सी-सेक्शन प्रसव (C Section Delivery) यानी सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा कराई जाने वाली डिलीवरी आजकल बहुत ही आम है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में पिछली एक शताब्दी में सिजेरियन ऑपरेशन से होने वाले प्रसव के मामलों में लगभग तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। इस ऑपरेशन (Cesarean Operation) के माध्यम से महिलाएं दवाइयों और एनस्थीसिया के कारण प्रसव पीड़ा से तो बच जाती है लेकिन कुछ घंटों के बाद उन्हें अधिक पीड़ा और अन्य समस्याओं से गुजरना पड़ता है। अगर आप गर्भवती है या सिजेरियन ऑपरेशन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। जानिए सिजेरियन ऑपरेशन (C Section Operation Delivery) के बारे में विस्तार से।
सिजेरियन ऑपरेशन वो प्रक्रिया है जिसमें गर्भवती महिला के पेट को चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है। इस तकनीक का सहारा आमतौर पर तभी लिया जाता है जब गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे शिशु को स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या या अन्य जटिलता हो। प्रसव पीड़ा से बचने के लिए आजकल महिलायें खुद भी इस ऑपरेशन को प्राथमिकता दे रही हैं।
अगर गर्भवती महिला या गर्भ शिशु को कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो तो डॉक्टर पहले से ही बता देते हैं कि प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से होगा जैसे गर्भ में शिशु की उल्टी पोजीशन, गर्भ में दो या दो से अधिक शिशु, गर्भनाल का शिशु के गले के आसपास होना, माँ को कोई गंभीर बीमारी होना आदि।
ऐसे में डॉक्टर लगातार शिशु की मूवमैंट और विकास पर नजर रखने की सलाह देते है और कोई परेशानी वाली बात हो तो समय से पहले भी ऑपरेशन किया जा सकता है। लेकिन कई बार प्रसव के समय ही होने वाली कुछ जटिलताओं के कारण आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन (Emergency C Section) कराया जाता है। हालाँकि कई बार महिला या शिशु को कोई समस्या नहीं होती फिर भी आजकल महिलाएं प्रसव पीड़ा से बचने के लिए सिजेरियन ऑपरेशन कराती हैं।
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सिजेरियन ऑपरेशन करने के लिए सबसे पहले महिला को एनेस्थीसिया दिया जाता है। यह इंजेक्शन महिला की रीढ़ की हड्डी में लगाया जाता है ताकि उसे अपने पेट के निचले हिस्से में कुछ भी महसूस न हो। अधिकतर मामलों में आजकल गर्भवती स्त्री सिजेरियन प्रसव के दौरान होश में रहती है।
बहुत ही कम स्थितियों में उसे सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है जिसमें माँ पूरी तरह से बेहोश हो। अधिकतर सिजेरियन डिलीवरी में रीढ़ ही हड्डी या एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिया जाता है ताकि जब बच्चा पैदा हो तो वो उसकी आवाज़ सुन सके और उसे देख भी सके।
ऑपरेशन करते समय स्त्री के पेट के निचले हिस्से में एक हॉरिजॉन्टल कट लगाया जाता है जिसे बिकिनी कट भी कहते हैं। इस कट की लम्बाई आमतौर पर 10 से 20 सेंटीमीटर तक होती है। ऐसा माना जाता हैं कि सीधे कट से यह जल्दी ठीक हो जाता है। यहा अमूमन दस से बारह टांके (C Section Stiches) तक लगाए जाते हैं।
इसके बाद गर्भशय में कट लगाया जाता है। कई बार गर्भाशय को अच्छे से परीक्षण करने के लिए ब्लेडर को भी थोड़ा आगे खिसकाना पड़ता है। कट लगाने के बाद कई बार गर्भशय का कोई द्रव बहना भी शुरू कर देता है जो किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं होता है। गर्भाशय में शिशु की स्थिति और अन्य चीज़ें जाँची जाती हैं।
अब पेट के इसी हिस्से को थोड़ा सा दबा कर शिशु के सर को बाहर निकाला जाता है। आमतौर पर एनेस्थीसिया का असर होने में 20-30 मिनट लगते हैं। इसलिए डॉक्टर इसी समय के अनुसार ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू करते हैं। बच्चे को बाहर निकालने के लिए डॉक्टर अपना हाथ या इंस्टूमेंट जैसे फोरसेप्स या वैक्यूम एक्सट्रैक्टिर का प्रयोग कर सकते हैं।
इसके बाद धीरे-धीरे शिशु को बाहर निकाला जाता है। ऑपरेशन से पहले और उस समय एनेस्थीसिया विशेषज्ञ आप पर पूरी तरह से नजर रखेंगे ताकि आपकी धड़कन कम न हो या अनेस्थिसिया से आपको कोई बुरा प्रभाव न पड़े। इस दौरान छाती पर इलैक्ट्रोड्स और उंगली पर फ़िंगर पल्स मॉनीटर लगाया जाता है।
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इसके बाद शिशु को बाहर निकाल कर अच्छी तरह से साफ किया जाता है। खासतौर पर उसकी आँखों, कानों और नाक में लगे द्रव को। फिर गर्भनाल को काट दिया जाता है। सिजेरियन ऑपरेशन में 6 से 7 मिनट लगते है लेकिन कई बार जटिलताओं के कारण इसमें अधिक समय भी लगता है। इसके बाद लगाए हुए चीरे में टांके लगा दिए जाते हैं।
सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान हर चीरे को धागे के टाँके या आजकल प्रयोग होने वाले स्टेपल जैसे टांकों से बंद कर दिया जाता है। होने वाली माँ को यह पूरी प्रक्रिया नहीं दिखाई जाती है, इसलिए ऑपरेशन वाले भाग को ढक कर ऑपरेशन किया जाता है। शिशु की गर्भनाल में चिमटी लगा कर शिशु को जांचा जाता है।
उसे कपडे पहनाये जाते हैं और अगर उसे कोई समस्या होती है तो तुरंत उसे विशेषज्ञ के पास अन्य जाँच के लिए या आईसीयू में भेज दिया जाता है। इसके बाद महिला को भी ऑपरेशन थिएटर से उसके कमरे में भेज दिया जाता है।
कमज़ोरी (Weekness)
सिजेरियन ऑपरेशन के समय और बाद में सामान्य प्रसव के मुकाबले अधिक खून निकलता है जिसके कारण महिला का शरीर अधिक कमजोर हो जाता है। सिजेरियन ऑपरेशन के बाद महिला को अधिक देखरेख और देखभाल की आवश्यकता होती है।
संक्रमण (Infection)
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद टांके लगाए जाते हैं। अगर उनकी देखभाल अच्छे से न की जाए तो उनमें संक्रमण होना भी बहुत सामान्य है। संक्रमण के कारण आपकी परेशानी और समस्याएं और भी अधिक बढ़ सकती हैं।
रिकवरी में अधिक समय (Time to Recover)
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद महिला को पूरी तरह से ठीक होने में बहुत अधिक समय लगता है। शुरुआत में उसे चलने-फिरने या शिशु को स्तनपान में भी समस्या होती है लेकिन धीरे-धीरे यह ठीक होने लगता है। फिर भी सिजेरियन ऑपरेशन के बाद पूरी तरह से ठीक होने में छह से आठ हफ्ते या इससे भी अधिक समय लग सकता है।
वजन बढ़ना (Weight Gain)
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद वजन अधिक बढ़ता है। इसके साथ ही अन्य बीमारियां भी अधिक होने की संभावना रहती है। माँ ही नहीं बल्कि शिशु में भी सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मोटापे की समस्या अधिक देखी गयी है।
कमजोर इम्युनिटी (Week Immunity)
सिजेरियन ऑपरेशन से जन्म लेने वाले बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है जिससे वो बहुत जल्दी रोगों का शिकार बन सकते हैं।
अधिक खर्च (Excess Expenditure)
अगर आपका सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है तो आपको स्वस्थ होने में कुछ ज्यादा समय लग जाता है। इसके साथ ही इसके नकारात्मक प्रभाव शिशु पर भी पड़ते है। सिजेरियन ऑपरेशन पर खर्च भी अधिक होता है। इसमें महिला को शिशु को संभालने और अन्य कार्यों के लिए सहयोग की ज़रूरत पड़ती है।
टांकों का ध्यान रखें (Take care of your stitches)
सिजेरियन आपरेशन के बाद अपने टांकों और घाव का खास ध्यान रखें। खासकर इनमें होने वाले संक्रमण का। अगर आपको यहाँ दर्द, सूजन, जलन, खुजली आदि हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले।
तनाव से बचे (Avoid stress)
सिजेरियन आपरेशन के बाद पूरा आराम करे और शिशु या अन्य कामों की जिम्मेदारियों के बाद भी तनाव न ले। अपने करीबी या पति की मदद ले। अपनी पसंद के काम करे या शिशु के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं।
पेट पर जोर न डाले (Do not stress on the stomach)
ऐसा कोई काम न करें जिससे पेट पर जोर पड़े और आपके टांको को नुकसान हो जैसे सीढ़ियां चढ़ना, कोई भारी सामान उठाना आदि। शारीरिक सम्बन्ध आदि बनाने से भी कुछ समय तक बचे।
खानपान (Diet)
खानपान को लेकर सतर्क रहें। तला-भुना और ऐसा भारी आहार न खाए जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो खासतौर पर ऐसा खाना जिससे आपको कब्ज हो। पौष्टिक आहार नहीं लेने से आपके पाचन कार्य पर प्रभाव पड़ेगा और साथ ही आपको कब्ज भी हो सकती है।
दवाईयां (Medicines)
ऐसी कोई दवाई न ले जो आपके शिशु और आपके लिए हानिकारक हो। इसके साथ ही वही दवाएँ लें जो डॉक्टर ने आपको दी हों। अपनी मर्ज़ी से या बिना किसी मतलब की दवाई न खाएं।
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कुछ समय लगता है लेकिन यह बात पूरी तरह से आपकी देखभाल पर भी निर्भर करती है। अगर आपका पहला प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से हुआ है तो यह जरूरी नहीं कि दूसरा भी उसी से हो, दूसरा सामान्य भी हो सकता है इसलिए चिंता न करें। अधिकतर मामलों में सिजेरियन ऑपरेशन माँ और शिशु के शारीरिक संकट को दूर करने का जरूरी तरीका है। लेकिन अगर आप स्वयं से सिजेरियन प्रसव कराने की सोच रही है तो एक बार आवश्यक सोच लें कि क्या यह आपके और आपके शिशु के लिए सही रहेगा क्योंकि सीजेरियन प्रसव के बाद संक्रमण और बुखार जैसी समस्याएं बहुत ही सामान्य होती हैं। सिजेरियन ऑपरेशन के बाद आप शिशु के साथ-साथ अपना खास ख्याल रखने के बाद जल्द ही सामान्य जीवन शुरू कर सकती हैं।
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