कई लक्षण दिखाई देते हैं इसे कंजक्टिवाइटिस कहते हैं| यह कई प्रकार की होती हैं और इन्हें कई कई कारण होते हैं जैसे कि:
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस होने पर आंखों में बहुत अधिक कीचड़ आता हैं| यह रोग जीवाणुओ या विषाणुओ इत्यादि जीवित इकाईओ से भी हो सकता है और भौतिक पदार्थों जैसे आंखों में कचरा, किसी मच्छर, कीट पतंगे या कोई रसायनिक पदार्थ जाने से भी हो सकता हैं|
किसी चीज से एलर्जी होने पर जैसे साबुन, शैंपू, परफ्यूम से भी कंजक्टिवाइटिस हो सकता हैं| धूल मिट्टी के आँखों में लगने से जीवाणुओं को आंखों पर संक्रमण का खूब अवसर मिलता हैं| दूषित जलवायु में रहने से भी इस रोग की अधिक उत्पत्ति होती हैं| गंदे पानी से नहाने से भी इसकी बीमारी होती हैं| कई तरह की बीमारियों जैसे छोटी माता, खसरा, फ्लू इत्यादि से भी कंजक्टिवाइटिस हो जाती हैं| यह रोग मानसूनी बारिश का सीजन खासकर अगस्त के महीने में फैलती हैं|
इसे भी पढ़ें: बच्चों के नाक से नकसीर आने के कारण व 10 घरेलु उपाय
#1. आंखों से जो पानी निकलता हैं उसमें रोग के वायरस होते हैं| यह स्त्राव हाथों, कपड़ों, रुमाल, चश्मा इत्यादि में लगकर अन्य व्यक्ति तक पहुंच जाता हैं| इसलिए परिवार के बाकी सदस्य रोगी के रुमाल तौलिये आदि का प्रयोग ना करें| बल्कि इसके लिए टिशू पेपर प्रयोग करें ताकि एक बार इस्तेमाल करने के बाद उसे फेंका जा सके\
#2. सब एक ही आई ड्रॉप से दवा ना डालें और ना ही आई ड्रॉप से आँख को छूने दे|
#3. नहाने के पानी का खास ध्यान रखे क्योंकि गंदे पानी में नहाने से भी बीमारी लग जाती हैं| हो सके तो बाल्टी में 2-3 बूँद डेटोल की भी मिला सकते हैं|
#4. भीड़ भरे स्थानों जैसे सिनेमाघरों इत्यादि में अपने बच्चो को ना लेकर जाए|
#5. बार-बार मसलने से आंखों के अंदरूनी हिस्सों को नुकसान पहुंचता हैं व घाव भी हो सकता हैं|
#6. यदि रोग से एक आँख प्रभावित हैं तो दूसरी को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावित आँख की ओर करवट लेकर सोना चाहिए|
इसे भी पढ़ें: क्या बच्चों की आँखों में काजल लगाना ठीक हैं?
क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|
null