आजकल की बदलती जीवन शैली के साथ बच्चे भी बदलते जा रहे हैं| आजकल बच्चों की मासूमियत कहीं खो सी गई हैं, इसका कारण माता-पिता का अपने काम में ज्यादा व्यस्त रहना, बच्चों पर पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा का अत्यधिक दबाव, मोबाइल का अधिक प्रयोग इत्यादि हो सकता हैं| बच्चों की बढ़ती उम्र और माता-पिता के बीच में धीरे-धीरे दूरी आने का कारण यह भी हो सकता हैं जैसे कि माता-पिता का बच्चों के साथ कम समय बिताना, उन पर बार-बार चिल्लाना या जोर-जबरदस्ती करना और उन पर अपना निर्णय थोपना इत्यादि|
परंतु माता-पिता होने के नाते यह समझना बहुत जरूरी हैं कि इस बढ़ती उम्र में बच्चों से दूर जाने की नहीं बल्कि उनका दोस्त बनने की जरूरत होती हैं| यही उम्र होती हैं जब बच्चों को अपने दोस्तों की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं लेकिन कैसे बना जाए अपने बच्चों का दोस्त? इसके लिए कुछ तरीके या व्यवहार में लाने वाले बदलाव नीचे बताए गए हैं, उन्हें समझने और अपने बच्चों के दोस्त बनने के लिए इन्हें अपनाये|
व्यस्त जीवन शैली में अपने बच्चों को समय देना कठिन होता हैं परंतु यह नामुमकिन भी नहीं हैं| यह उम्र ऐसी होती हैं कि बच्चे अपनी ज्यादातर बातें बताना भी चाहते हैं और छुपाना भी चाहते हैं क्योंकि वह यह नहीं समझ पाते हैं कि उनकी बातों का सुनकर कौन कैसी प्रतिक्रिया देगा|
ऐसे में जरूरी हैं कि तकरीबन रोजाना ही बच्चों के साथ कुछ समय बिताया जाए और उन्हें अपनी समझदारी और नासमझी के किस्से सुनाए जाए| ये किस्से उनमें विश्वास पैदा करेंगे कि वे आपके साथ हर तरह का किस्सा बांट सकते हैं|
जब बच्चे आपके साथ अपनी बात, किस्से या अनुभव बांटने लगेंगे, आप उनके साथ मिलकर हंसने रोने लगेंगे व उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें सुझाव देने लगेंगे तो आपका रिश्ता माता-पिता से बढ़कर दोस्तों जैसा हो जाएगा|
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अगर आप अपने बच्चों के दोस्त बनना चाहते हैं तो उनसे ढेर सारी बातें करें| बच्चे से उसके बारे में, उसके स्कूल के बारे में, दोस्तों और आदि के बारे में बातें करें और जानें| अपने बच्चों को अपने बारे में भी बताएं| ऐसा करने से बच्चों का खुद पर और आप पर विश्वास मजबूत होगा व इसके साथ ही आपका रिश्ता भी मजबूत होगा| उनकी हर समस्या को सुने, समझे और उसे सुलझाने का प्रयास करें|
बढ़ती उम्र में अक्सर यह चीज बच्चों और माता-पिता के बीच में तनाव पैदा करती हैं क्योंकि इस उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर होकर अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं| यह स्वयं निर्णय लेने का एहसास उनका आत्मविश्वास बढ़ाता हैं जो निर्णय लेने में और आत्मविश्वास बढ़ाने में उनकी मदद करता हैं|
इसलिये हर बात में उनको टोकने की बजाये उनको सही निर्णय लेने में मदद करे और अगर वो कुछ गलत भी करे तो उसके बाद उन्हें अच्छे से समझाए|
बढ़ती उम्र में बच्चों के अंदर बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं| वह जहां दूसरे लोगों के प्रति आकर्षित होने लगते हैं, वही माता पिता की जोर-जबरदस्ती से दूर जाना चाहते हैं| ऐसे बदलावो के कारण बच्चे अपने दोस्तों के करीब होते जाते हैं वही माता पिता से दूर होते रहते हैं|
इसलिए जरूरी है कि इस बढती उम्र में माता-पिता अपने बच्चों में और उनके व्यवहार में आने वाले बदलावों को समझें और उसके अनुसार अपने व्यवहार में भी बदलाव लेकर आएं|
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हो सकता हैं कि आपके बच्चे शुरू में आपको अपने दोस्त के रूप में स्वीकार ना करे लेकिन आपको निराश नहीं होना चाहिए| जो माता-पिता अपने बच्चों के प्रति नकारात्मक व्यवहार रखते हैं या उनसे कठोरता से व्यवहार करते हैं वह उनके दोस्त नहीं बन सकते| आपको अपने व्यवहार को सकारात्मक रखना चाहिए ताकि बच्चे और आपके बीच दोस्ती और विश्वास का बंधन बन सके|
अपने बच्चे पर कभी भी कोई दबाव ना बनाएं और ना ही किसी दूसरे बच्चे से उसकी तुलना करें| ऐसा करने से ना केवल बच्चा तनाव का शिकार होगा बल्कि वह कभी भी आपको अपने दोस्त के रूप में स्वीकार नहीं करेगा| अगर कभी उससे गलती हो भी जाती हैं तो उसे डांटे नहीं बल्कि उसे प्यार से समझाये और उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि वह जिंदगी में सफलतापूर्वक आगे बढ़ सके|
बच्चों का दोस्त बनने के लिए आपको इस रिश्ते को पारदर्शक रखना चाहिए तभी आप बच्चों से यह उम्मीद कर सकते हैं कि बच्चा भी आपसे कुछ नहीं छुपाएगा| अगर आप अपने बच्चों से कुछ शेयर नहीं करते हैं तो वह भी आपसे कुछ शेयर नहीं करेंगे|
जो बच्चे छोटे होते हैं तो वे अपनी बाते आसानी से बता देते हैं कि उनकी समस्या क्या हैं या उन्हें क्या चाहिए लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होने लगते हैं तो वे अपनी बातें छुपाने लगते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि उनके माता-पिता उन्हें समझ नहीं पाएंगे| इसलिए अपने बच्चों में इस भावना को कभी भी ना आने दें| उन्हें जो चाहिए या उन्हें जो लगता हैं उसे समझने का प्रयास करें|
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माता-पिता और बढ़ती उम्र के बच्चों में दूरी आने का एक कारण उनके और आपके बीच के सोचने और समझने के तरीके का अलग-अलग होना होता हैं| यह समझना बहुत जरूरी हैं कि बढ़ती उम्र में बच्चों के सामने ऐसी बहुत सी समस्याएं आती हैं जिनका जवाब माता-पिता के रूप में बस आप ही दे सकते हैं पर इसके लिए जरूरी हैं कि आप खुद को आज के समय में ढाले और अपने आप को अपने बच्चों के स्थान पर रख कर देखें|
इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आज के समय में होने वाली सभी बातें सही होती हैं, इसलिए पहले आज की जीवन शैली को अच्छे से समझे और उसी के अनुसार अपना निर्णय ले|
अपने बच्चों को अपना दोस्त बनाने के लिए महीने में कम से कम एक बार अपने बच्चों या अपने पूरे परिवार के साथ बाहर घूमने जाएं| यह एक बहुत ही अच्छा तरीका हैं अपने बच्चो को बेहतर जानने का| ऐसा करने से बच्चा आपके और भी करीब आएगा|
इन सबके अलावा आप पढ़ाई में भी उसकी मदद कर सकती हैं| तो ये हैं कुछ छोटी-छोटी बातें लेकिन यही छोटी-छोटी बातें काम बड़ा कर सकती हैं| अगर इन तरीकों को सही ढंग से अपनाया जाए तो पूरा परिवार एक सुखी परिवार बन सकता हैं|
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