गर्भावस्था का दूसरा महीना यानी शिशु के विकास का दूसरा चरण, जहाँ होने वाली माँ अपने गर्भ में पल रहे शिशु को महसूस करना शुरू कर देती है। इस महीने में जी मचलना, थकावट, बार-बार बाथरूम जाना, पेट दर्द जैसी समस्याएं आपको थोड़ा परेशान कर सकती हैं। लेकिन गर्भावस्था का दूसरा महीना (2nd Month of Pregnancy) भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना पहला। इस दौरान आप गर्भवती हैं, इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होती हैं क्योंकि गर्भावस्था के दूसरे महीने में सभी जरूरी टेस्ट हो जाते हैं। इस महीने में पहले महीने की तरह ही शारीरिक के साथ-साथ कई मानसिक परिवर्तन होते हैं। अगर आप भी गर्भावस्था के दूसरे महीने में प्रवेश कर रही हैं तो पाईये वो जानकारियाँ जो आपके लिए बेहद लाभदायक साबित होंगी।
गर्भावस्था के दूसरे महीने (pregnancy ke seond month) यानी पांचवे से लेकर आठवें सप्ताह में आपको उन्ही शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है जो आपको पहले महीने होती हैं। दूसरे महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं आपको चिंतित कर सकती हैं लेकिन परेशान न हों क्योंकि कुछ समय के बाद आपकी यह समस्याएं काफी हद तक कम हो जायेगी और आप अपने जीवन के इस खास चरण का पूरी तरह से आनंद लेगी। गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाले स्वास्थ्य परिवर्तन कुछ इस तरह से हैं।
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गर्भावस्था के दूसरे महीने (Garbhavastha ke Dusre Mahine mein) में शिशु का कितना विकास होता है, यह जानना एक माँ के लिए बेहद रोचक होता है। आपको पता भी नहीं चलता कि आपके गर्भ में भ्रूण के अंग कितने विकसित हो रहे हैं हालाँकि आप अपने पेट में हल्का सा कुछ महसूस कर सकती हैं। जानिए शिशु का क्या-क्या विकास होता है गर्भावस्था के दूसरे महीने के दौरान।
गर्भावस्था का दूसरा महीना (Second Month of Pregnancy) इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान आपको कई टेस्ट कराने के लिए कहा जाएगा ताकि यह गर्भावस्था आपके और शिशु के लिए सुरक्षित है या नहीं इसका पता चल सके। गर्भावस्था के इस महीने के बाद आपको रेगुलर मैडिकल चैकअप के लिए जाना चाहिए ताकि इन नौ महीनों में आपको और शिशु को कोई समस्या न हो। गर्भावस्था के दूसरे महीने में डॉक्टर आपको यह जरूरी टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में अल्ट्रासाउंड होना आवश्यक है। कोई समस्या होने पर ही गर्भावस्था के पहले महीने में अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाती हैं, अगर सब कुछ सामान्य है तो डॉक्टर गर्भावस्था के दूसरे महीने में ही अल्ट्रासाउंड करवाते हैं। अल्ट्रासाउंड से शिशु की स्थिति, उसका विकास और उसकी धड़कन, वजन और लम्बाई का पता चलता है। गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाले अल्ट्रासाउंड से आप भ्रूण का लिंग पता नहीं लगा सकते। वैसे तो सामान्य अल्ट्रासाउंड ही कराया जाता है लेकिन गर्भावस्था के पहले महीनों में सामान्य अल्ट्रासाउंड से कई बार सही से परिणाम नहीं मिल पाते, ऐसे में योनि के माध्यम से अल्ट्रासाउंड का सहारा लिया जाता है।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में क्या खाएं और क्या न खाएं यह एक महत्वपूर्ण विषय है। गर्भावस्था के दूसरे महीने फोलिक एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन, वसा, आयरन, फ़ाइबर युक्त आहार को शामिल करें ताकि आपके साथ-साथ गर्भ में पल रहा शिशु भी स्वस्थ रहे। जानिए क्या खाना चाहिए गर्भावस्था के दूसरे महीने में:
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गर्भावस्था के दूसरा महीने में भी गर्भपात होने या शिशु को अन्य समस्याएं होने की संभावना रहती है, ऐसे में आपको पूरी सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि आपके शिशु का विकास अच्छे से हो पाए। आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही शिशु और आपके लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। जानिए आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए:
गर्भावस्था के दूसरे महीने में आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आपके पेट में कोई मुलायम सी गांठ है। ऐसा भी देखा गया है कि कई महिलाओं को पहले कुछ महीने न तो कोई शारीरिक समस्या होती हैं न ही कोई मानसिक परिवर्तन आता है। लेकिन कई महिलाएं बहुत अधिक बदलावों से गुजरती हैं। सबके लिए गर्भावस्था का अनुभव अलग-अलग होता है लेकिन यही अनुभव आपको अपने शिशु के और भी करीब ले जाते हैं।
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