गर्भावस्था का चौथा महीना (Fourth Month of Pregnancy) यानि गर्भावस्था के तीन पड़ावों में से दूसरे पड़ाव की शुरुआत। इस समय तक आपने अपने होने वाले बच्चे की छवि अपने मन में बना ली होगी। ऐसे में आपके लिए एक खुशख़बरी यह है कि इस महीने पहले तीन महीनों में होने वाली समस्याओं से आपको कुछ हद तक राहत मिल जायेगी। चौथे महीने (Garbhavastha ka chautha Mahina) से लेकर छठे महीने तक यानी गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (2nd Timester) को गर्भावस्था को नौ महीने में सबसे आसान और सुखद समय माना जाता है। हालाँकि इस समय भी आपको अपना और अपने शिशु का पूरा ध्यान रखना चाहिए और साथ में पूरे चेकअप भी करवाने चाहिए। जानिए क्या-क्या होता है चौथे महीने (4th Month of Pregnancy) में विस्तार से।
अगर आपने चौथे महीने में प्रवेश किया है तो इस समय मॉर्निंग सिक्नेस (Morning Sickness) थोड़ी कम हो जाती हैं हालाँकि कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अभी भी आपको परेशान कर सकती हैं लेकिन इस महीने में आप एक नयी ऊर्जा महसूस कर सकती है, इसके साथ ही थकावट और सुस्ती आदि बहुत कम दिखाई देती हैं और जानिए चौथे महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं कौन-कौन सी हैं :
एसिडिटी की समस्या अधिकतर गर्भवती महिलाओं को पूरे गर्भावस्था के दौरान परेशान करती है। डॉक्टर आपको इसके लिए दवाई दे सकते हैं जिससे आपको इस समस्या से कुछ हद तक राहत मिलेगी। एसिडिटी की यह समस्या गर्भावस्था के दौरान हार्मोन्स में बदलाव के कारण होती है।
हार्मोन्स के असंतुलन के कारण खाना सही से नहीं पचता जिसके कारण कब्ज की परेशानी भी इस महीने बहुत अधिक हो सकती है।
चौथे महीने से कई गर्भवती महिअलों के चेहरे पर दाग जिन्हें छाइयां कहते हैं वो पड़ना शुरू हो जाते हैं। जैसे-जैसे महीने गुज़रते हैं यह दाग गहरे हो जाते हैं। इन छाइयों के लिए आप अपने डॉक्टर से इलाज पूछ सकती हैं। आपके नाक, मसूड़ों से भी खून आ सकता है।
चौथे महीने में महिला के पेट और स्तनों में स्ट्रेचमार्क्स (stretch marks) बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही स्तनों और पेट में आपको खारिश भी हो सकती है।
चौथे महीने में शिशु का विकास (4th Month Pregnancy Baby Development) और अधिक हो चुका होता है। गर्भ में भी शिशु का वजन बढ़ (Weight Gain) गया होता है। ऐसे में आपका वजन बढ़ना भी स्वाभाविक है। इसके साथ ही चौथे महीने में जी-मचलना या अधिक सुगंध महसूस होना आदि नहीं होता इसके कारण आपको भूख भी अच्छे से लगती है।
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चौथे महीने में शिशु का विकास (Chauthe Mahine Main Bhrun ka Vikas) और भी तेज़ी से होता है। आप तो जानती ही हैं कि शिशु गर्भ में न केवल आपको महसूस कर सकता है बल्कि बाहर की आवाजें भी सुन सकता है। इस महीने में शिशु की गतिविधियों को माँ अभी महसूस नहीं कर पाती लेकिन जानिए क्या-क्या विकास होता है शिशु में चौथे महीने में।
हर महीने की तरह इस महीने में अपना रेगुलर चेकअप कराना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर से मिलकर आप गर्भावस्था में होने वाली हर दुविधा का समाधान भी जान सकती हैं। जानिए गर्भावस्था के चौथे महीने तक आपको कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए।
चौथे महीने में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को जांचा जाता है। इसके द्वारा शिशु की लम्बाई, वजन आदि की भी जाँच की जाती है। इसके साथ ही गर्भनाल की स्थिति को भी जांचा जाता है। इस दौरान आप अपने शिशु का आकार भी अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर देख सकती है। हालाँकि इस समय आप शिशु के लिंग का भी पता चल सकता है लेकिन हमारे देश में यह कानूनी अपराध है। अगर आपके गर्भ में एक से अधिक बच्चे है तो इस बात का भी गर्भावस्था के चौथे महीने में अल्ट्रासाउंड से पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था का चौथा महीना वो समय है जब आपको मितली या उलटी जैसी समस्या से राहत मिलेगी। इसके कारण खाने में भी आपकी रूचि बढ़ेगी और खाने का मन करेगा। कुछ भी खाने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे के विकास में आपका आहार (Food) मुख्य भूमिका निभाता है। जानिए क्या खाना चाहिए आपको:
गर्भावस्था के चौथे महीने में आपको अधिक खून की आवश्यकता होती है। ऐसे में आयरन से युक्त आहार खाएं ताकि आपकी यह ज़रूरत पूरी हो सके। इसके लिए मेवे, ब्राउन राइस, हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, सोयाबीन खाएं। अगर आप मांसाहारी हैं तो मछली, मांस, अंडे इत्यादि भी आप खा सकती हैं।
गर्भावस्था के चौथे महीने में पाचन क्रिया सही से नहीं हो पाती जिससे कब्ज की समस्या होती है। फाइबर युक्त आहार खाएं जैसे दलिया, अलसी के बीज, बादाम, पिस्ता, ब्रोकली, हरे मटर, फल आदि। इसके साथ ही तरल चीज़ों को भी अपने आहार में शामिल करें।
कैल्शियम आपके बच्चे और आपकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए इस समय बेहद आवश्यक है। इसलिए अपने आहार में दूध, दही, पनीर, ब्रोकोली, बादाम आदि को शामिल करे।
शरीर में आयरन अच्छे से अवशोषित हो जाए इसके लिए विटामिन सी भी आवश्यक है। इसके लिए टमाटर, चुकंदर, ब्रोकली, अंकुरित दालें, हरी सब्जियां आदि खाएं। इसके साथ ही अपने आहार में जिंक की कमी न होने दें। इसके लिए आप मशरूम, कद्दू, पालक का सेवन कर सकती हैं। ओमेगा फ़ेट्टी एसिड के लिए सोयाबीन, बादाम, अखरोट, अलसी के बीज आदि खाएं।
प्रोटीन के सेवन से मांसपेशियां बनती हैं। अपने आहार में प्रोटीन को भी शामिल करे जैसे कि मक्खन, मांस, चिकन, सोयाबीन आदि को शामिल करें। इसके साथ ही कार्बोहाइड्रेट्स जैसे साबुत अनाज, दलिया चना, राजमा भी खाएं।
गर्भावस्था के चौथे महीने में कोई भी खाना आसानी से नहीं पचता। इसलिए ऐसे में मैदे और किसी भी ऐसे आहार का सेवन न करें जो पचने में मुश्किल हो। इसके साथ ही मैदा ब्लड शुगर भी बढ़ा देता, इसलिए इससे बचे।
कच्चे अंडे और मांस में साल्मोनेला बैक्टीरिया होता है जो फूड पोइज़निंग का कारण बन सकता है। इसलिए कच्चे अंडे या मांस का सेवन न करें बल्कि इन्हें पका कर खाएं।
अधिक कैफीन का सेवन भी आपके और आपके बच्चे के लिए घातक हो सकता है। इसलिए अधिक चाय या कॉफी न पीने। शराब और सिगरेट से भी बचे। अधिक मीठी चीज़ों का भी सेवन न करे। बाहर का खाना और जंक फूड खाने से बचे।
चौथे महीने में आहार के प्रति आपकी रूचि बढ़ सकती है और कई महिलाओं का अधिक खाने का मन करता है। लेकिन आप बहुत अधिक भी न खाएं। ऐसा करने से बच्चे का वजन बढ़ सकता है जिससे आपको प्रसव के समय परेशानी होगी।
सोते हुए यह बात न भूल जाए कि आपके गर्भ में शिशु है। पेट के बल न सोएं। ऐसा माना जाता है कि गर्भवती स्त्री को दायी और सोना चाहिए।
अगर आपका चौथा महीना है तो आप पालथी मार कर न बैठे क्योंकि यह स्थिति शिशु के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके साथ ही एकदम न उठें।
हर तरह की चिंता छोड़कर इस समय का पूरा मज़ा लें। तनाव से बचने के लिए आराम करे, योग करे, अन्य महिलाओं से गर्भावस्था में उनके अनुभव जाने, शॉपिंग करें और भविष्य की योजनाएं बनाएं। तनाव या अवसाद को इस दौरान अपने जीवन का हिस्सा कभी भी न बनने दें। ऐसा करना आपके और आपके शिशु के लिए बेहद हानिकारक है।
गर्भावस्था के चौथे महीने में आप ऊर्जा से भरपूर होंगी, ऐसे में अपने शिशु के लिए शॉपिंग करें, अपने घर को सजाएं और वो सब करें जो आप उसके लिए करना चाहती हैं क्योंकि बहुत जल्दी आप उसे अपने सामने पाएंगे। जल्दी ही आपके घर में एक नन्हा शिशु जन्म लेने वाला है जिससे आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी इसलिए अपने पार्टनर के साथ यह कभी वापस न आने वाला समय बिताना न भूलें।
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