गर्भावस्था के नौ महीनों का समय हर गर्भवती महिला के लिए किसी रोलर कॉस्टर राइड से कम नहीं होता। जहाँ उत्साह, खुशी, भय, उत्सुकता जैसी भावनाएं पूरे समय आपके साथ रहती हैं। गर्भावस्था का आठवां महीना मतलब गर्भावस्था का अंतिम चरण यानी वो अवधि जब आप प्रसव से केवल कुछ ही दूरी पर हैं। इस समय होने वाली माँ की शारीरिक, मानसिक समस्याओं के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं। यही नहीं, इस पड़ाव तक पहुँचने पर मन में प्रसव को लेकर कई सवाल और अजीब से भय होना भी स्वभाविक है। तो जानिए कैसे गुजरता है गर्भावस्था का आठवां महीना (8th Month of Pregnancy) और पाईये पूरी जानकारी।
आठवें महीने अर्थात (29वें सप्ताह से 32वें हफ्ते) में आपने अपने होने वाले शिशु के स्वागत की तैयारियां पूरी कर ली होंगी। इसके साथ ही उन चीज़ों की पैकिंग भी कर ली होगी जिनकी ज़रूरत आपको प्रसव के बाद पड़ेगी। अगर नहीं की है तो कर लीजिये क्योंकि अब आपके जीवन में खुशियां आने में केवल कुछ ही समय शेष है। जानिए आठवें महीने में होने वाले स्वास्थ्य समस्याएं (Aathva Mahina) कौन-कौन सी हैं।
जैसा की आप जानती हैं इस महीने में शिशु का वजन पिछले महीनों की तुलना में और भी अधिक बढ़ जाता है जिससे दबाव पड़ने के कारण पीठ में दर्द होने की समस्या इस महीने बेहद सामान्य है क्योंकि शिशु का सारा भार पीठ पर आ जाता है। आठवें महीने में पेट में ऐंठन और कभी-कभी दर्द भी हो सकता है।
गर्भावस्था के अन्य महीनों की तरह इस महीने में एसिडिटी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके साथ ही कब्ज, बवासीर और गैस की समस्या भी हो सकती है। शिशु का आकार बढ़ने के कारण मूत्राशय पर भी दबाव पड़ता हैं जिससे बार-बार पेशाब आने की समस्या भी बढ़ सकती है।
पैरों में सूजन और ऐंठन जैसे कष्ट भी आठवें महीने में हो सकते हैं। हाथों-पैरों का जल्दी गर्म होना, खारिश होना भी इस दौरान आम है।
गर्भावस्था के आठवें महीने (Eighth Month of Pregnancy) में कई महिलाओं को नींद न आने या कम आने की शिकायत रहती हैं। ऐसा शिशु के हिलने-डुलने, बार-बार बाथरूम जाने या अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से हो सकता है। इसके साथ ही आपको चलने और बैठने में भी मुश्किल हो सकती है।
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आठवें महीने में शिशु पूरी तरह से विकसित हो चुका होता है। उसके शरीर के अंग पूरा आकार ले चुके होते हैं। कई बार शारीरिक जटिलताओं की वजह से कई महिलाओं का प्रसव आठवें महीने में भी कराया जाता है। जानिए कितना विकास होता है गर्भ में आठवें महीने में शिशु का।
अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य के लिए आठवें महीने में भी आपका अन्य महीनों की तरह अपनी जाँच कराने के लिए डॉक्टर के पास जाना अनिवार्य है। जानिए इस महीने कौन-कौन से टेस्ट जरूरी है।
गर्भावस्था के आठवें महीने में गर्भवती स्त्री का वजन, ब्लड प्रेशर, गर्भाशय का साइज़ और स्थिति और आपके हाथों पैरों पर कोई सूजन तो नहीं आयी है, यह सब जांचा जाएगा।
ब्लड टेस्ट के माध्यम से आप में खून की कमी तो नहीं है यह जानने के लिए आपका ब्लड टेस्ट कराया जाएगा।
शुगर टेस्ट और प्रोटीन की जाँच के लिए यूरिन टेस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही इससे यह भी पता चलेगा कि आपको इन्फेक्शन तो नहीं है।
आठवें महीने डॉक्टर आपको नॉन-स्ट्रेस टेस्ट के लिए कह सकते हैं जिसमें भ्रूण की गतिविधियों को जांचा जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर आपकी पूरी तरह से जाँच करने के बाद आपको कोई अन्य टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते है।
आठवें महीने में शिशु का विकास और गतिविधियों के बारे में जानने के लिए आपके लिए अल्ट्रासाउंड कराना बेहद आवश्यक है। इससे शिशु की स्थिति, उसका वजन, उसकी लम्बाई, गर्भनाल की स्थिति आदि का पता चल सकता है। अगर आपका आठवें महीने में अल्ट्रासॉउन्ड कराया जाता है तो हो सकता है कि अगले महीने कोई अल्ट्रासॉउन्ड न कराया जाए। आपको कलरड अल्ट्रासाउंड यानी डॉप्लर के लिए भी कहा जा सकता है जिसमें शिशु की पोजीशन व अन्य मापदंडों को स्पष्ट रूप से चेक किया जा सकता है।
गर्भावस्था के आठवें महीने में शिशु का विकास चरम सीमा पर होता है, ऐसे में आपको खासतौर पर आपको अपने खाने पीने का ध्यान रखना है। जानिए कौन-कौन से पोषक तत्व इस समय आपको लेने चाहिए।
फाइबर युक्त आहार गर्भावस्था के लिए बेहद उपयोगी है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में वजन में बढ़ने और हार्मोन्स में बदलाव के कारण कब्ज हो जाती है। ऐसे में इस चीज से बचने के लिए अधिक से अधिक सब्जियां खाएं। हरी सब्जियों में आयरन, पोटाशियम और कैल्शियम भी होता है। इनका आठवें महीने में होने वाली माँ के आहार में होना बेहद आवश्यक है।
दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे दही, पनीर आदि विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, पोटाशियम, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। गर्भावस्था के अंतिम दिनों में दुग्ध उत्पादों का सेवन करने से शिशु का विकास सही से होता है।
गर्भावस्था के अंतिम चरण में कम मात्रा में वसा युक्त आहार खाना भी आवश्यक है। इसके लिए आप मेवे खा सकती हैं। जिससे आपको ओमेगा-3 भी प्राप्त होगा जो शिशु के दिमाग के लिए आवश्यक है।
हमारे शरीर में आयरन का सही से अवशोषण हो रहा है या नहीं, इस चीज़ को निर्धारित करने के लिए विटामिन सी का सेवन आवश्यक है। विटामिन सी युक्त आहार जैसे नींबू, संतरे, टमाटर, बंदगोभी आदि का सेवन अवश्य करें।
विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों के लिए मौसमी फलों को ग्रहण करना न भूले जैसे कि केले, सेब, तरबूज, कीवी आदि।
गर्भावस्था के आठवें महीने में आपको अधिक मात्रा में ऐसे आहार का सेवन नहीं करना चाहिए जिसमें अधिक वसा हो इससे आपका वजन बढ़ सकता है जिससे आपको प्रसव के समय मुश्किल हो सकती हैं। जंक फूड और बाहर का खाने से बचे।
जैसे की आपके प्रसव का समय अभी बहुत नज़दीक है ऐसे में आपकी कब्ज की समस्या भी बढ़ सकती है लेकिन कॉफी, चाय आदि का सेवन आपकी कब्ज की इस समस्या को अधिक बढ़ा सकता हैं। इसलिए जितना हो सके इनका सेवन उतना कम करे।
अधिक क्रीम युक्त दूध भी इस दौरान न पीएं। इस दौरान बकरी के दूध को बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इसे पीने से टोक्सोप्लाज़मोसिज़ नामक बीमारी के होने की संभावना होती है।
गर्भावस्था के अंतिम चरण में मछली खाने से पहले ध्यान रखें कि इसमें मर्करी की मात्रा न हो क्योंकि वो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसके साथ कच्चा माँस और अंडे का सेवन न करें।
गर्भावस्था के आठवें ही नहीं बल्कि पूरी गर्भावस्था के दौरान नशे वाली चीज़ें जैसे तम्बाकू, शराब, सिगरेट आदि से दूर रहे क्योंकि आपके और आपके शिशु के स्वास्थ्य के लिए यह चीज़ें बहुत हानिकारक हैं।
प्रसव के दिन बहुत नजदीक हैं, ऐसे में प्रसव आदि के भय से तनाव होना सामान्य है। ऐसे में नकारात्मक बातों, लोगों और जगहों से दूर रहें। जितना हो सके शांत रहें और सकारात्मक सोचें।
आठवें महीने में न तो आप अच्छे से बैठ पाएंगी और ना ही चल पाएंगी। ऐसे में अपने बैठने, उठने और खड़े होने की स्थिति पर खास ध्यान दें। आठवें महीने में समय से पहले प्रसव की संभावना भी होती है इसलिए इस चीज़ का खास ध्यान रखना चाहिए। अधिक समय तक खड़े न रहे क्योंकि ऐसा करने से पीठ में दर्द हो सकता है। बैठते समय एकदम सीधी होकर, पीठ के पीछे सहारा लेकर ही बैठे।
इस दौरान चुस्त रहें ताकि आपको प्रसव में मुश्किल न हो। जितना हो सके उतना एक्टिव रहें, पैदल चले, हो सके तो योग भी कर सकती हैं। इस दौरान साँस लेने की समस्या होने पर उससे संबंधित व्यायाम करें।
आप आठवें महीने में शारीरिक सम्बन्ध बना सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको किसी तरह की शारीरिक परेशानी नहीं होनी चाहिए मतलब अगर आप शारीरिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ हैं और डॉक्टर भी आपको इसकी सलाह देते हैं तो आप शारीरिक सम्बन्ध बना सकती हैं। लेकिन अगर आपको रक्त स्त्राव हो रहा हो या अन्य कोई परेशानी हो तो इससे दूर रहने में ही आपकी व आपके शिशु की भलाई है।
गर्भावस्था के आठवें महीने में अगर आपको अधिक भूख लग रही है तो अंतराल के बाद थोड़ा-थोड़ा खाएं। जो भी मन करे वो करें। अपने शिशु से बात करना न भूले। इसके साथ ही अपनी नींद अवश्य पूरी करें। अभी आप अपने प्रसव के लिए शारीरिक तथा मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार होनी चाहिए क्योंकि कई बार जटिलताओं के कारण इस महीने में भी प्रसव करवाने की स्थिति से गुजरना पड़ता है। अपने शरीर के संकेतों को समझें ओर सतर्क रहें। अगर आपको अपने शरीर में कोई भी बदलाव लगे या कोई समस्या हो तो डॉक्टर से केवल बात ही न करें बल्कि तुरंत अस्पताल की ओर रुख करें।
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