नौ महीने शिशु को अपने गर्भ में रखना बेहद कष्टकारी है लेकिन एक माँ अपने शिशु के लिए हर कष्ट को खुशी- खुशी सहन करती है। होने वाली माँ की चिंता तब बढ़ जाती है जब प्रसव का समय नजदीक आता है। सामान्य प्रसव हर होने वाली माँ की प्राथमिकता होती है क्योंकि शिशु को जन्म देने का यह सुरक्षित और आसान तरीका है लेकिन एक सर्वे के अनुसार केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सी-सेक्शन प्रसव बढ़ते जा रहे हैं। हालाँकि सी-सेक्शन प्रसव की संभावना आपातकाल की स्थिति में होती है। सामान्य प्रसव में स्त्री को बेशक थोड़े समय के लिए अधिक दर्द होता है लेकिन फिर भी माँ जल्दी स्वस्थ भी हो जाती है। सामान्य प्रसव के लिए किसी खास बात का नहीं बल्कि कुछ बेहद सामान्य बातों का ध्यान देना आवश्यक होता है ताकि सामान्य प्रसव आसानी से हो सके। आइयें सामान्य प्रसव के बारें में कुछ बातें जानें (About Normal Delivery in Hindi)।
सामान्य प्रसव का अर्थ है वो सामान्य या प्राकृतिक तरीका, जिससे गर्भवती स्त्री अपने गर्भ में पल रहे शिशु को इस दुनिया में लाती है। अगर गर्भ में पल रहे शिशु या माँ को कोई समस्या हो तो दूसरे तरीके को अपनाया जाता है। हालाँकि ऐसा माना गया है कि 80 प्रतिशत महिलाओं में सामान्य प्रसव की संभावना होती है जो आजकल दिनोंदिन कम होती जा रही है।
सामान्य प्रसव (normal natural delivery) प्राकृतिक प्रसव का तरीका है जिसमें सर्जरी नहीं होती इसलिए इसमें कोई बड़ा घाव नहीं होता या अधिक टांके नहीं लगते जिससे महिला को कम परेशानी से गुजरना पड़ता है। इसमें जो भी टांके लगते हैं या दर्द होता है वो बहुत कम दिन तक रहता है जिससे महिला अपने बच्चे को खुद आराम से संभाल सकती है, यही नहीं स्त्री खुद घर के छोटे-छोटे काम खुद कर सकती है जबकि सिजेरियन अथवा सी-सेक्शन, प्रसव का वह तरीका है, जिसमें शिशु के जन्म के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इस डिलिवरी के बाद अक्सर महिलाओं को उठने-बैठने तक में भी परेशानी होती है और ठीक होने में भी लम्बा समय लगता है। इसके साथ ही सामान्य प्रसव से माँ और शिशु का संबंध मजबूत होता है और अस्पताल में भी कम समय तक रुकना पड़ता है।
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प्रसव से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी ले लें कि प्रसव कैसे होता है, इसमें शिशु कैसे जन्म लेता है और प्रसव के दौरान होने वाली पीड़ा प्रबंधन तकनीकें जैसे गहरी सांस लेना या आराम करना आदि के बारे में भी शिक्षा ले लें। अपने डॉक्टर से बीच में चेक-अप करवाएं और यह भी जान लें कि क्या वो सामान्य प्रसव ही करवाएगा। अगर आपका डॉक्टर बिना किसी आपातकालीन स्थिति में दूसरे तरीके को प्राथमिकता दे रहा हो तो किसी और डॉक्टर से मिलें। कुछ अस्पताल प्रसव के बारे में जानकारी देने के लिए अलग से क्लासेस भी देते हैं जिससे आपको मदद मिल सकती हैं।
प्रसव से पहले ही खुद को इसके लिए तैयार कर लें। शारीरिक रूप से फिट रहें, एक्सरसाइज करें, सैर करें, योग का सहारा लें। दिन में तीस मिनट की सैर अवश्य करनी चाहिए। पौष्टिक भोजन खाएं। ऐसा करने से आप खुद को शारीरिक रूप से सामान्य प्रसव के लिए तैयार करेगीं। इसके साथ ही प्रसव के बारे में किताबें पढ़े या इंटरनेट की सहायता लें। इंटरनेट पर आपको सामान्य प्रसव के बारे में जानने के लिए कई विडियो भी मिल जायेंगे। घर या आसपास जो बुजुर्ग या बड़ी महिलाएं हैं, उनसे भी आप इसके बारे में जान सकती हैं। इससे आपके भीतर सामान्य प्रसव के बारे में जो भी शंका है वो दूर होगी और आप इसके लिए पूरी तरह से तैयार होंगी।
यह कहना गलत होगा कि सामान्य प्रसव के दौरान पीड़ा नहीं होती हालाँकि यह महिला या गर्भ में पल रहे शिशु पर निर्भर करता है कि यह पीड़ा कितनी अधिक होगी। प्रसव का अनुभव हर महिला का अलग-अलग होगा है। प्रसव के समय गर्भाशय सिकुड़ता है जिससे बच्चे को बाहर निकालने के लिए धक्का लगता है जो अधिक होता है, इससे पेट की मांसपेशी में कसाव आता है। इससे पीठ, योनि क्षेत्र, रेक्टल एरिया, मूत्राशय, पेट आदि सभी पर जोर पड़ता है। इन सभी कारकों के कारण तीव्र पीड़ा और बेचैनी होती है। इसके अलावा और भी कई कारण है जिसके कारण यह पीड़ा तीव्र हो सकती है। सामान्य प्रसव के दौरान आपको कम पीड़ा हो इसके लिए आपको खुद को हर तरह से तैयार करना है चाहे तो मानसिक हो या शारीरिक।
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क्या आप जानते हैं कि अधिक पानी को पीने से आप सामान्य प्रसव की संभावना को बढ़ा सकती हैं? शोध से यह बात पता चली है कि अगर गर्भवती महिला गर्भावस्था में अधिक से अधिक पानी पीती है तो सामान्य प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही अगर इस स्थिति में बाथटब, खास पूल या शावर के माध्यम से अगर महिला पानी के सम्पर्क में रहती है तो प्रसव के समय उसे कम पीड़ा होती है और उस समय वो अधिक आरामदायक रहती है। इसलिए गर्भावस्था में पानी में जितना हो सके उतना अधिक समय बिताना अच्छा होता है।
महिला का अधिक वजन होना सामान्य प्रसव में मुश्किल हो सकता है। अगर गर्भावस्था में आपका वजन अधिक हो जाता है तो सामान्य प्रसव में आसानी नहीं होती। इसलिए इस दौरान अपने वजन को संतुलित रखें। इसके लिए योग या एक्सरसाइज करें। इसके साथ ही सही नींद का लेना भी बहुत जरूरी है।
सामान्य प्रसव के लिए महिला और आसपास के माहौल का सकारात्मक रहना बहुत आवश्यक है। प्रसव को लेकर अन्य लोगों की नकारात्मक कहानियां या किस्से न सुनें न ही उन्हें मानें क्योंकि सब का अनुभव अलग-अलग होता है। अपने दिमाग को आने वाले सुनहरे भविष्य की तरफ केंद्रित करें। अच्छे और पॉजिटिव लोगों की कंपनी में भी आपको सुकून मिलेगा।
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होने वाली माता के लिए गर्भावस्था के दौरान एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। इस दौरान आप जितना अधिक एक्टिव रहेंगे, उतनी ही अधिक संभावना है कि आपका प्रसव सामान्य होगा। गर्भावस्था में अधिकतर महिलाएं आराम करती हैं किंतु इस दौरान महिला थोड़ा बहुत घर का काम करें और एक्टिव रहें। इससे गर्भावस्था में होने वाले अन्य रोगों जैसे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर आदि से भी मुक्ति मिलेगी।
स्त्री का शरीर शिशु को जन्म देने के लिए बनाया गया है। खुद पर भरोसा रखें, आपका सहज-ज्ञान प्रसव के दौरान आपका मार्गदर्शन करेगा। रोजाना सांस से सम्बन्धी अभ्यास करें। आप स्वयं अपनी जितनी मदद कर सकते हैं उतनी कोई भी नहीं कर सकता।
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