हेपेटाइटिस क्या है और हेपेटाइटिस टीका कब लगवाना चाहिए

हेपेटाइटिस क्या है और हेपेटाइटिस टीका कब लगवाना चाहिए

हेपेटाइटिस एक ऐसी चीज है जिसके बारें में आप सभी माओं ने अवश्य सुना होगा। हेपेटाइटिस का टीका बच्चे के जन्म के समय ही लगाया जाता है। इसके बाद जन्म से लेकर छह माह तक कुल तीन बार इसके टीके लगाएं जाते हैं। हेपेटाइटिस की बीमारी ही इतनी गंभीर है कि खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे बच्चों को दिए जाने वाले प्राथमिक टीकों में शामिल किया है। आइयें जानें हेपेटाइटिस क्या होता है और क्यों इससे बच्चों और खुद को बचाना जरूरी है।

 

इस लेख के कुछ विशेष बिंदू

  • हेपेटाइटिस क्या होता है?
  • हेपेटाइटिस बी कैसे फैलता है?
  • हेपेटाइटिस के प्रकार
  • हेपेटाइटिस के लक्षण
  • बच्चों को हेपेटाइटिस का टीका कब कब लगवाना चाहिए?
  • क्या असुरक्षित सेक्स से फैलता है हेपेटाइटिस?

 

हेपेटाइटिस क्या होता है? (What is Hepatitis in Hindi)

हेपेटाइटिस लिवर की एक बीमारी है इसमें लिवर में सूजन या किसी प्रकार की रसाव हो सकता है। हेपेटाइटिस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘हेपर’ से हुई है, जिसका अर्थ है लिवर। लिवर में सूजन किसी बैक्टीरिया, वायरस, ज्यादा शराब के सेवन, नशीली दवाओं के सेवन या ऑटोइम्यून बीमारी की वजह से भी हो सकता है।

इसे हिन्दी में यकृतशोथ भी कहते हैं। यह बीमारी दूषित भोजन ग्रहण करने, दूषित जल और इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। हेपेटाइटिस का अगर समय पर उपचार ना किया जाए तो इससे लिवर सिरोसिस, लिवर खराब होने या लिवर कैंसर का खतरा रहता है।

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हेपेटाइटिस के लक्षण (Symptoms of Hepatitis in Hindi)

बच्चों को जन्म के समय होने वाली पीलिया को अगर आप सामान्य समझती हैं तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। दरअसल अगर यह पीलिया अगर ज्यादा समय तक ठीक ना हो तो यह कॉर्निक बीमारी या हेपेटाइटिस का लक्षण हो सकती है। जानते हैं हेपेटाइटिस के प्रमुख लक्षण (Hepatitis Ke Lakshan): 

  • लंबी समय तक रहने वाली पीलिया
  • पीलिया के सभी लक्षण
  • सफेद या काली दस्त
  • गहरे पीले रंग की पेशाब
  • भूख ना लगना, अपच, उल्टी
  • लिवर में दर्द या पेट में सूजन
  • अचानक शरीर नीला पड़ना
  • खून की उलटी आना

अगर आपको उपरोक्त लक्षणों में से कुछ भी नजर आए तो इसे नजरअंदाज ना करें। समय पर डॉक्टरी सलाह आपको इस गंभीर संक्रमण से बचाने में सहायक होती है। बच्चों को भी शुरुआती समय में अगर पीलिया ज्यादा दिनों तक रहे तो डॉक्टर से नियमित सलाह लें। अगर बच्चे के कपड़े भी पीलिया के कारण पीले होने लगे तो यह एक संकेत है कि आपको अधिक सतर्क रहना चाहिए।

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बच्चों को हेपेटाइटिस का टीका कब कब लगवाना चाहिए (Hepatitis Vaccine Schedule) 

डब्ल्यूएचओ व भारत स्वास्थ विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार बच्चे के जन्म पर ही उसे हेपेटाइटिस का पहला टीका (Hepatitis ka Tika) लगना चाहिए। इसके बाद छठे, दसवें और चौदहवें सप्ताह में इसका बूस्टर डोज देना चाहिए।

 

Hepatitis Vaccine Schedule in India

आयु टीका हेपेटाइटिस स्किम ए स्किम बी
जन्म BCG, OPV 0 HB1
6 सप्ताह DPT 1, OPV 1 HB 2
10 सप्ताह DPT 2, OPV 2 HB 2
14 सप्ताह DPT 3, OPV 3 HB 3 HB 3

Source: WHO and Gov. of India

 

हेपेटाइटिस के प्रकार (Types of Hepatitis in Hindi)

हेपेटाइटिस वायरस मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं जिसमें से हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी को सबसे खतरनाक माना जाता है। आइयें विस्तार से जाने हेपेटाइटिस के प्रकारः

 

हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A)

हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ए वायरस (HAV) के कारण होने वाला यकृत रोग है। यह संक्रमित भोजन और पानी से फैलते हैं। इनका मरीज आमतौर पर इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है।

इसके खास लक्षण पीलिया रोग जैसे ही होते हैं। इसके अलावा थकावट, भूख न लगना, मितली, हल्का बुखार, पीला या स्लेटी रंग का मल, पीले रंग का पेशाब एवं सारे शरीर में खुजली हो सकती है। हेपेटाइटिस ए वायरस से बचने के लिए खाने पीने का हमेशा ख्याल रखें। हमेशा आसपास स्वच्छता बनाएं रखनी चाहिए।

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हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)

हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) को सबसे गंभीर और गर्भवती महिलाओं के नुकसानदायक माना जाता है। यह रक्त द्वारा, असुरक्षित यौन संबंध द्वारा, दूसरों के लिए उपयोग की गई सूई या एक ही सुई कई लोगों के लिए उपयोग में लाई जाए उस से और संक्रमित माता द्वारा नवजात शीशु में, गर्भावस्था के दौरान या प्रसूति के दौरान हस्तांतरित होती है।

हेपेटाइटिस बी के वायरस को शरीर से पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ दवाएं वायरस को दबाने में सक्षम हैं। इसका टीका उपलब्ध है, जो व्यक्ति को इसके संक्रमण से बचाने में सहायक है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि अमिताभ बच्चन भी हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से पीड़ित थे। उन्हें कुली फिल्म की शुटिंग के दौरान लगी चोट के समय चढ़ाए गए संक्रमित खून के कारण हुआ था।

 

हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C)

हेपेटाइटिस सी नामक वायरस से हेपेटाइटिस सी पैदा होती है। हेपेटाइटिस सी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि दवाओं के प्रयोग से अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार हेपेटाइटिस सी प्रमुख रूप से लिवर के कमजोर होने के कारण होता है।

अत्यधिक मसालेदार भोजन खाना, लगातार शराब पीना, एंटीबायोटिक दवाइयों का अधिक सेवन आदि इसके मुख्य कारण हैं। अगर हेपेटाइटिस सी के लक्षणों की बात करें तो भूख न लगना या बेहद कम भूख लगना, हमेशा थकान महसूस करना, लिवर में दर्द और बार बार पीलिया होना है।

 

हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D)

हेपेटाइटिस डी का खतरा उन मरीजों को ज्यादा रहता है, जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस बी का इन्फेक्शन हो। इसका बचाव ही इसका उपचार है क्योंकि पर्याप्त इलाज उपलब्ध नहीं है।

हेपेटाइटिस डी में लिवर में जलन व सूजन की समस्या हो जाती है। यह सूजन लिवर के कैंसर का करण भी बन सकता है। यह लंबी बीमारी भी बन सकती है। पीलिया के साथ जोड़ो में दर्द, पेट दर्द, उल्टी, भूख नहीं लगना, पेशाब का रंग बदल जाना, थकान आदि की शिकायत हो हेपेटाइटिस डी का खतरा माना जाता है।

नोटः अगर हेपेटाइटिस बी ज्यादा लंबे समय तक है या हेपेटाइटिस डी छह माह से अधिक हो तो तुरंत डॉक्टरी उपचार करना चाहिए।

 

हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E)

हेपेटाइटिस के केस बरसात व गर्मी के मौसम में अधिक देखने को मिलते हैं। यह भी संक्रमित भोजन और पानी से फैलता है, मुख्यतः दूषित जल से। इनका मरीज आमतौर पर इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा घातक होता है।

यह हेपेटाइटिस ई (HEV) नामक वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल हेपेटाइटिस ई संक्रमण के लगभग 20 लाख मामले सामने आते हैं, और केवल 2015 में लगभग 44 000 मरीज इसके कारण मौत का शिकार हुए हैं।

 

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