सावधान! जानिए गर्भ पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव व बचाव

सावधान! जानिए गर्भ पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव व बचाव

दिल्ली में रहने वाली पलक अपनी प्रेगनेंसी को लेकर काफी खुश थी। प्रेगनेंसी के शुरुआती समय से उसने अपने खाने-पीने, उठने-बैठने और सैर आदि पर ध्यान दिया था। प्रेगनेंसी के दौरान वह एक दिन में काफी पानी भी पीती थी। तमाम सावधानियों को अपनाकर पलक काफी खुश और अपनी प्रेगनेंसी को लेकर निश्चिंत थी। लेकिन सातवें महीने के अल्ट्रासाउंड में उसे एक ऐसी बात पता चली जिसने उसके होश उड़ा दिए। दरअसल पलक के बच्चे का वजन पांचवे माह के बाद बहुत कम बड़ा था और डॉक्टर ने यह भी कह दिया था कि पलक को प्री मेच्योर बेबी होने की संभावना है। इस बात ने पलक को अंदर से तोड़ दिया लेकिन इसके बाद पलक ने अपने खाने-पीने के साथ एक ऐसी चीज पर भी ध्यान दिया जिसपर शायद कोई नहीं सोचता और वह है सांस लेना।

ऐक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का सामान्य स्तर 100 या इसके आसपास होना चाहिए। लेकिन दिल्ली में उन कुछ दिनों यह स्तर 900 के पार था। आप समझ सकते हैं 100 और 900 का अंतर यानि सामान्य से छोड़ों खतरनाक स्तर 400 से भी दोगुना। जिस हवा में कुछ देर सांस लेना मतलब 40 सिगरेट पीना हो वहां सुबह शाम वॉक पर जाना, मार्केट जाना या रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाना भी किस खतरे को मौल लेना है यह आप और हम सही ज्ञान के बिना समझ ही नहीं सकते।

डॉक्टर की सलाह के बाद पलक ने अपने घर के लिए एयर प्यूरीफायर खरीदा और बाहर आने-जाने के लिए एंटी पॉल्यूशन मास्क। हालांकि इतने डैमेज कंट्रोल तरीके अपनाने के बाद भी पलक का बेबी आठ महीने के तुरंत बाद ही हो गया और बच्चे का वजन भी अपेक्षाकृत कम ही रहा लेकिन यह प्री-मेच्योर बेबी की स्थिति से काफी बेहतर था।

Delhi Pollution
खाने और पीने के साथ सांसों का भी है अहम योगदान

प्रेगनेंसी के दौरान हम यह सोचते हैं कि हमारे बच्चे तक तो केवल आहार ही पहुंचता है। बच्चा गर्भ के अंदर तरल प्रदार्थ के अंदर होता है ऐसे में उस पर बाहरी वातावरण का काफी कम असर होता होगा। लेकिन ऐसा सोचना सरासर गलत है। हाल में हुए रिसर्चों से यह बात साफ हो गई है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को बाहरी प्रदूषण से उसी प्रकार खतरा रहता है जैसे बाकि बच्चों को होता है। आजकल बढ़ते वायु प्रदूषण में तो यह स्थिति और भी खराब हो गई है। वॉशिगंटन पोस्ट में छपी खबर के अनुसार दुनियाभर में जन्म लेने वाले प्री-मेच्योर बच्चों की स्थिति का 18 प्रतिशत जिम्मेदार अकेले वायु प्रदूषण ही है।

पीएम 2.5 का सीधा संबंध प्री-मेच्योर बर्थ से
हाल में हुए कई रिसर्चों में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि हवा में मौजूद पीएम 2.5 तत्व सांस के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के गर्भाश्य तक पहुंच जाते हैं। यह तत्व बच्चे को खून पहुंचाने वाली कोर्ड पर भी जमा हो सकते हैं। यह इतने सूक्ष्म कण होते हैं कि बच्चों को कैंसर, दमा, सांस की खतरनाक बीमारियों के साथ-साथ उनके समय से पूर्व जन्म का कारण भी बन सकते हैं। यह स्थिति तब और भी खतरनाक हो जाती है जब इन सूक्ष्म कणों के साथ जहरीली गैसें भी मिल जाती हैं।

घर की धूल और रसोई से भी होता है प्रदूषण
अगर आप घर पर हैं और यह सोचकर बैठी हैं कि आप प्रदूषण से खुद को बचा लेंगी तो आप गलत है। यह कुछ इसी तरह है जैसे एक कबूतर बिल्ली के आगे आंखें मूंदकर यह सोच लेता है कि बिल्ली भी उसे नहीं देख पाएगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि घर के अंदर की हवा बाहर से पांच गुना अधिक प्रदूषित हो सकती है। घर में मौजूद धूल-मिट्टी में भी पीएम 2.5 के कण मौजूद होते हैं। यह सांस के द्वारा आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसी तरह खाना बनाते समय उड़ने वाले तेल के कण भी सांस की बीमारियों को न्यौता देते हैं और गलती से अगर आपने घर में कुत्ता या बिल्ली पाला हुआ है तो कहना ही क्या। इन पालतू जानवरों के बालों से भी गर्भ में पल रहे बच्चों को काफी समस्या होती है।

गांवों में प्रदूषण का स्तर कम होता है लेकिन फिर भी वहां लोगों को सांस की समस्या और दमे आदि की बीमारी हो जाती है। जानते हैं इसका कारण क्या है? गांवों में आज भी कई घरों में लकड़ी पर खाना बनता है जिसका धुआं कार्बन मोनॉक्साइड से भरा होता है। इसी तरह जब गांवों में गेंहू या धान की कटाई होती है तब हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है।

गर्भ में पल रहें बच्चों पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव (Air Pollution Effects on Fetus in Hindi)

  • प्री टर्म डिलीवरी
  • जीवन पर्यंत श्वास संबंधी समस्या (Respiratory Diseases)
  • अस्थमा  
  • कई केसों में गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर
  • कम वजन
  • ऑटिज्म या दिमागी बीमारी
  • शारीरिक अपंगता
  • नसों से संबंधी समस्याएं

हालांकि उपरोक्त समस्याओं में सबसे आम है प्री टर्म डिलीवरी (Pre Term Delivery) और जन्म के समय कम वजन। हाल के दिनों में बढ़ती प्री मेच्योर डिलीवरी को सीधे तौर पर वायु प्रदूशण से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हम अब गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ अपने सांस लेने की प्रकिया पर भी ध्यान दें। आइयें जानें कुछ ऐसे उपाय जो गर्भावस्था के दौरान हर महिला को अपनाने चाहिएः

गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण से बचने के उपाय (Tips to Avoid Pollution During Pregnancy)

घर के अंदर रहें
गर्भावस्था के दौरान अगर बाहर प्रदूषण अधिक हो तो कोशिश करें कि बाहर ना निकलें। प्रदूषण का स्तर कई बार सुबह और शाम के समय अधिक होता है। अपने क्षेत्र का ऐक्यूआई लेवल को जांचें और जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।

एयर प्यूरीफायर लें
घर की हवा को शुद्ध करने के लिए एक अच्छी कंपनी का एयर प्यूरीफायर खरीदें। यह घर की हवा को साफ करेगा और आपके बच्चे को प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाएगा। हां यह थोड़ा महंगा अवश्य पड़ेगा लेकिन सेहत के आगे इसकी कोई कीमत नहीं। अगर आप इसका विकल्प देख रहे हैं तो आप चारकोल का एक पैकेट घर के किसी कोने में रख सकती हैं। ऑनलाइन स्टोर्स से आपको कई प्रकार के चारकोल के पैकेट मिल जाएंगे।


बाहर मास्क पहन कर ही निकलें
प्रदूषण का स्तर अगर अधिक हो तो गर्भावस्था के दौरान बाहर निकलने से पहले अच्छी क्वालिटी का मास्क अवश्य लगाएं। यहां यह अवश्य ध्यान दें कि आम सर्जिक्ल मास्क प्रदूषण के हानिकारक तत्वों को दूर करने में असक्षम होते हैं। इन मास्कों से हवा नाक में सीधे भी प्रवेश कर सकती है। एयर पॉल्यूशन से बचने में सबसे सक्षम एन 95 मास्क होते हैं। आप किसी भी अच्छी कम्पनी का एंटी पॉल्यूशन एन 95 मास्क जैसे डिटॉल सिटी शिल्ड एन 95 मास्क (Pollution Masks) ऑनलाइन स्टोर या मेडिकल स्टोर से ले सकते हैं।

घर में लगाएं पौधें
इनडोर प्लांट्स घर के अंदर प्रदूषण के स्तर को कम करने के सबसे आसान उपाय होते हैं। आप घर में तुलसी, बांस के पौधे या मनी प्लांट को लगा सकते हैं। आजकल कुछ फेंगशुई प्लांट्स या बोनसाई पौधे भी मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं।

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इसके अलावा घर के अंदर एसी की नियमित सफाई कराएं। किचन में एयर वेंटिलेशन के लिए प्रोपर स्पेस रखें। गर्भावस्था के दौरान कभी भी ज्यादा धूल या धुएं वाली जगह में ना जाएं। अगरबत्ती या धूप के धुएं में भी ज्यादा देर ना रहें। गर्भावस्था में बैलेंस डाइट की तरह ही बैलेंस देखभाल की जरूरत होती है। अपने खाने-पीने के साथ-साथ अंदर लेने वाली सांस पर भी ध्यान दें। अगर पॉल्यूशन लेवल अधिक है तो आप बाहर टहलने के स्थान पर घर के अंदर की वाक कर सकती हैं। आशा है उपरोक्त उपाय और बातों के माध्यम से आप अपनी प्रेगनेंसी को वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से दूर रख सकती हैं।

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