गर्भावस्था के पांचवें महीने तक अधिकतर महिलाओं को देखकर ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वो गर्भवती हैं लेकिन छठे महीने के साथ ही ख़त्म हो जाती है गर्भावस्था की दूसरी तिमाही और इस महीने में साफ तौर पर आपका पेट दिखना शुरू हो जाता है। वैसे तो गर्भावस्था का छठा माह (6th Month of Pregnancy) बहुत ही सुरक्षित माना जाता है। इस महीने गर्भ में शिशु का हिलना-डुलना बढ़ जाएगा जिससे आपको अच्छा महसूस होगा। छठे महीने यानी 21वें सप्ताह से 24वें सप्ताह में शारीरिक और मानसिक समस्याओं के साथ जो एक और चीज़ आपको परेशान कर सकती है वो है प्रसव का भय। जानिये कैसे गुजरेगा आपकी गर्भावस्था का छठा माह।
गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं पहले के महीनों की तुलना में आपको कम परेशान करेंगी लेकिन शिशु के हो रहे विकास और हार्मोन्स असंतुलन के कारण कुछ समस्याएं आपको कष्ट दे सकती हैं। जानिए कौन-कौन सी हैं यह समस्याएं।
गर्भावस्था में आहार आसानी से नहीं पचता जिससे अपच की शिकायत रहती है। ऐसे में गैस, कब्ज और ऐसिडिटी आदि भी आपकी बेचैनी का कारण बन सकती हैं। आप इसके लिए डॉक्टर की सलाह और दवाई ले सकती हैं लेकिन अधिक दवाई लेना भी इस दौरान सही नहीं है। इसलिए इस समस्या से बचने के लिए आप अधिक पानी पीएं और फाइबर युक्त आहार खाएं।
कई महिलाएं छठे महीने में खारिश और सूजन जैसी समस्या का सामना करती हैं। खारिश अक्सर पूरे शरीर पर होती है खासतौर पर पैरों के नीचे, पेट और स्तन पर जबकि सूजन मुख्यत हाथों और पैरों में होती है। इससे बचने के लिए सूती कपडे पहने या डॉक्टर से दवाई लें।
गर्भावस्था में अनियमित रक्त प्रवाह के कारण आपके हाथों और पैरों में कड़ापन और ऐंठन हो सकती है। इनसे बचने के लिए रात को पैरों में तेल से मालिश करें।
गर्भावस्था के छठे महीने में आप अधिक समय तक न तो चल पाती हैं, न ही खड़े हो पाती हैं। आपका पेट और शिशु का वजन बढ़ रहा होता है जिसके कारण आपको बहुत जल्दी थकावट महसूस हो सकती है। इसके साथ ही पीठ दर्द होना भी इस दौरान स्वाभाविक है।
इस महीने आपको खर्राटे भी परेशान कर सकते हैं ऐसा गर्दन और सिर में आयी सूजन के कारण होता है। इसके साथ ही नाक और दांतों से खून आने की समस्या भी छठे महीने में हो सकती है।
गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु के अंगों का विकास तेज़ी से हो रहा होता है। ऐसे में आपको सामान्य से अधिक भूख लगना सामान्य है लेकिन गर्भ में पल रहे शिशु का ध्यान रखते हुए पोषक तत्वों का ही सेवन करें।
गर्भावस्था के छठे महीने में कुछ महिलाएं भूलने जैसी समस्या से भी परेशान हो सकती है जिसका कारण हार्मोन्स में परिवर्तन होता है। इसके साथ ही इस दौरान मूड स्विंग्स भी होता है जिसके कारण चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
जैसे-जैसे प्रसव का समय पास आता है, गर्भ में पल रहे शिशु का शरीर तेज़ी से बढ़ता है और छठे महीने में आप अपने शिशु को अच्छे से महसूस भी कर सकती हैं। जानिए छठे महीने के दौरान क्या विकास होता है शिशु में।
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अन्य महीनों की तरह छठे महीने में अपनी जाँच कराना बेहद जरूरी है ताकि आप शिशु में हुए विकास के बारे में जान सके और अगर आपको कोई समस्या है तो उसके बारे में सही समय पर पता चल सके। जानिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं गर्भावस्था के छठे माह में:
गर्भावस्था के छठे महीने में भी पहले आपका वजन और गर्भाशय को जांचा जाएगा और उसके बाद आपके ब्लडप्रेशर की जाँच होगी।
शुगर और प्रोटीन को जांचने के लिए यूरिन टेस्ट कराया जाएगा। इसके साथ ही अगर आपको कोई संक्रमण है तो इस बात का भी पता चल सकता है।
ब्लड का सैंपल लेकर होमोग्लोबिन आदि का टेस्ट किया जाता है।
आजकल गर्भावस्था के समय मधुमेय होना बहुत ही सामान्य होता जा रहा है। जिसके कारण शिशु का वजन गर्भ में बढ़ जाता है और प्रसव में समस्या आती है। इसके अलावा यह होने वाली माँ और शिशु के लिए घातक भी हो सकता है। छठे महीने में मधुमेह की जाँच के लिए यह टेस्ट कराया जाता है जिसे ग्लुकोज़ टोलरेंस टेस्ट कहते हैं। इसके लिए पानी में ग्लूकोस मिला कर पिलाने के बाद खून का सैंपल लेकर जाँच की जाती है कि आपको मधुमेह है या नहीं।
गर्भावस्था के छठे महीने में जब आप जाँच के लिए डॉक्टर के पास जाती है तो डॉक्टर किसी अन्य समस्या के मुताबिक आपका कोई अन्य टेस्ट करवा सकते हैं।
अगर आपने पांचवें महीने में अल्ट्रासाउंड करवाया है तो हो सकता है कि इस महीने डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह न दे क्योंकि पांचवें महीने में अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक होता है। कोई शारीरिक परेशानी होने पर आपको अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कहा भी जा सकता है। आप इस महीने में अल्ट्रासाउंड करवा कर शिशु के विकास, मूवमेंट, लम्बाई, वजन आदि के बारे में जान सकती हैं। यही नहीं छठे महीने में आप अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु की गतिविधियों जैसे मुँह में अंगूठा डालना, हाथ-पैर हिलाना आदि देख सकती है।
गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु का विकास पूरी तेज़ी से हो रहा होता है। ऐसे में भूख भी अधिक लगती है लेकिन ऐसे में कुछ ऐसा खाएं जिससे आपके शिशु को पूरे पोषक तत्व प्राप्त हों। भूख अधिक लगती हैं इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आप ज़रूरत से अधिक खाएं। जानिए क्या खाना चाहिए गर्भावस्था के छठे महीने में:
प्रोटीन आपके लिए बेहद लाभकारी है इसलिए इसे अपने आहार में शामिल करना न भूलें। बीन्स, मेवे, अंडे,अनाज आदि प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत हैं। अधिक माँस या मछली का सेवन इस दौरान न करे।
कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा भी आपके आहार में होना बेहद आवश्यक है। इसके लिए आलू, ब्राउन राइस, मेवे, ओट्स आदि का सेवन करें।
गर्भावस्था के इस चरण में आपको दांतों या नाक से खून निकलने जैसी समस्या हो सकती है। लेकिन अधिक मात्रा में विटामिन सी का सेवन करने से इस स्थिति को दूर किया जा सकता है। इसके लिए विटामिन सी युक्त चीज़ें जैसे संतरे, नींबू, अंगूर, शकरकंदी, स्ट्रॉबेर्रिज आदि खाएं।
गर्भावस्था में अपच और कब्ज होती रहती है। ऐसे में अधिक फ़ाइबर युक्त आहार और तरल पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है। चुकंदर, पालक, गाजर, बैंगन, फलियां, टमाटर, कीवी, सेब, अंगूर, केले आदि का सेवन करे। इसके साथ ही पानी, जूस, नारियल पानी, लस्सी आदि भी लें।
शरीर में नए सेल्स का निर्माण करने के लिए फोलिक एसिड आवश्यक है जो एक प्रकार का विटामिन बी 9 होता है। दूसरी तिमाही में जब आपके शिशु के दिमाग का विकास हो रहा होता है ऐसे में फोलिक एसिड अवश्य लें। अलसी, सूरजमुखी के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, मेवे, मटर, अंगूर और केले आदि में यह भरपूर मात्रा में होता है।
शिशु और अपनी हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए प्रोटीन का सेवन करें जिसके लिए दूध, दही, मक्खन, पनीर लें।
ज़िंक शिशु के विकास में महत्वपूर्ण है। दूध से बने तत्वों, मेवे, सूरजमुखी के तेल, प्याज, अंडे, अदरक आदि में जिंक होता है।
गर्भावस्था के समय में कई गर्भवती महिलाओं को फास्ट फूड खाने की इच्छा होती है। फास्ट फूड में कैलोरीज बहुत अधिक मात्रा में होती है जिससे खून में ग्लूकोज की मात्रा या तो एकदम बढ़ जाती है या कम हो जाती है। इससे थकावट जैसी कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
गर्भावस्था में मीट खाना अच्छा है लेकिन अधपका या कच्चा मीट या अंडा खाने से परहेज़ करें। क्योंकि ऐसा करना गर्भपात या समय से पहले प्रसव की संभावना बढ़ा देता है। कच्चा सीफूड भी स्वास्थ्य के लिए हानिकाक है इसमें मरकरी होती है जो शिशु के विकास में हानिकारक हो सकता है।
अधिक तलाभुना और मसालेदार आहार न केवल अपच और पेट सम्बन्धी समस्याओं को जन्म देता है बल्कि इससे शिशु के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है।
गर्भावस्था के किसी भी चरण में तम्बाकू और शराब का सेव हानिकारक होता है इसलिए उनका सेवन न करे।
गर्भावस्था के छठे महीने में शारीरिक सम्बन्ध बनाये जा सकते हैं। अपने डॉक्टर से आप इस बारे में आप अधिक जान सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवाई न लें। ऐसा करना हानिकारक हो सकता है।
अपने बैठने उठने की स्थिति का ध्यान रखें। झटके से न उठे और पालथी मार कर न बैठे। इसके साथ ही सीढ़ियां चढ़ते हुए सावधानी बरते। भार न उठायें। कपड़े पहनते हुए सावधानी बरते।
गर्भावस्था के छठे महीने के बाद समय से पहले प्रसव हो सकता है। ऐसे में अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहें। समय से पहले होने वाले प्रसव के कारणों और लक्षणों में बारे में पहले ही अपने डॉक्टर से जानकारी ले लें। अगर आपको कोई भी समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से मिले ताकि आपको किसी मुश्किल और कठोर स्थिति का सामना न करना पड़े।
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