गर्भावस्था का पहला महीना: लक्षण, बच्चे का विकास, खानपान व देखभाल

गर्भावस्था का पहला महीना: लक्षण, बच्चे का विकास, खानपान व देखभाल

माँ बनना हर महिला का सबसे सुखद स्वप्न होता है। ऐसा माना जाता है कि माँ बनने के बाद ही स्त्री का जीवन सम्पूर्ण होता है। गर्भावस्था का अहसास हर होने वाली माँ के लिए कुछ अलग और रोमांचक होता है और उसे कुछ न कुछ अवश्य सिखाता है। गर्भावस्था का पहला महीना (First Month of Pregnancy) हो या आखिरी, महिला में कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। अक्सर नयी माताएं गर्भावस्था के बारे में पूरी जानकारी पाना चाहती हैं ताकि वो अपने इस चरण को और अधिक आसान और सुखद बना सके। तो आपकी इन परेशानियों को आसान बनाने के लिए आज हम शुरुआत करते हैं गर्भावस्था के पहले महीने (1st Month of Pregnancy) से। जानिए क्या-क्या होता है पहले महीने (Garbhavastha ka Pehla Mahina)में और आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।  

गर्भावस्था के पहले महीने लक्षण (Symptoms or Signs of First Month Pregnancy in Hindi)

गर्भावस्था का पहला महीना बेहद खास होता है। गर्भावस्था के नौ महीनों को तीन तिमाहियों में बांटा गया है और प्रथम महीने से शुरुआत होती है गर्भावस्था की पहली तिमाही (First Trimester) की। अधिकतर महिलाओं को पहले महीने में अपने शरीर में होने वाले बदलावों का पता भी नहीं चलता खासतौर पर वो महिलाएं जो पहली बार माँ बन रही होती है। पहले महीने में गर्भावस्था के कुछ खास लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन अधिकतर महिलाओं को इनके बारे में सही जानकारी नहीं होती। लेकिन सबसे पहले आपको इन लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। पाए गर्भावस्था के पहले महीने के बारे में विस्तृत जानकारी। इसे भी पढ़ेंः प्रेगनेंसी में आम शारीरिक बदलाव  

गर्भावस्था के पहले महीने में होने वाले बदलाव (Symptoms & Changes in the First Month of Pregnancy in Hindi)

शारीरिक बदलाव (Physical Changes)  
  • मासिक धर्म का न आना (Menstrual cycle)
  आप गर्भवती हैं तो इसका सबसे पहला लक्षण है उस महीने आपके मासिक धर्म का रुक जाना। पीरियड का ना आना इस बात का इशारा हो सकता है कि आप गर्भवती हैं और आपका पहला महीना शुरू हो चुका हैं हालाँकि ऐसा आवश्यक नहीं हैं क्योंकि ऐसा किसी अन्य कारणों से भी हो सकता है।  
  • थकावट (Fatigue)
  गर्भावस्था का पहला महीना (First Month of Pregnancy) बेहद मुश्किल होता है और इसमें बिना किसी काम के बहुत जल्दी थक जाना भी बहुत ही सामान्य है। इसके साथ ही इसमें चक्कर आना या जी मचलना आदि जैसी समस्याएं भी हो सकती है।  
  • ब्लीडिंग (Bleeding)
  गर्भावस्था के पहले महीने की शुरुआत में हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। इसके साथ ही स्तनों का सख्त होना या निचले हिस्से में दर्द भी इस दौरान आम है।  
  • पेट दर्द (Stomach pain)
  गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द, कब्ज जैसी परेशानियां होती है। पीठ में भी दर्द हो सकता है।  
  • बार-बार पेशाब आना (Frequent urination)
  बार-बार पेशाब आना भी गर्भावस्था की एक निशानी है।  

भावनात्मक बदलाव (Emotional changes in First Month of Pregnancy)

  • पहले महीने में होने वाली स्वास्थ्य समस्या में मूड स्विंग्स होना बहुत सामान्य है।
  • थोड़ी-थोड़ी बात पर गुस्सा करना, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां भी शुरुआत में हो सकती हैं।
  • इस दौरान शारीरिक बदलावों के कारण महिलाएं परेशान हो जाती हैं और तनाव का भी सामना कर सकती है।
इसे भी पढ़ेंः गर्भ में बच्चे का विकास

पहले महीने में बच्चे का विकास (Fetus Development in First Month of Pregnancy in Hindi)

गर्भावस्था के पहले महीने में ही शिशु का विकास होना शुरू हो जाता है। जब पुरुष और स्त्री के अंडाणु और शुक्राणु मिलते है तो उसे निषेचन कहा जाता है। इसके बाद इस मिलन से बना ज़ाइगोट गर्भाशय तक पहुंचता है। कुछ दिनों के बाद यह एक छोटे से बॉल के जैसे आकार में बदल जाता है। इसके साथ ही निषेचित अंडा विकसित होने लगता है जिसमें धीरे-धीरे उसका चेहरा बनता है और रक्त संचार भी आरम्भ हो जाता है। गर्भावस्था का पहला महीना (First Month of Pregnancy) गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खास होता है।
  • पहले महीने में बच्चे का आकार मात्र एक चने के आकार का होता है।
  • पहले महीने में बच्चे का ढांचा बनना शुरु होता है और महीने के अंत तक शिशु का सिर, रीढ़ की हड्डी, फेफड़े और दिल जैसे अंग आकार लेने लगते हैं।
  • महीने के अंत तक शिशु की धड़कन भी सुनी जा सकती है।
 

पहले महीने में जरूरी जांच (Important Test in the First Month of Pregnancy)

कई लोग गर्भावस्था के पहले महीने में कोई भी जाँच करवाना शुरू नहीं करते है। अगर आपका मासिक धर्म रुक गया है तो आप घर पर प्रेगनेंसी किट के माध्यम से यूरिन टेस्ट से यह पता कर सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं। अगर टेस्ट पॉजिटिव है तो डॉक्टर के पास अवश्य जाएं क्योंकि डॉक्टर आपको इस दौरान रखने वाली सावधानियों, दवाओं के बारे में बताएगा और आपको अन्य जरूरी सलाह भी देगा।
  • गर्भावस्था के पहले महीने में सबसे पहले यूरिन टेस्ट किया जाता है।
  • कई बार यूरिन टेस्ट में कुछ स्पष्ट और सटीक परिणाम नहीं मिल पाते है। ऐसे में गर्भावस्था के पहले महीने के अंत में डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड की सलाह भी दे सकते है क्योंकि इस तरीके से बिल्कुल सही परिणाम मिलते है। हालाँकि ऐसा बहुत ही कम होता है कि गर्भावस्था के पहले महीने में ही अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाए।
  • इसके अलावा कुछ ब्लड टेस्ट भी कराये जाते हैं।
इसे भी पढ़ेंः प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड

पहले महीने में क्या खाएं (Diet & Food Tips for first month of Pregnancy)

गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला को अपने खानपान में परिवर्तन करना चाहिए। पोषक तत्वों को अपने आहार में शामिल करें जैसे कि हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दूध, मेवे आदि ताकि विटामिन बी6, फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट आदि की आपके शरीर में कमी न हो। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों या महीनों में कुछ अलग खाने की इच्छा होती है। अधिकतर महिलाओं का मन इस दौरान अधिक मीठा या खट्टा खाने का करता है जैसे कि चाकलेट, आइसक्रीम, मिठाई, इमली, आचार, कैरी आदि।   पहले महीने में क्या खाना चाहिए
  • हरी सब्जियां
  • फल
  • दालें
  • दूध
  क्या ना खाएं
  • गर्म चीजों से रखें परहेज
  • पका हुआ पपीता या अनानास
  • अधिक चाय-कॉफ़ी
  • शराब या धूम्रपान
  • भारी आहार
 

शारीरिक सम्बन्ध (Sex During Pregnancy- 1st Month)

गर्भावस्था का पहला महीना इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दौरान गर्भपात होने की बहुत अधिक संभावना होती है। ऐसे में क्या गर्भावस्था के पहले महीने में शारीरिक सम्बन्ध बनाये जा सकते हैं, इसके बारे में विशेषज्ञों की राय है कि अगर आपको कोई शारीरिक समस्या न हो या आपका पहले गर्भपात न हुआ हो तो ऐसे में आप शारीरिक सम्बन्ध बना सकते हैं। लेकिन डॉक्टर गर्भावस्था के पहले दो महीने शारीरिक सम्बन्ध न बनाने की सलाह देते हैं।  

इन बातों का रखें ख्याल (Tips for 1st Month Pregnant Women)

  • गर्भावस्था का पहला महीना, वो महीना होता हैं जब गर्भ में शिशु का धीरे-धीरे विकास हो रहा होता है या ऐसा कहे कि यह शुरुआत है भ्रूण के विकास का। ऐसे में महिला को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। इस दौरान कई महिलाओं को बहुत नींद आती है। अगर ऐसा हैं तो पूरा आराम करें।
  • अच्छा और पौष्टिक खाएं व अधिक से अधिक पानी पीएं।
  • डॉक्टर से मिलकर उनसे जाँच अवश्य कराएं और उसकी राय लें और उसका पालन भी करें।
  • खुश रहें और जो करने का मन हो वो करें। इसके साथ ही घर में अन्य लोगों का सहयोग और सलाह लेना न भूलें खासतौर पर घर की महिलाओं की।
  • अधिकतर महिलाएं इस स्थिति में तनाव का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में शरीर में होने वाले बदलावों या अन्य कारणों को लेकर परेशान न हों। चिंता छोड़ कर अपने शिशु और आने वाले भविष्य के बारे में सोचे।

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या न करें (Things not to do)

  • गर्भावस्था के पहले महीने में आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस दौरान अधिकतर महिलाओं को कुछ खास परिवर्तन महसूस नहीं होता ऐसे में वो अपनी सेहत पर अधिक ध्यान नहीं देती। अगर आप गर्भवती हैं तो पूरा आराम करें।
  • ऐसा भी कहा जा सकता हैं कि पहले महीने में महिलाओं को क्या करना चाहिए इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती। इस दौरान आपको न तो कोई वजन उठाना हैं और ना ही सीढ़ियां चढ़नी है।
  • इस दौरान गाडी न चलाएं और अधिक यात्रा न करें।
  • अधिक उछल-कूद करने या डांस आदि भी न करें। ऐसा करना भ्रूण के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • कोई भी दवाई खाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। अधिक चाय-कॉफी ,धूम्रपान या अल्कोहल से बचे।

योग या कसरत (Yoga or exercise)

गर्भावस्था के पहले महीने में भारी-भरकम कसरत से बचे। हल्का-फुल्का व्यायाम और योग आप कर सकती है। इससे न केवल आप और आपका शिशु स्वस्थ रहेंगे बल्कि गर्भावस्था के पहले महीने में होने वाले तनाव से भी आप बच सकते हैं हालाँकि इससे पहले भी विशेषज्ञ से पूछ लें। इसे महीने जितना हो सके आपको आराम करना चाहिए।   गर्भावस्था के पहले महीने से ही आपकी नयी यात्रा शुरू हो जाती है जिसमें आप कई पड़ावों को पार करती है। अगर आप सही जानकारी रखें, अपनी सोच को सकारात्मक रखें और आपका पार्टनर व परिवार आपके साथ हो तो आप इन नौ महीनों का पूरी तरह से आनंद ले सकती हैं। जल्दी ही आपकी दुनिया बदलने वाली है वो दुनिया जो आपको नए अनुभव प्रदान करेगी। इसे भी पढ़ेंः गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के कानूनी अधिकार   क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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