गर्भावस्था के पांचवें महीने के लक्षण, बच्चे का विकास, आहार और देखभाल

गर्भावस्था के पांचवें महीने के लक्षण, बच्चे का विकास, आहार और देखभाल

गर्भावस्था का पांचवां महीना शुरू होते ही गर्भ में शिशु की गतिविधियां बढ़ जाती है हालाँकि महिलाएं इस समय खासतौर पर नयी बनी महिलाएं इन्हें अभी महसूस नहीं कर पाती। इस समय महिला ऊर्जा से भरपूर होती है और उसके चेहरे पर एक खास ग्लो होता है। पांचवे महीने में शिशु का विकास होने के कारण कुछ चीज़ों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक हो जाता है। गर्भावस्था के पांचवें महीने (Garbhavastha ka Panchwa Mahina) यानी 17 वे सप्ताह से लेकर 20 वें हफ्ते में कई परेशानियां कम हो जाती हैं लेकिन कुछ नयी चीज़ें आपको बैचैन कर सकती हैं। हालाँकि इन सबसे आपके माँ बनने का उत्साह कम नहीं होगा बल्कि बढ़ जाएगा। जानिये कैसे-कैसे गुजरेगा आपकी गर्भावस्था का पांचवां महीना (5th Month of Pregnancy)।

 

पांचवें महीने में होने वाली शारीरिक समस्याएं (Symptoms of 5th Month Pregnancy in HIndi)

  • पीठ दर्द (Back Pain)

गर्भावस्था के पांचवें महीने तक पीठ दर्द की समस्या शुरू हो जाती हैं और ऐसा शिशु का आकार बढ़ने के कारण होता है। पांचवें महीने से लेकर प्रसव तक यह समस्या बनी रहती है। इसके साथ ही सिर दर्द भी आपके कष्ट का कारण बन सकता है।

  • बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination)

गर्भावस्था के पांचवें महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं जैसे बाथरूम जाना पिछले महीनों की तुलना में बढ़ जाती है क्योंकि आपके भ्रूण के बढ़ते आकार के कारण ब्लैडर पर प्रेशर पड़ता है।

  • पेट सम्बन्धी समस्याएं (Stomach Problems)

इस महीने में भी कब्ज, एसिडिटी, गैस और खाने का आसानी से न पचना जैसी परेशानियां कम नहीं होती।

  • नाक और दांत से खून आना (Nose and Teeth Bleeding)

गर्भावस्था के पांचवें महीने में दांत और आँखों में परिवर्तन आता है। इसके साथ ही नाक और दांत में खून भी आ सकता है।

  • सूजन (Swelling)

कई महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवें महीने में पैरों में सूजन और दर्द होता है। इसके साथ ही शिशु को पिलाने वाला पहला गाढ़ा दूध माँ के स्तनों में बनना शुरू हो जाता है।

  • स्ट्रेच मार्क्स (Strech Marks)

गर्भावस्था के पांचवें महीने में स्ट्रेच मार्क्स के निशान बढ़ते जाते हैं। खासतौर पर पेट पर क्योंकि पेट का आहार बढ़ने के कारण खिंचाव आता है।

  • अधिक भूख ( Feeling More Hungry)

पांचवें महीने में गर्भवती महिलाओं का मन अधिक भोजन खाने का करता है। यही नहीं इस दौरान कुछ भी कभी भी खाने का मन कर सकता है।

 

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बच्चे का विकास (Fetus Development in 5th Month of Pregnancy)

पांचवां महीने का अर्थ है कि आपकी गर्भावस्था का आधा हिस्सा गुजर चूका है अब केवल कुछ ही समय बचा है आपके शिशु के आने में। गर्भावस्था के पांचवें महीने (Fifth Month of Pregnancy) में शिशु का विकास बहुत तेज़ी से होता है और उसके शरीर के कई अंग बन जाते हैं। कुछ माताओं को शिशु के गर्भ में हिलने-डुलने का भी पता चल जाता है। जानिये क्या-क्या विकास होता है बच्चे का पांचवें महीने में।

 

  • पांचवें महीने में शिशु का आकार लगभग 20 सैंटीमीटर हो सकता है और वजन 250 ग्राम तक हो सकता है।
  • पांचवें महीने तक शिशु अपने हाथों-पैरों को हिलाना शुरू कर देता है और अपना अंगूठा भी चूसना शुरू कर देता है।
  • इस समय शिशु की हड्डियां पूरी तरह से मजबूत हो जाती हैं।
  • किडनी, दिल और अन्य अंग अच्छे से काम करना शुरू कर देते हैं।
  • शिशु के बाल बढ़ने लगते हैं इसके साथ ही मसूड़े भी पूरी तरह से बन जाते हैं।
  • उसके नाखून, कान, नाक आदि सब बन चुका होगा।
  • इस समय शिशु आपके सोने और जागने के समय के अनुसार ही जागता और सोता है।

 

जरूरी टेस्ट (Necessary Tests in 5th Month of Pregnancy)

कुछ टेस्ट ऐसे हैं जो पहले महीने से लेकर नौवें महीने तक हर माह करवाने आवश्यक हैं इसके साथ ही डॉक्टर आपको कुछ अतिरिक्त टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:

  • सामान्य टेस्ट (Normal Tests)

आपका वजन मापना, गर्भाशय के आकार का माप लेना, रक्तचाप जांचना, शिशु की धड़कनों की जाँच।

  • यूरिन टेस्ट (Urine Tests)

इससे शुगर लेवल और प्रोटीन लेवल का पता चलता है।

  • खून टेस्ट (Blood Tests)

हीमोग्लोबिन की जाँच

  • एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट (Amniocentesis Test)

यह एक वैकल्पिक टेस्ट है जो डॉक्टर आपको करवाने को बोल सकते हैं। इससे शिशु में डाउन सिंड्रोम जैसे विकारों से पीड़ित हो तो उसका पता लगाया जा सकता है।

इसके साथ ही डॉक्टर आपकी पूरी जांच करेंगे और अगर कोई समस्या हो तो उसके अनुसार आपको अतिरिक्त टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं।

 

जरूरी अल्ट्रासाउंड (Essential Ultrasound)

पांचवें महीने में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड (panchve mahine mein ultrasound) करवाने को कहते हैं। दरअसल आमतौर पर गर्भावस्था में तीन से चार बार अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक माना जाता है पहला दूसरे महीने में, दूसरा पांचवें महीने में और बाकी अंतिम महीने में। पांचवें महीने में अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु का आकार, लम्बाई, वजन, गर्भनाल की स्थिति आदि का पता चलता है। इसके साथ ही लिंग का भी पता चलता है। अगर हाल ही में आपने अल्ट्रासाउंड कराया हो और आपका और आपके शिशु का स्वास्थ्य ठीक है तो हो सकता है कि डॉक्टर आपको इस महीने अल्ट्रासाउंड कराने के लिए ना कहे।

 

क्या खाएं (Diet Tips During Fifth Month of Pregnancy)

  • प्रोटीन युक्त आहार (Protein-Rich Diet)

पांचवें महीने में प्रोटीन से भरा आहार खाएं ताकि शिशु का शारीरिक विकास सही से हो पाए। दालें, मेवे, चने, साबुत अनाज को अपने आहार में शामिल करें।

  • साबुत अनाज (Whole Grains)

साबुत अनाज मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन ई और विटामिन बी का अच्छा स्त्रोत है। शिशु के विकास के लिए यह बेहतरीन है।

  • कैल्शियम (Calcium)

शिशु और अपनी हड्डियों और दांतों की मजबूती और सेहत के लिए कैल्शियम युक्त आहार लें। इसके लिए दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे दही, पनीर के साथ-साथ कीवी, खजूर आदि भी आप खा सकते हैं।

  • फाइबर (Fiber)

गर्भावस्था में होने वाली कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार लें। फल, सब्जियां, ओट्स, मेवे आदि कब्ज जैसी समस्या से राहत पाने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही तरल आहार लेना भी न भूले।

  • सलाद और फल (Salad and Fruits)

गर्भावस्था में खूब फल और सलाद खाने की आदत बना लें। इससे आपको सभी मिनरल्स, पोषक तत्व और फ़ाइबर खाएं। फल जैसे सेब, केले, अवोकेडो, आड़ू, संतरे आदि को अपने आहार में शामिल करे।

 

क्या न खाएं और करे परहेज (What Food not to Eat)

  • कुछ फल (Some Fruits)

ऐसा माना जाता है कि कुछ फल जैसे पपीता, अनानास आदि गर्भाशय के संकुचन का कारण बनते है जिससे गर्भपात होने का खतरा होता है, इसलिए इन्हें खाने से बचे।

  • हर्बल चाय और सप्लीमेंट्स (Herbal Tea & Supplements)

हर्बल चाय या सप्लीमेंट्स में पाए जाने वाले कुछ घटक शिशु और माँ दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं इसलिए इन्हे न पीएं। इसके साथ ही अधिक कैफीन का सेवन भी न करें जैसे चाय या कॉफ़ी।

  • वसा युक्त खाना (Fatty food)

बाहर का जंक फूड जैसे बर्गर या पिज़्ज़ा आपके लिए हानिकारक है। इससे न केवल आपके शिशु को हानि होगी बल्कि आपका वजन और शिशु का वजन भी बढ़ सकता है जिससे प्रसव में मुश्किल हो सकती है और साथ ही कब्ज और गैस की समस्या भी हो सकती है।

  • मछली (Fish)

इस दौरान मछली खाने से बचे क्योंकि मछलियाँ समुद्र या झीलों में रहती हैं जहाँ मरकरी की मात्रा अधिक होती है। मनुष्य के शरीर में जा कर यह मिथाइलमरकरी में बदल जाता है जिससे शिशु के दिमाग में बुरा प्रभाव पड़ सकता है और इससे शिशु के विकास में बाधा आ सकती है। इसके साथ कच्चे अंडे और मांस को खाने से भी बचे।

 

सावधानियां (Precautions and Pregnancy Tips for Fifth Month)

  • सोने की पोजीशन (Sleeping Position)

पांचवें महीने में आपको अपने सोने और बैठने की पोजीशन पर खास ध्यान देना चाहिए। पेट के बल न सोएं। बैठते हुए भी आपकी स्थिति आरामदायक होनी चाहिए। इसके साथ ही चलते हुए अधिक तेज़ न चले, सीढ़ियां न चढ़ें और हील न पहनें।

  • कपड़ों का ध्यान (Take Care of your Clothes)

आपका पेट बढ़ रहा है ऐसे में आपको अपने कपडे टाइट हो रहे होंगे ध्यान रहे कि इस दौरान आप ढीले वाले कपडे पहने ताकि आप और आपका शिशु अच्छा और आरामदायक महसूस करें।

  • सप्लीमेंट्स (Supplements)

गर्भावस्था के पांचवें महीने में डॉक्टर की राय और दी गयी दवाओं या सप्लीमेंट्स को लेना न भूलें। हर महीने अपने डॉक्टर से मिले और उन्हें अपनी इस समय होने वाली हर समस्या के बारे में बताएं और उनके सुझाव लें। इसके साथ ही इंटरनेट, किताबों और अनुभवी महिलाओं से गर्भावस्था के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करे।

 

गर्भावस्था के पांचवें महीने (During 5th Month of Pregnancy) में शिशु न केवल आपको महसूस कर सकता है बल्कि वो बाहर की आवाज़ भी सुन सकता है। ऐसे में अपने शिशु से बात करें, ऐसा माना जाता है कि गर्भ में ही माँ अपने शिशु को संस्कार दे सकती है और इसकी शुरुआत करने के लिए पांचवां महीना परफेक्ट है। ऐसा करने से आपको भी अच्छा महसूस होगा और आप तनाव से भी बच सकती है।
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