गर्भावस्था का दूसरा महीना: लक्षण, बच्चे का विकास, खानपान व देखभाल

गर्भावस्था का दूसरा महीना: लक्षण, बच्चे का विकास, खानपान व देखभाल

गर्भावस्था का दूसरा महीना यानी शिशु के विकास का दूसरा चरण, जहाँ होने वाली माँ अपने गर्भ में पल रहे शिशु को महसूस करना शुरू कर देती है। इस महीने में जी मचलना, थकावट, बार-बार बाथरूम जाना, पेट दर्द जैसी समस्याएं आपको थोड़ा परेशान कर सकती हैं। लेकिन गर्भावस्था का दूसरा महीना (2nd Month of Pregnancy) भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना पहला। इस दौरान आप गर्भवती हैं, इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होती हैं क्योंकि गर्भावस्था के दूसरे महीने में सभी जरूरी टेस्ट हो जाते हैं। इस महीने में पहले महीने की तरह ही शारीरिक के साथ-साथ कई मानसिक परिवर्तन होते हैं। अगर आप भी गर्भावस्था के दूसरे महीने में प्रवेश कर रही हैं तो पाईये वो जानकारियाँ जो आपके लिए बेहद लाभदायक साबित होंगी।

 

स्वास्थ्य समस्याएं (Health problems During 2nd Month of Pregnancy)

गर्भावस्था के दूसरे महीने (pregnancy ke seond month) यानी पांचवे से लेकर आठवें सप्ताह में आपको उन्ही शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है जो आपको पहले महीने होती हैं। दूसरे महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं आपको चिंतित कर सकती हैं लेकिन परेशान न हों क्योंकि कुछ समय के बाद आपकी यह समस्याएं काफी हद तक कम हो जायेगी और आप अपने जीवन के इस खास चरण का पूरी तरह से आनंद लेगी। गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाले स्वास्थ्य परिवर्तन कुछ इस तरह से हैं।

  • इस माह स्तनों के आकार में परिवर्तन होता है और वो थोड़े भारी हो जाते हैं। ऐसा हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण होता है।
  • कुछ महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण उन्हें थकावट महसूस होती है और बहुत अधिक नींद आती है।
  • मॉर्निंग सिक्नेस, चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
  • खानपान में भी बदलाव आता है। कई महिलाओं को अधिक भूख लगती है तो कई महिलाओं की भूख कम हो जाती है।
  • वजन बढ़ता है, इसके साथ ही ऐसिडिटी की समस्या भी हो सकती है।
  • पेट दर्द और योनि से हल्का रक्तस्त्राव हो सकता है।
  • अचानक महिला की नाक अधिक संवेदनशील हो जाती है। उसे कोई भी सुगंध या बदबू बहुत जल्दी महसूस होने लगती है।
  • चिड़चिड़ापन, तनाव, चिंता और अन्य मूड स्विंग्स भी इस दौरान होना सामान्य है।

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बच्चे का विकास (Fetus Development in 2nd Month in Hindi)

गर्भावस्था के दूसरे महीने (Garbhavastha ke Dusre Mahine mein) में शिशु का कितना विकास होता है, यह जानना एक माँ के लिए बेहद रोचक होता है। आपको पता भी नहीं चलता कि आपके गर्भ में भ्रूण के अंग कितने विकसित हो रहे हैं हालाँकि आप अपने पेट में हल्का सा कुछ महसूस कर सकती हैं। जानिए शिशु का क्या-क्या विकास होता है गर्भावस्था के दूसरे महीने के दौरान।

  • गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु की कई कोशिकाओं का निर्माण हो जाता है जिनसे शिशु के अंग बनते हैं।
  • गर्भावस्था के दूसरे महीने के अंत तक गर्भ में पल रहे शिशु का आकार एक संतरे के बीज के जितना हो जाता है।
  • महीने के अंत तक भ्रूण की लम्बाई लगभग 1 इंच और वजन 14 ग्राम तक हो जाता है।
  • चेहरे के नैन-नक्श बनने लगते हैं।
  • गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु के पैरों की उँगलियाँ बननी शुरू हो जाती हैं।
  • इस दौरान शिशु का हृदय काम करना शुरू कर देता है और दिमाग भी विकसित होता है।
  • इस महीने में भ्रूण की आंखें, नाक, होंठ, कान आदि भी बनने शुरू हो जाते हैं।
  • शिशु की नाभिनाल बनने लगती है।

 

जरूरी टेस्ट (Necessary Tests During Second Month of Pregnancy)

गर्भावस्था का दूसरा महीना (Second Month of Pregnancy) इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान आपको कई टेस्ट कराने के लिए कहा जाएगा ताकि यह गर्भावस्था आपके और शिशु के लिए सुरक्षित है या नहीं इसका पता चल सके। गर्भावस्था के इस महीने के बाद आपको रेगुलर मैडिकल चैकअप के लिए जाना चाहिए ताकि इन नौ महीनों में आपको और शिशु को कोई समस्या न हो। गर्भावस्था के दूसरे महीने में डॉक्टर आपको यह जरूरी टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं।

 

  • प्रसव की तारीख: डॉक्टर गणना करके आपको आपके प्रसव की तारीख बताते है।
  • यूरिन और ब्लड टेस्ट: गर्भावस्था के दूसरे महीने में आपका ब्लड और यूरिन टेस्ट होता है ताकि पता चल सके कि आपको कहीं ब्लड शुगर है या नहीं। इसके साथ ही अगर कोई संक्रमण हो तो उसका भी पता चल जाता है। खून की जाँच करके हीमोग्लोबिन टेस्ट होता है।
  • एचआईवी: एचआईवी या हेपिटाइटिस-बी की भी जांच की जाती है।
  • प्रोटीन टेस्ट: इसमें ब्लड प्रेशर और किडनी और की जांच के लिए प्रोटीन टेस्ट किया जाता है।
  • अन्यः चिकन पॉक्स और रूबेला की जांच भी होती है। इसके साथ ही गर्भवती महिला का वजन और कद भी चेक किया जाता है। इसके साथ ही थायराइड की जाँच भी आजकल आवश्यक है।

 

जरूरी अल्ट्रासाउंड (Essential Ultrasound During Second Month of Pregnancy)

गर्भावस्था के दूसरे महीने में अल्ट्रासाउंड होना आवश्यक है। कोई समस्या होने पर ही गर्भावस्था के पहले महीने में अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाती हैं, अगर सब कुछ सामान्य है तो डॉक्टर गर्भावस्था के दूसरे महीने में ही अल्ट्रासाउंड करवाते हैं। अल्ट्रासाउंड से शिशु की स्थिति, उसका विकास और उसकी धड़कन, वजन और लम्बाई का पता चलता है। गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाले अल्ट्रासाउंड से आप भ्रूण का लिंग पता नहीं लगा सकते। वैसे तो सामान्य अल्ट्रासाउंड ही कराया जाता है लेकिन गर्भावस्था के पहले महीनों में सामान्य अल्ट्रासाउंड से कई बार सही से परिणाम नहीं मिल पाते, ऐसे में योनि के माध्यम से अल्ट्रासाउंड का सहारा लिया जाता है।

 

क्या खाएं (What to Eat in Second Month in Hindi)

गर्भावस्था के दूसरे महीने में क्या खाएं और क्या न खाएं यह एक महत्वपूर्ण विषय है। गर्भावस्था के दूसरे महीने फोलिक एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन, वसा, आयरन, फ़ाइबर युक्त आहार को शामिल करें ताकि आपके साथ-साथ गर्भ में पल रहा शिशु भी स्वस्थ रहे। जानिए क्या खाना चाहिए गर्भावस्था के दूसरे महीने में:

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ जैसे मेथी, चुकंदर, पालक, ब्रोकली आदि
  • फल
  • दूध युक्त आहार जैसे दही, पनीर जो कैल्शियम का मुख्य स्रोत हैं और इस दौरान आपको कैल्शियम की अधिक आवश्यकता होती है
  • मेवे जैसे बादाम, काजू और अखरोट
  • दालें
  • साबुत अनाज
  • अधिक से अधिक पानी, नारियल पानी, फ्रेश जूस जैसे तरल पदार्थ पीएं

 

क्या न खाएं यानी करें परहेज (Things not to eat)

  • मसालेदार और फ़ास्ट फूड जो आसानी से नहीं पचता।
  • अधिक चाय-कॉफी और कैफीन वाले खाद्य पदार्थ।
  • अल्कोहल युक्त खाद्य पदार्थ और धूम्रपान न करें।
  • कच्चा मीट और अंडे
  • ऐसे पदार्थ जो कब्ज का कारण बने।

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दूसरे महीने के दौरान बरते सावधानियां (Pregnancy Care Tips for Second Month in Hindi)

गर्भावस्था के दूसरा महीने में भी गर्भपात होने या शिशु को अन्य समस्याएं होने की संभावना रहती है, ऐसे में आपको पूरी सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि आपके शिशु का विकास अच्छे से हो पाए। आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही शिशु और आपके लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। जानिए आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • गर्भावस्था में कब्ज की समस्या अक्सर होती है इसलिए इससे बचने के लिए अधिक पानी के साथ-साथ अन्य फाइबर युक्त आहार का सेवन अवश्य करे।
  • जितना हो सके उतना आराम करे।
  • डॉक्टर जो भी दवाइयां आपको देते हैं जैसे फोलिक एसिड या कैल्शियम आदि, उन्हें अवश्य लें। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवाई न खाएं।
  • सीढ़ियां चढ़ना, हील पहनना, भारी सामान उठाने से बचे।
  • अधिक यात्रा न करे और न ही गाड़ी चलाए।
  • खाली पेट न रहे, इस बात का ध्यान रखें कि अब आपके शरीर में एक नन्ही जान पल रही है इसलिए उसके लिए खाएं। गर्भावस्था में कई बार कुछ भी खाने का मन नहीं करता लेकिन आप थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाती रहें। खाली पेट रहने से ऐसिडिटी और जी मचलना जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
  • सैर करें और टहलें, ऐसा करने से आपको अच्छा महसूस होगा। हल्का व्यायाम आप कर सकती हैं लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें।
  • गर्भावस्था से सम्बन्धित जानकारी इकट्ठी करें। अन्य महिलाओं के अनुभव जाने या किताबें पढ़े ताकि आपकी प्रेगनेंसी सरल और सुगम बने।
  • गर्भावस्था में तैराकी करने से बचें।
  • प्रेगनेंसी का समय इतना आसान नहीं होता और इस समय तनाव होना भी सामान्य होता है। इसलिये तनाव से बचने के लिए योग का सहारा ले।

 

गर्भावस्था के दूसरे महीने में आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आपके पेट में कोई मुलायम सी गांठ है। ऐसा भी देखा गया है कि कई महिलाओं को पहले कुछ महीने न तो कोई शारीरिक समस्या होती हैं न ही कोई मानसिक परिवर्तन आता है। लेकिन कई महिलाएं बहुत अधिक बदलावों से गुजरती हैं। सबके लिए गर्भावस्था का अनुभव अलग-अलग होता है लेकिन यही अनुभव आपको अपने शिशु के और भी करीब ले जाते हैं।

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