हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और इस साल हम आजादी के 70 साल पूरे कर 71वें साल में प्रवेश करेंगे| यह दिन हर भारतवासियों के लिए बड़ा ही गर्व का दिन है परंतु हमे इसे सिर्फ एक छुट्टी का दिन ही नहीं मानना चाहिए| कुछ लोगो के लिए बस सुबह-सुबह झंडा फहराया, आजादी के गीत गए और हो गया|
आज हम आपको कुछ ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी और वीरों के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप हमारे इतिहास पर गर्व करेंगे| इसकी शुरुआत आप को अपने बच्चों की छोटी अवस्था से ही कर देनी चाहिए क्योंकि अगर छोटे बच्चे ही अच्छी शिक्षा ग्रहण करेंगे और इमानदार बनेंगे तो आगे जाकर देश का भला होगा|
झांसी भारत के उत्तर में स्थित है जहां की रानी लक्ष्मीबाई थी| इनका जन्म 1828 ईस्वी में काशी (वाराणसी) में हुआ था| उस समय भारत का गवर्नर डलहौजी था और उसने नियम निकाला था कि जिस राज्य में राजा नहीं है वहां अंग्रेजों का अधिकार होगा| उस समय रानी लक्ष्मीबाई विधवा थी और उनका एक बेटा था दामोदर परंतु रानी ने अंग्रेजों के आगे घुटने ना टेकते हुए उनकी बात मानने से इनकार कर दिया और अपने राज्य को बचाने के लिए उनके खिलाफ जंग छेड़ दी| मार्च 1858 में अंग्रेजों से लगातार 2 हफ्ते तक युद्ध करते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुई| 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई का विशेष योगदान था| इनका नाम भारत के स्वतंत्रता सेनानियों मे बड़े सम्मान के साथ किया जाता है|
बाल गंगाधर का नाम सुनते ही पूरे शरीर में एक शोर सा भर जाता है| इन्होंने एक नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा| उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी जिसमे भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता था| बाल गंगाधर तिलक ने पूरे भारत में घूम-घूम कर लोगों को आजादी की लड़ाई में साथ देने के लिए प्रेरित किया था| उनकी अंतिम यात्रा में लगभग 20,000 लोग शामिल हुए थे|
भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानियों में एक ऐसे नेता थे जिनका नाम बच्चा-बच्चा जानता है| इनके पिता और चाचा दोनों ही स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे इसलिए इन्होने देश के प्रति प्रेम बचपन से ही सीखा था| वे बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे| 1921 में उन्होंने असहयोग आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी दी लेकिन गर्म स्वभाव का होने के कारण इन्होंने यह छोड़ नौजवान भारत सभा बनाई जो पंजाब की युवाओं को आजादी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती थी| चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर इन्होंने बहुत से आजादी के कार्य किए| 1929 में इन्होंने संसद में बम फेंक दिया था जिसके बाद इन्हें 23 मार्च 1931 को राजगुरु व सुखदेव के साथ फांसी की सजा दे दी गई|
चंद्रशेखर आजाद नाम की ही तरह आजाद थे| उन्होंने स्वतंत्रता की आग में घी डालने का काम किया था| चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई में युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करते थे| उन्होंने युवा क्रांतिकारियों की एक सोच खड़ी कर दी थी| चंद्रशेखर आजाद का अंग्रेजों में बहुत खौफ था| इन्होंने काकोरी ट्रेन लूटने की योजना बनाई थी और इसे लूटा भी था| एक दिन किसी दगाबाज ने इनकी खबर अंग्रेजों को दे दी थी और वे इन्हें पकड़ने के लिए इनके पीछे पड़ गए थे परंतु चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के हाथों खुद को जिंदा नही पकड़वाना चाहते थे इसलिए उन्होंने अंग्रेजो से अकेले लड़ते हुए अपनी अंतिम गोली से खुद को गोली मार ली थी और शहीद हो गए थे|
लाला लाजपत राय भारत के स्वतंत्रता सेनानियों व भारतीय नेशनल कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता थे| इनको पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता हैं| यह लाल बाल पाल के गुट में शामिल थे| 30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये थे। उस समय इन्होंने कहा था मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी। उस लाठीचार्ज में बुरी तरह से घायल होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी|
लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे| शास्त्री जी ने देश की आजादी के लिए भारत छोड़ो आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन और असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था| आजादी के समय इन्होंने जेल में भी दिन बिताए थे| आजादी के बाद ये गृह मंत्री बन गए और फिर 1964 में दूसरे प्रधानमंत्री बने| उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा भी दिया था| जब 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था तो इन्होने ही यह मोर्चा संभाला था| 1966 में जब वे विदेश दौरे पर ताशकंद में थे तब अचानक उनका दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी| इनकी मृत्यु को लेकर संदेह है, कुछ लोगों का व इनके परिवार का मानना था कि इन्हें जहर देकर मार दिया गया था|
सुभाष चंद्र बोस जी को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है| इनका जन्म 23 जनवरी 1897 में बंगाल वर्तमान उड़ीसा में हुआ था| 1919 में वे पढ़ाई करने के लिए विदेश चले गए थे और वहां जब उन्हें जलियांवाला बाग हत्याकांड का पता चला तो वे भारत लौट आए| भारत आकर वे कांग्रेस में शामिल हुए और नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया| लेकिन कांग्रेस से मतभेदों व नेहरु से ना बनने के कारण उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पड़ से इस्तीफा दे दिया| इसके बाद उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ इंडियन नेशनल आर्मी संगठित की| दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने समर्पण कर दिया जिसके बाद नेताजी वहां से भाग निकले| कहते हैं कि 17 अगस्त 1945 को उनका प्लेन भारत आते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें उनकी मृत्यु हो गई| इनकी मृत्यु से जुड़े तथ्य आज भी रहस्य बने हुए हैं|
ऐसे तो भारत के इतिहास में बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों का नाम आता है जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए बलिदान दे दिया| परंतु मंगल पांडे जी का नाम भारत के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानियों में सर्वप्रथम आता है| इन्होंने 1857 में ही अंग्रेजो के खिलाफ जंग छेड़ दी थी और सबको इसमें साथ देने को कहा था| मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी में एक सैनिक थे| ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जो कारतूस बनाया जाता था उसमें गाय माता की चर्बी लगी होती थी जो सैनिको को मुह से खींचनी पड़ती थी जो कि हिंदू धर्म के खिलाफ था| उन्होंने कंपनी को बहुत समझाने की कोशिश की परंतु कुछ नहीं हुआ| 8 अप्रैल 1857 को उनकी मृत्यु हो गई|
पटेल लौह पुरुष के नाम से भी जाने जाते है| यह भारतीय कांग्रेस के मुख्य नेता व पेशे से वकील थे| उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था| जब भारत आजाद हुआ था तब वह बहुत सारे राज्यों में बंटा हुआ था और साथ ही पाकिस्तान भी अलग होने की कगार पर था| ऐसे समय में उन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ा और लोगों को समझाया कि देश की रक्षा के लिए सभी राजतंत्र समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया जाएगा| उस समय देश को एक ऐसे नेता की जरूरत थी जो पूरे देश को एक तार में बांधकर रख सके क्योंकि देश में आजाद होने के बाद भी बहुत सारी परेशानियां थी जिसे सरदार जी ने बहुत अच्छे से समझा था| उस समय नेहरू जी को कश्मीर की जिम्मेदारी दी गई थी जो आज भी संयुक्त राष्ट्र में एक मुद्दा है लेकिन बाकी देश की जिम्मेदारी सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास थी जो अभी भारत के अभिन्न अंग है|
इनका जन्म 13 जनवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था| 1914 में ये पहली बार गाँधी से मिली और उनसे इतनी प्रभावित हुई कि अपना जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया| एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र में दिया। उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। इन्होने गाँव-गाँव घूमकर देश-प्रेम की अलख जगाई और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं।
हमें गर्व है हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों पर जिन्होंने हमारे देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी| असल में उनकी मृत्यु नहीं हुई बल्कि वह मर कर भी अमर हो गए और देश के लिए शहीद हो गए| सलाम है ऐसे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों को|
बाकी के त्यौहार तो हम एक सप्ताह पहले ही मनाने लग जाते हैं और बड़ी धूमधाम से भी मनाते हैं परंतु हमारे देश की आजादी यानी हमारी अपनी आजादी जैसे अपनी मर्जी से खाना, रहना, पीना, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, अच्छी नौकरी करना आदि को हम एक मामूली दिन मानते हैं|
इसके पीछे भारत के कितने ही वीर सपूतों ने अपनी जान गवाई है, अपना सब कुछ गंवाया है और कितनी यातनाएं सही है| हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को कुछ दे तो नहीं सकते परंतु उन्हें याद करके श्रद्धांजलि तो दे ही सकते हैं| हमे उनके बारे में जानकारी अपने बच्चों को जरूर देनी चाहिए और बच्चों को बताना चाहिए कि भारत के इतिहास में ऐसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं जिनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है| इस आजादी की लड़ाई में बहुत से ऐसे युवा थे जिन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर अपना जीवन देश के नाम कर दिया|
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