जब बच्चा पैदा होता है तो उसके द्वारा की जाने वाली छोटी-छोटी हरकतों से मन खुश हो जाता है और जब वह 9 महीने का होता है तो वह अपनी तोतली आवाज में थोड़ा-थोड़ा बोलना शुरू कर देता है जैसे मां, मामा, बाबा, पापा आदि।
उसकी आवाज सुनकर पूरा घर इतना खुश होता है कि जैसे कोई खजाना मिल गया हो और आप सभी लोग बार-बार उसे बोलने के लिए बोलते हैं क्योंकि उसकी आवाज बार-बार सुनने को मन करता है। लेकिन कई बार बच्चे बोल नहीं पाते हैं या बोलने में ज्यादा समय लेते हैं जिससे वह इशारा करके अपनी बातों को कहते हैं और यह मां-बाप के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
इसलिए जब आपके बच्चे एक निश्चित उम्र में आने के बाद भी नहीं बोल पा रहे हैं तो आप बच्चों को बोलना सिखाने के उपायों (baby ko bolne ke upay in hindi) को अपना सकते हैं जो निम्न है।
कई बार ऐसा होता है कि बच्चा आपके साथ होते हुए भी अकेला होता है। यदि आप उसके साथ बात करने की बजाये सिर्फ गोद में लिए बैठे रहेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है। आप उसके साथ बोले, बातें करें और उससे कहें कि वह भी बोले। शुरुआत में बच्चे बोलते नहीं बल्कि होंठ हिलाना सीखते हैं। उसके बाद यदि आप रोजाना उसके साथ समय बिताने लगेंगे और उसके साथ बोलने लगेंगे तो उसे बोलना सीखने में जरूर मदद मिलेगी।
यदि आप ऐसा सोचती हैं कि बच्चों को आपने एक बार कुछ बोला और वह आपको बोल कर दिखा देंगे तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं। इसके लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ सकती है क्योंकि कई बच्चे जल्दी बोलना सीख जाते हैं और कई बच्चे धीरे-धीरे सीखते हैं। इसलिए बच्चों के सामने उन शब्दों को दोहराएं जो आप उन्हें सिखाना चाहती है क्योंकि बच्चे जब एक ही शब्द को बार-बार सुनते हैं तो उस शब्द को आसानी से याद कर लेते हैं।
रात को सोते समय सारा वातावरण शांत होता है और बच्चों का दिमाग भी इस समय शांत होता है। इसलिए बच्चे किसी भी बात को सोने के दौरान सबसे अधिक पकड़ते हैं। इसलिए सोते समय रात को आप अपने बच्चों को लोरी सुनाए या फिर कोई मजेदार कहानियां सुनाएं।
बच्चे हो या बड़े सब हमउम्र के लोगो के साथ बातें करके बहुत खुश होते हैं। यह बात बिल्कुल सही है कि बच्चे अपने हमउम्र के बच्चों के साथ जल्दी बोलना सीखते हैं क्योंकि वह एक दूसरे की भाषा अच्छे से समझते हैं। इसलिए अपने बच्चों को उनकी उम्र के बच्चों के साथ खेलने दे।
जैसे ही वह दूसरे बच्चों के संपर्क में आता है उसके अंदर खेलने की भावना बढ़ती है और वह भी दूसरे बच्चों की हरकतों को देखकर उनके साथ बोलने की कोशिश करता है। कई बार तो ऐसे ही वह छोटे-छोटे शब्दों को बोलना सीख जाते हैं।
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बच्चों को बोलना सिखाने के लिए एक बेहतरीन तरीका है कि आप उनसे ढेर सारी बातें करें तो वह बात समझकर बोलने की कोशिश करेगा। आपको बातें करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप जिन शब्दों का इस्तेमाल कर रही हैं वह ज्यादा भारी भरकम ना हो जिससे बच्चे उन्हें समझ ना पाए। आप बच्चों के साथ आसान व सरल भाषा का ही प्रयोग करें ताकि बच्चे आसानी से समझ सके।
जब आप अपने बच्चों से बात कर रहे हैं तो आप आसपास की चीजों को संकेत के तौर पर इस्तेमाल करें। जैसे जब आप शाम के समय पूजा करती है तो उसे हाथ जोड़ने के लिए कहे तो वह समझ जाएगा कि अब शाम हो गई है और पूजा का समय हैं।
आज के जमाने के बच्चे टीवी देख कर बहुत खुश होते हैं और आसानी से सब कुछ सीख भी लेते हैं। इसलिए बच्चों को थोड़े समय के लिए साथ बिठाकर टीवी दिखाएं। उसमें आप कोई कविता या कार्टून प्रोग्राम दिखाएं जिससे बच्चे का मनोरंजन भी होगा और उसे देखकर वह बोलने की कोशिश भी करेगा।
बाहर घुमाने ले जाने के दौरान वे बाहर की बातें सुनते हैं और चहकने लगते हैं। इससे बच्चों का मन भी बहुत खुश हो जाता है। इस कारण वे किसी भी चीज को जल्दी सीख भी लेते हैं। इसलिये उन्हें समय-समय पर बाहर घुमाने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही आसपास के वातावरण में काफी चहल-पहल होती है जिसे देखकर बच्चे भी बोलने की कोशिश करेंगे।
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बच्चों का मजेदार तरीके से और खेल-खेल में बोलना सिखाए जैसे आप किसी भी शब्द को कविता व गाने के रूप में गा कर सुना सकती हैं।
बच्चों को बोलना सिखाने के लिए उनको ऐसे खिलौने दे जो बोलते हो या फिर जिनमें संगीत बजता हो और खुद भी बच्चों से थोड़ी-थोड़ी देर में बातें करते रहे। संगीत वाले खिलौने से वे उत्सुकतापूर्वक उससे बोलने की भी कोशिश करेंगे।
बच्चों को बोलना सिखाना (Bolna Sikhana) कई बार घर में होने वाले वातावरण पर भी निर्भर करता है। यदि आपके घर में कोई ऐसा नहीं है जो बच्चों को बोलना सिखाए तो परेशान होने की बजाय आप उसका थोड़ा माहौल बदल ले। अगर फिर भी वह ना बोले तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
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