शिशु को नहलाते समय इन 7 बातों का अवश्य ध्यान रखें

शिशु को नहलाते समय इन 7 बातों का अवश्य ध्यान रखें

शिशु की परवरिश करना आसान नहीं होता खास कर पहली बार माँ बनी महिलाओं के लिए। शिशु के जन्म के कुछ महीनों बाद तक उसे कैसे सुलाना है, कैसे पकड़ना है या कैसे स्तनपान कराना है सब कुछ एक पहेली की तरह होता है। हालाँकि धीरे-धीरे अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता हैं और उसके बाद सब कुछ सरल लगने लगता है किन्तु शुरुआत के कुछ दिन मुश्किल भरे होते हैं। ऐसे ही इन मुश्किल कामों की लिस्ट में शामिल है शिशु को नहलाना। नन्हे से शिशु को हाथ में पकड़ कर उसे साबुन लगाना या साबुन लगे शिशु को नहलाना बेहद कठिन प्रतीत होता है लेकिन सच मानिये थोड़े से अभ्यास और कुछ आसान बातों का ध्यान रखकर आप इस काम को भी सरलता से कर पाएगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बच्चे को नहलाते हुए किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

 

बच्चों को नहलाने के सात मुख्य टिप्स (7 Bathing Tips for Kids in Hindi)

 

 

#1. शिशु को नहलाने का समय

शिशु को दिन के किस समय नहलाएं इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए। शिशु को नहलाना उसकी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ऐसे में शिशु को नहलाने के लिए ऐसे समय को चुने जब आप उसे पूरा समय दे पाएं। इसके लिए उस समय को निर्धारित करें जब आप अपना सारा काम कर चुके हों और इसके साथ ही शिशु भी अपनी नींद पूरी कर चुका हो और साथ ही वो भूखा न हो। ऐसा करने से शिशु को नहाने में मजा आएगा। बच्चे को दिन के ऐसे समय में नहलाएं जब अधिक गर्मी या सर्दी ना हो। सर्दियों में धूप में उसे नहलाना अच्छा रहेगा जबकि गर्मियों में उसे दो या तीन बार भी नहलाया जा सकता है। अगर शिशु की त्वचा अधिक रुखी या संवेदनशील हो तो एक दिन छोड़ कर उसे नहलाएं या स्पंज करे।

#2. जरूरत का सामान रखें तैयार

शिशु को नहलाने और उसके कपडे उतारने से पहले स्नान के लिए जरूरी सभी चीज़ों को इकट्ठा कर लें। उसके नहाने के पानी को भी पहले से ही तैयार करके रखें। ऐसा करने से शिशु को नहलाते हुए आपको बार-बार उठकर सामान लेने नहीं जाना पड़ेगा जिससे न तो आपको परेशानी होगी न ही शिशु को। अगर शिशु बहुत छोटा है तो आप उसे नहलाने के लिए घर के किसी अन्य सदस्य की भी मदद ले सकते हैं। जो सामान आपको पहले ही अपने पास रखना हैं उनमे से कुछ इस प्रकार है- उसका साबुन, शैंपू, बाथटब, मग, कपडे, तौलिया, बेबी क्रीम, पाउडर, कंघी, नैपी आदि।

 

 

#3. पानी के तापमान का रखें ध्यान

शिशु को नहलाने के लिए पानी का तापमान कैसा हो इसकी जाँच करना बहुत जरूरी है। शिशु को नहलाने के लिए पानी न तो अधिक गर्म होना चाहिए न ही ठंडा बल्कि गुनगुना होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शिशु को नहलाने के लिए पानी का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के करीब होना चाहिए। बाजार में पानी का तापमान मापने के लिए बाथ थर्मामीटर उपलब्ध है जिससे आप पानी के तापमान के बारे में जांच सकते हैं किन्तु अगर आपके पास यह थर्मामीटर नहीं है तो भी आप अपनी कोहनी से पानी के तापमान को जाँच सकती हैं।

 

#4. नहलाने का तरीका

शिशु को नहलाने के लिए आमतौर पर घरों में बाथटब का प्रयोग होता है। अगर आप बाथटब का प्रयोग करते हैं तो ध्यान रहें कि नहलाते समय जब आप शिशु को बाथटब में रखते हैं तो उसे अच्छे से पकडे रहें क्योंकि इसमें शिशु के फिसलने का डर रहता है। शिशु के सिर को भी सहारा देना बहुत जरूरी है। कई घरों में आज भी बच्चों को अपने पैरों में बिठाकर उसे नहलाया जाता है। इसमें बच्चे को पैरों में बिठाकर एक हाथ से उसे सहारा दिया जाता है और दूसरे हाथ से उसे साबुन लगाया जाता है और उस पर पानी डाला जाता है। इस तरह से नहलाने के लिए खास अभ्यास की जरूरत होती है क्योंकि पैरों पर बिठाकर शिशु को नहलाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में किसी अन्य की मदद लेना आवश्यक है।

 

#5. सही उत्पादों का चुनाव करें

बच्चे के साबुन, शैंपू, पाउडर, क्रीम का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि वो शिशु की त्वचा के लिए कठोर न हो। शिशु की त्वचा बहुत ही कोमल होती है ऐसे में उनकी त्वचा के लिए प्रयोग होने वाले उत्पाद भी सौम्य होने चाहिए। बच्चे का साबुन या शैंपू ऐसा होना चाहिए जो उसकी त्वचा को रूखी न बनाये बल्कि उसका पोषण करें। बच्चों के लिए उन उत्पादों का उपयोग करना चाहिए जिन्हें खासकर उनके लिए बनाया गया हो। बच्चों के सामान में कुछ खास कैमिक्ल्स का विशेष ख्याल रखें जैसे पैराबेंस, डाई, सल्फेट आदि। यह कैमिकल्स बच्चों की स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए हमेशा पैराबेन्स और डाई फ्री प्रोडक्टस ही चुनें जैसे जॉनसन बेबी केयर रेंज।

 

 

#6. मालिश करें

शिशु को नहलाने से पहले उसकी मालिश करनी चाहिए। मालिश करने से न केवल बच्चे की मांसपेशियां मजबूत होती है बल्कि बच्चे के विकास में भी मदद मिलती है। साथ ही मालिश करने के आधे घंटे बाद बच्चों को नहलाने से उन्हें अच्छी नींद आती है और शिशु प्रफुल्लित और एक्टिव रहता है। साथ ही बच्चे के शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है और उसके शरीर की कसरत भी होती है। यह सब शिशु के लिए बेहद जरूरी है। नहलाने के बाद बच्चे को मॉश्चराइजर लगा लें ताकि उसकी त्वचा का पूरा पोषण हो सके।

 

#7. शिशु को कभी भी अकेला न छोड़े

ऐसा माना जाता है कि जो माताएं स्वयं अपने शिशु को स्नान करवाती है उसके और शिशु के बीच भावुकता और प्रेम का अनोखा रिश्ता बन जाता है जो पूरी उम्र रहता है। शिशु को नहलाते हुए इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि नहलाते हुए कभी भी शिशु को अकेला छोड़ कर न जाएँ। आपका उसे अकेला छोड़ना किसी मुसीबत का कारण भी बन सकता है। अगर किसी कारणवश आपको वहां से जाना हो तो शिशु के साथ किसी अन्य व्यक्ति को छोड़कर जाए या फिर शिशु को पानी से निकाल कर और कपड़े में लपेट कर अपने साथ ले कर जाएँ।

 

 

बच्चे के अंग भी बहुत कोमल होते हैं ऐसे में उन्हें खींचे न बल्कि बड़े प्यार से शिशु को नहलाएं। नहाना शिशु के लिए एक आनंददायी प्रक्रिया है इसलिए कोशिश करें कि बच्चे को इसमें अधिक मजा आये ताकि वो रोज नहाने के लिए उतावला रहे। इसके लिए आप बाथटब में खिलौने भी डाल सकती हैं।

 

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