माता-पिता बनने के बाद हम कई ऐसी चुनौतियों से निपटतें हैं और शिशु की पॉटी ट्रेनिंग (Potty Training Tips for Kids in Hindi) भी उनमें से एक हैं। जब भी आपका बच्चा अपने खुद के भार को उठाने में और खुद से खड़ा होने में सक्षम होता हैं तब बच्चों की पॉटी ट्रेनिंग करवाने के लिए सही समय होता हैं।
इसमें कोई दो राय नही हैं कि पहले यह प्रक्रिया बच्चे के चीखने-चिल्लाने और अन्य विरोध प्रतिक्रिया से शुरू होती हैं और यह एक बहुत सामान्य सी बात हैं लेकिन हमे अपने शिशु को सिखाने से पहले खुद यह जानने की जरूरत हैं कि बच्चों को वॉशरूम (Bachchon ko potty karna sikhana) जाना सिखाना बेहद आवश्यक है।
आपके लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिससे आपके लिए व आपके बच्चे के लिए पॉटी ट्रेनिंग बहुत ही आसान हो जाएगी। आमतौर पर बहुत कम बच्चे ऐसे होते हैं जो बहुत कम उम्र में पॉटी करना सीख लेते हैं वरना ज्यादातर बच्चे को पॉटी करना सिखाना पड़ता हैं। तो चलिए जानते हैं बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें (Bachho ko Potty Training Kaise Sikhaye)।
अपने बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग शुरु करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपको अपने शिशु की पॉटी ट्रेनिंग को बहुत ही सकारात्मकता से लेना हैं। ध्यान रहे की पॉटी ट्रेनिंग आपके शिशु के लिए भी एक चुनौती हैं और जिस तरह से आप चाहती हैं, हो सकता हैं कि आपका शिशु वैसी प्रतिक्रिया ना करें| बात जब शिशु को कुछ सिखाने की होती हैं तो मेरे मुताबिक पुरस्कार और प्रोत्साहन जैसे कदम इस ट्रेनिंग को और भी मजेदार बना देते हैं| इसलिए आपको इन दोनों चीजों का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए| साथ ही आपको किसी भी आलोचनात्मक और सजा देने वाले व्यवहार से बचने की आवश्यकता हैं।
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बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग (Potty Training) में शारीरिक और भावनात्मक तैयारी जरूरी हैं। शारीरिक रूप से बच्चा तब तैयार होता हैं जब वह आंत, मूत्राशय और मांस पेशियों में नियंत्रण विकसित करता हैं। हालांकि यह अधिकांश बच्चों का 18 महीने की उम्र में होता हैं तो कुछ बच्चों को इससे अधिक समय लगता हैं।
चित्र स्रोत: Lelong.my
इसका अर्थ हैं कि आपके पास बच्चों के लिए सही शौचालय हैं। हाँ आप एक काम कर सकती हैं आप जब बच्चों के लिए पॉट लेने जाए तो उन्हें साथ लेकर जाएं और उन्हें अपनी पसंद का पॉट लेने दे और उस पर आप अपनी पसंद के छोटे-छोटे स्टीकर लगा सकती हैं जो बच्चों को ज्यादा आकर्षित करते हैं।
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग (Potty Training) देने के लिए, जब वह कपड़ो में पॉटी करता हैं तो उसे शौचालय सीट के पास ले जाएं और उसका मल कहां जाता हैं यह दिखाएं| उसे उसका मल फ्लैश करने दे और साथ ही उसे यह समझाएं कि जब मल आता हैं तो हमें यह यहां करना चाहिए, कपड़ों में नहीं, वह अब बड़ा हो गया हैं इस बात के लिए उसे प्रोत्साहित करें।
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यह उम्र बच्चों की इधर उधर घूमने की होती हैं| वह कहीं पर भी शांति से ज्यादा नहीं बैठता इसलिए जरूरी नहीं हैं कि वह आपकी बात एक बार में ही मान जाए| इसीलिए आप उन पर गुस्सा ना करके बल्कि प्यार से और कोई चीज का प्रलोभन देकर कोशिश करें और जब वह कोई भी अच्छा काम करता हैं तो उसकी तारीफ करे|
चित्र स्रोत: HuffPost UK
कई बार बच्चे अलग-अलग तरीके में गंदे डायपर में असहजता दिखाते हैं। वह आपको इशारों-इशारों में बताने की कोशिश करता हैं जैसे वह एक पैर से दूसरे पैर तक चलता हैं या फिर पेट को कसकर पकड़ता हैं तो माता-पिता होने के नाते आपको अपने बच्चे के इशारों को समझना होगा| उनके चेहरे के हाव-भाव से भी पता चलता हैं कि वह पॉटी करने वाला होगा|
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#1. जब वह एक खास निर्धारित समय पर पॉटी करें तब उसी समय आप उससे शीट (Potty Seat) पर बिठाए| अगर ऐसे नहीं बैठता हैं तो उसे कुछ खिलौने देकर बिठाये।
#2. सामान्यता बच्चे खाना खाने के बाद पॉटी करते हैं इसलिये इसका ध्यान रखे|
#3. हमेशा याद रखें कि बच्चों पर कभी दबाव ना डालें कि वह कम उम्र में ही प्रशिक्षित हो जाए| ऐसा करने पर वह और अधिक समय लेंगे इसलिये कभी भी इसे दोनों के लिए तनावपूर्ण समय न बनने दें।
#4. अपने बच्चों को इस दौरान आजाद रहने दें ताकि वह सक्रिय रुप से अपनी भागीदारी कर सके|
#5. हमेशा सिंपल, प्रेक्टिकल और सीधी भाषा का प्रयोग करें ना कि नकारात्मक भाषा का।
सबसे आखरी बात, हर कदम पर अपने बच्चे का मनोबल बढ़ाएं और पॉटी करते समय कभी भी उसे अकेला न छोड़ें।
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